सैकड़ों वर्ष बाद एक अद्वितीय खगोलीय घटना होने जा रही है़ नौ मई को दिन में ही रात का नजारा दिखेगा. इस दिन
शाम होने से पहले ही सूरज आंखों से ओझल हो जायेगा. वाराणसी से निकलने वाले हृषिकेश पंचाग के पेज नंबर दो पर इस खगोलीय घटना का स्पष्ट उल्लेख है़, जिसका शीर्षक ‘सूर्य बिंब पर बुध का परागमन’ है.
गोपाल प्रसाद सिंह
हृषिकेश पंचाग के अनुसार, नौ मई को यह खगोलीय घटना भारत में देखी जायेगी. यह अद्भुत खगोलीय घटना भारतीय मानक समयानुसार दिन में चार बज कर 41 मिनट से रात 12 बज कर 12 मिनट तक होगी. भारत के अतिरिक्त यह घटना दक्षिण-पूर्वी एशिया व जपान को छोड़ कर एशिया के अन्य भागों, पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका अफ्रीका के सुदूर उतर-पश्चिम भाग, ग्रीनलैंड, दक्षिण दक्षिण अमेरिका के उतरी भाग, उतर अमेरिका के पूर्वी भाग, आर्कटिक क्षेत्र, उतरी अटलांटिक महासागर व प्रशांत महासागर के अधिकांश भागों में देखा जा सकेगा.
बुध के परागमन की शुरुआत की घटना पूरे भारत में देखी जा सकेगी, लेकिन इसका अंत नहीं देखा जा सकेगा. इस घटना के समाप्त होने के पहले सभी स्थानों पर सूर्यास्त हो जायेगा़ काशी में यह खगोलीय घटना दिन के चार बज कर 41 मिनट से सूर्यास्त शाम छह बज कर 32 के पूर्व तक देखी जा सकती है़ लोग इसे नग्न आंखों से देखने का प्रयास कदापि न करें.
6:32 बजे से पहले तक देखा जा सकेगा यह अद्वितीय नजारा
..पर देखना हितकर नहीं
जाने-माने वेदाचार्य व कर्मकांड ज्ञाता पंडित गजाधर पाठक जी के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व इस तरह की खगोलीय घटना हुई थी़ इस बार नौ मई को अक्षय तृतीया है. इस दिन किया हुआ पुण्य कभी क्षय नहीं होता. लेकिन, इसी दिन शाम को चार बज कर 41 मिनट के बाद सूर्य जब बुध ग्रह से ढंक जायेगा, तो दिन में ही रात का नजारा देखने को मिलेगा़ श्री पाठक यह भी कहना है कि यह खगोलीय घटना किसी भी स्थिति में शुभ नहीं है़ इसका कुप्रभाव देखने को मिल सकता है़ इसलिये इस खगोलीय घटना को देखने से बचने का प्रयास करना हितकर रहेगा