21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदिवासी संस्कृति को दुनिया भर में पहचान दिला रहीं रुबी की आदिवाणी

पुष्यमित्रकोलकाता में छह साल की एक संताल बच्ची से एक बार उसकी एक क्लास मेट ने पूछा कि क्या तुम जब अपने जूतों में पॉलिश करती हो तो थोड़ा पॉलिश अपने चेहरे पर भी लगा लेती हो. बचपन के उन सबसे खूबसूरत दिनों में अपनी सहेली की यह टिप्पणी उसेअंदर तक निराश कर गयी. तकरीबन […]

पुष्यमित्र
कोलकाता में छह साल की एक संताल बच्ची से एक बार उसकी एक क्लास मेट ने पूछा कि क्या तुम जब अपने जूतों में पॉलिश करती हो तो थोड़ा पॉलिश अपने चेहरे पर भी लगा लेती हो. बचपन के उन सबसे खूबसूरत दिनों में अपनी सहेली की यह टिप्पणी उसेअंदर तक निराश कर गयी. तकरीबन बीस साल बाद वह लड़की आइबीएम में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनलों को कम्युनिकेशंस स्किल सिखा रही थी.

बचपन के अनुभवों ने उसे सिखा दिया था कि अगर आदिवासियों को खुद को इस दुनिया के सामने मजबूती से पेश करना है तो उसे अपनी भाषा संस्कृति के साथ दुनिया की मजबूत भाषा अंग्रेजी को भी सीखना होगा. उसकी इस सीख ने, बचपन के बुरे अनुभवों ने उसे आइबीएम जैसी बड़ी संस्था का सदस्य बनकर ही संतुष्ट हो जाने नहीं दिया. आठ साल की नौकरी के बाद उसने खुद को फिर से एक नये काम के लिए तैयार किया. आज रुबी हेम्ब्रोम कोलकाता में संताली साहित्य-कला और संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करने के लिए एक प्रकाशन संस्था आदिवाणी का संचालन कर रही हैं. यह प्रकाशन आदिवासी साहित्य-कला से संबंधित पुस्तकों का अंग्रेजी में प्रकाशन कर रहा है और दुनिया भर के ब्लैक मूवमेंट से जुड़ कर झारखंडी आंदोलन को वैश्विक पहचान देने में जुटा है.

महज डेढ़ साल पहले शुरू हुए इस प्रकाशन ने अब तक महज तीन पुस्तकें प्रकाशित की हैं, मगर अपनी विशिष्ट प्रस्तुति की वजह से ये तीनों पुस्तकें काफी पसंद की जा रही हैं. रुबी बताती हैं कि तीनों पुस्तकों का पहला संस्करण लगभग खत्म होने पर है. इन तीन पुस्तकों में दो संताल क्रिएशन स्टोरी के दो भाग हैं और तीसरी पुस्तक हूज कंट्री इज इज एनीवे? मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग द्वारा लिखी गयी किताब है.

संताल क्रिएशन स्टोरी का तीसरा भाग अभी आना है. इसके अलावा आदिवाणी ने कनाडा के लेखक लियेन बेटासमस्की सिम्पसन की विख्यात पुस्तक डांसिंग ऑन अवर टर्टल्स बैक के प्रकाशन के अधिकार भी हासिल किये हैं. दुनिया भर के आदिवासियों के मसलों पर बात करने वाली यह पुस्तक जल्द ही प्रकाशित होने वाली है. इसके अलावा आदिवाणी लोक कलाकार जीतन मरांडी के गीतों का एक अलबम सांग ऑफ रजिस्टेंस भी तैयार कर रही है. रुबी कहती हैं कि आदिवाणी को हम प्रकाशन संस्थान के रूप में ही सीमित नहीं करने जा रहे. हमारी ख्वाहिश इसे झारखंड की आदिवासी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पेश करने वाली संस्था का रूप देने की है.

रुबी के लिए यह सब करना इतना आसान नहीं था. मगर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि हमेशा सहयोगात्मक रहीं. कुछ सहूलियतें उनके जीवन में थीं, जैसे उनके पिता तिमोथियेस हेम्ब्रोम कोलकाता में थियोसॉफिलक कॉलेज में पढ़ाते थे. वे वहां रोमन लिपि में एक संताली पत्रिका जुग सिरिजोल का प्रकाशन भी करते थे. और उन्होंने तय कर लिया था कि उनकी तीनों बेटियां पढ़ लिखकर झारखंड की सेवा करेंगी. बड़ी और छोटी बहन के जिम्मे क्रमश: डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता बनकर झारखंड के आदिवासियों की मदद करने का जिम्मा था. पिता ने उन्हें वकील बन कर झारखंड की मदद करने का जिम्मा सौंपा था.

मगर स्वभाव से अंतर्मुखी रुबी लॉ ग्रेजुएट होने के बाद भी वकालत के पेशे को अपना नहीं पायी और उसे आइबीएम में एक बढिया नौकरी मिल गयी. मगर जिस पारिवारिक माहौल में वे पलीं थीं वह उन्हें कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी करते हुए जीवन काट लेने की इजाजत नहीं दे रहा था. आठ साल काम करने के बाद आखिरकार उन्होंने इस काम को छोड़ दिया और लौट कर कोलकाता आ गयी. वहां उनका इरादा एक ऐसी संस्था का संचालन करना था जो झारखंड के आदिवासियों की संवाद क्षमता को विकसित करे, ताकि वे लोग दुनिया के सामने खुद को बेहतर तरीके से पेश कर सकें. इस काम में उनके साथ मणिपुर की एक आदिवासी युवती भी थीं. मगर वह काम ठीक से आकार नहीं ले पा रहा था और इस बीच सीगल पब्लिकेशन ने 4 महीने के एक पब्लिशिंग कोर्स के संचालन की घोषणा कर दी. रुबी को यह पाठय़क्रम रुचिकर लगा और उसने तय किया कि काम के साथ-साथ वह इस कोर्स को भी पूरा करेंगी.

कोर्स के शुरुआती दिनों में महिला मुद्दों पर काम करने वाली जुबान प्रकाशन की संचालिका उर्वशी बुटालिया और दलितों के मसले पर किताबें प्रकाशित करने वाली संस्था नवान्न के एस आनंद से उनकी मुलाकात करायी गयी. इस मुलाकात ने रुबी का जीवन बदल दिया. उन्हें पहली दफा मालूम हुआ कि दुनिया में वंचितों के मुद्दों पर इतना अच्छा काम हो रहा है और साथ ही यह जानकारी भी मिली कि देश में आदिवासियों की बड़ी आबादी के लिए ऐसा कोई प्रकाशन नहीं जो उनकी आवाज को पहचान दे सके. रुबी कहती हैं, उसके बाद उन्हें लगने लगा कि ऐसा कुछ होना चाहिये. उन्होंने अपने बचपन के मित्र जोय टुडू से लगातार बातें की. जोय आदिवासियों के मुद्दे पर संघर्षरत रहते हैं और अपनी आवाज यूएन तक में उठा चुके हैं. फिर धीरे-धीरे राय बनी कि उन्हें ही इस काम को अंजाम देना चाहिये.

इस तरह रुबी और जोय ने मिलकर आदिवाणी की शुरुआत की और उन्हें सीगल के पब्लिशिंग कोर्स के साथी मैक्सिकन जर्नलिस्ट लुइस गोमेज और ग्राफिक डिजाइनर बोस्की जैन का साथ मिला. प्रकाशन के लिए पहली पुस्तक का विषय संताली आदिकथा बना. उक्त पुस्तक को काफी पहले उनके पिता तिमोथियेस हेम्ब्रोरम ने लिखा था. वह पुस्तक पाठय़क्रम में शामिल है, मगर कई सालों से आउट ऑफ पिंट्र थी. लोग फोटोकॉपी कराकर उस पुस्तक को पढ़ रहे थे. उस लंबी कहानी को तीन हिस्सों में बांटकर उसके प्रकाशन की योजना बनी. बोस्की ने संताली आदिपुरुषों सिंगबोगा, ठकुरजी आदि को आकार दिये और सरल भाषा में बेहतर आवरण, साज सज्जा और प्रस्तुति के साथ संताल क्रियेशन स्टोरी दो हिस्सों में छप कर तैयार हुई. इसके बाद जोय के मित्र ग्लैडसन की झारखंड में विस्थापन और दमन के मुद्दे पर लिखी किताब हूज कंट्री इज इट एनीवे छापी गयी.

संयोग से पिछले वर्ष विश्व पुस्तक मेले का विषय आदिवासी साहित्य से संबंधित था. इसलिए उन पुस्तकों का वहां जमकर स्वागत हुआ. स्वामी अग्निवेश, हिमांशु कुमार और फीलिक्स पटेल के हाथों इन पुस्तकों का विमोचन हुआ. फिर धीरे-धीरे किताबें बिकने लगीं. उन्हें किताबें बेचने का ज्यादा अनुभव नहीं था, मगर कोलकाता के एक पुस्तक विक्रेता अर्थ बुक सेंटर ने उनकी भरपूर मदद की. इसके अलावा वहां से सबसे बड़े पिंट्रर इम्प्रेस भी उनका काम देखते हुए उधार में उनकी पुस्तकें छापने के लिए तैयार हो गये हैं. अब रोज उनके पास किताबों के डिमांड आते हैं और रुबी के बेडरूम से संचालित होने वाला यह प्रकाशन रोज दुनिया भर के लोगों को संताली साहित्य उपलब्ध करा रहा है.

इसके अलावा वे संताल परगना के ग्रामीण इलाकों में भी सक्रिय हैं. उन्होंने हूल दिवस के मौके पर भोगनाडीह में बुक स्टॉल लगाये हैं और वे स्कूली शिक्षकों की संवाद क्षमता बेहतर करने में भी जुटे हैं. वे कहती हैं कि देश की मीडिया ने उनकी काफी मदद की है और इससे उनकी जो पहचान बनी है वह आदिवाणी को स्थापित करने में मददगार साबित हो रही हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें