ढाका : बांग्लादेश की कट्टपंथी जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता मोती-उर-रहमान निजामी को आज तब तगडा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों के लिए मिली मौत की सजा को बरकरार रखा जो उसने उसे पहले दी थी. प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय अपीली खंड पीठ ने अदालत कक्ष में एक शब्द का फैसला सुनाया. मुस्लिम बहुल देश में शीर्ष न्यायाधीश के पद पर पहुंचने पहले हिन्दू न्यायाधीश ने 72 वर्षीय निजामी की अंतिम अपील पर कहा, ‘‘खारिज की जाती है.” निजामी हत्या, बलात्कार और गुप्त रुप से योजना बनाकर शीर्ष बुद्धिजीवियों की हत्या का दोषी है.
अदालत के अधिकारियों ने कहा कि आदेश का विवरण बाद में लिखित में जारी किया जाएगा. फैसले से पहले निचली अदालत के विपरीत सुप्रीम कोर्ट परिसर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कडी की गई थी। शीर्ष अदालत की कार्यवाही में निर्णय सुनाए जाने के दौरान निजामी की मौजूदगी जरुरी नहीं थी. जमात प्रमुख को उपनगर काशीपुर केंद्रीय कारागार में मौत की सजा पाए दोषी के लिए बनी विशेष काल-कोठरी में रखा गया है. आज का निर्णय निजामी की याचिका को सुनवाई के लिए पीठ को सौंपे जाने के दो दिन बाद आया है, जिसमें शीर्ष अदालत के पहले के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी जो उसकी मौत की सजा की पुष्टि करती है.