
प्राकृतिक ऊर्जा संसाधनों के मामले में धनी क़तर दुनिया के कुछ सबसे अमीर देशों में शामिल है.
क़तर ने दुनिया भर में बैंक, यूरोप के फुटबॉल क्लब और लंदन जैसे महँगे शहर में बेशक़ीमती संपत्तियां ख़रीद रखी हैं.
मगर तेल की क़ीमतों में भारी गिरावट से ख़ाड़ी के इस देश पर आर्थिक दबाव है.
इसकी झलक हाल में मंजूर योजनाओं में होने वाली वित्तीय कटौती और टैक्स सिस्टम और सब्सिडी को लेकर होने वाले सुधारों में देखी जा सकती है.
क्या यह इस बात का संकेत है कि दुनिया की आर्थिक महाशक्तियां वित्तीय तौर पर सिकुड़ती जा रही हैं?

क़तर ने बड़े पैमाने पर वित्तीय कटौती की हैं. जिन क्षेत्रों में कटौती की गई है उसमें विकास, संस्कृति, शिक्षा, आवागमन की योजनाओं के साथ-साथ 2022 में होने वाला फुटबॉल विश्व कप का ख़र्च भी शामिल है.
क़तर में 2022 के फुटबॉल विश्व कप की तैयारियां भी चल रही हैं जिसमें 220 अरब अमरीकी डॉलर ख़र्च होने का अनुमान है.
हालांकि सरकार ने प्रस्तावित स्टेडियमों की संख्या 12 से घटाकर आठ कर दी है. इसके पीछे कथित तौर पर बढ़ती लागत वजह बताई गई है.
लेकिन क़तर विश्व कप की आयोजन समिति ने इस कटौती के पीछे आर्थिक कारणों से इंकार किया है.
क़तर दूसरे तरीकों से भी वित्तीय कटौतियां कर रहा है.
क़तर सरकार ने 50 रेलवे कर्मचारियों को जनवरी में ‘व्यावसायिक कुशलता के नाम’ पर नौकरी से निकाला है इसके अलावा तेल और गैस कंपनियों रैसगैस, क़तर पेट्रोलियम और मेर्सक ओएल क़तर ने 2014 से अब तक हज़ारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है.

2016 की शुरुआत से अब तक अल-जज़ीरा के एक हज़ार कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका. अल-जज़ीरा की अमरीकी सेवा बंद की जा चुकी है.
क़तर ने कुछ सरकारी कंपनियों को निज़ी करने के भी संकेत दिए हैं. क़तर की उदार सब्सिडी प्रणाली में नकद रकम का बड़ा हिस्सा चला जाता है.
ऐसा माना जाता है कि विदेशी नागरिकों को दूर रखने के लिए सब्सिडी में कटौती की जाएगी.
विदेशी नागरिकों की वजह से ख़ास तौर पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है क्योंकि 2010 से देश की आबादी में अब तक 40 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
नुकसान से निपटने के लिए तेल की क़ीमत में जनवरी में 30 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी.
क़तर एक हज़ार सैनिकों के साथ यमन में हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन के सबसे बड़े सहयोगियों में एक है.
क़तर अपने फ़ौजी आधार का विस्तार कर रहा है. सिर्फ साल 2014 में उसने 23 अरब अमरीकी डॉलर इस पर ख़र्च किए हैं.

बहुत संभव है कि ऐसा इस्लामिक स्टेट के ख़तरे और खाड़ी देशों और ईरान के बीच बढ़ती तकरार की वजह से किया जा रहा हो.
15 साल से चले आ रहे रुझान को देखते हुए अनुमान के मुताबिक़ 2016 के लिए क़तर का वित्तीय घाटा करीब 13 अरब अमरीकी डॉलर हो सकता है.
संभव है कि मुख्त तौर पर क़तर की अर्थव्यवस्था का तेल और गैस पर निर्भर होना इसकी वजह हो.
जून 2014 से दुनिया के बाज़ार में तेल की क़ीमतों प्रति बैरल 70 फ़ीसदी से भी ज़्यादा की गिरावट हुई है.
पिछले नवंबर में विकास मामलों के मंत्री सालेह मोहम्मद अल नाबित ने कहा कि सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक दबाव का मतलब है कि सरकार को अपने खर्च के मामले में ज्यादा अनुशासित रहना था.
आईएमएफ की चीफ क्रिस्टीन लगार्ड ने भी क़तर को अपने टैक्स सिस्टम और ख़र्च में सुधार लाने को कहा है.
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