
उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के कथित रूप से सरकारी ज़मीन पर बनाए गए मंदिर के मामले में राज्य सरकार को हलफ़नामा दायर करने के लिए कहा है.
इस मामले में दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया है.
याचिकाकर्ता हमर संगवारी के राकेश चौबे ने कहा, "अदालत के निर्देश के बाद भी राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद हमने पिछले महीने अवमानना याचिका दायर की थी."
अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने एक ट्रस्ट बना कर 404 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके उस पर कई निर्माण किए थे.
यह मामला सामने आने के बाद रायपुर ज़िले के कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार ने जांच की और 2014 में सरकार को रिपोर्ट दी. इसके बाद कलेक्टर ने पूरी संपत्ति को ज़ब्त करने के निर्देश दिए थे.

याचिकाकर्ता का आरोप था कि उच्चतम न्यायालय ने 2006 में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देश के सभी राज्यों को सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर बनाये गए पूजास्थलों को हटाए जाने संबंधी मामले में हलफ़नामा देने के निर्देश दिए थे.
लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष के निर्माण पर कोई संज्ञान नहीं लिया.
मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर बनाए गए पूजास्थलों को हटाए जाने से संबंधित याचिका पर सुनवाई शुरू की, तो छत्तीसगढ़ का यह मामला फिर उठा.
इधर अदालत ने सभी राज्यों को सार्वजनिक स्थान और सड़कों के किनारे बनाए गए पूजा स्थलों के मामले में दो सप्ताह के भीतर हलफ़नामा दायर करने के लिए कहा है. ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में राज्य के मुख्य सचिवों को उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना होगा.
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