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‘ओ वुमनिया’ की गायिका को नहीं आती थी भोजपुरी

सीटू तिवारी पटना से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए वह बहुत शर्मीली हैं लेकिन एक बार शर्म का पर्दा हट जाए तो दिल खोलकर घर बाहर, आसपड़ोस, परिवार की बातें बताने में तनिक भी नहीं हिचकतीं. उन्हें देखकर अंदाज़ लगाना मुश्किल हो जाता है कि उन्होंने ही ‘ओ वुमनिया’ जैसे शरारती गाने को अपनी आवाज़ […]

वह बहुत शर्मीली हैं लेकिन एक बार शर्म का पर्दा हट जाए तो दिल खोलकर घर बाहर, आसपड़ोस, परिवार की बातें बताने में तनिक भी नहीं हिचकतीं.

उन्हें देखकर अंदाज़ लगाना मुश्किल हो जाता है कि उन्होंने ही ‘ओ वुमनिया’ जैसे शरारती गाने को अपनी आवाज़ दी है.

मिलिए ओ वूमनिया फेम रेखा झा से. साल 2012 में फ़िल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के इस गाने ने सबके दिल पर राज किया था.

दिलचस्प है कि इस गाने के ज़रिए ही 42 साल की रेखा ने बाहर की दुनिया देखी.

वह बताती हैं, ”ये पहला मौक़ा था जब मैं पटना से बाहर निकली. पटना क्या कभी घर से बाहर नहीं निकले. बिंदी तक की ज़रूरत पड़ी तो भाई या पति को साइज़-रंग बता दिया और मंगा लिया.”

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रेखा के जीवन में इस बदलाव में उनके पति पंकज झा की बड़ी भूमिका थी. रेखा ने अपने पिता हरिहर पाठक से संगीत से प्यार करना सीखा.

हरिहर पाठक पटना के एक स्कूल में संगीत के अध्यापक थे. रेखा की शादी को 17 साल हो गए, तो वह घर-गृहस्थी में ऐसी रमीं कि संगीत के सुरों से नाता टूट गया.

मगर शादी के 18 साल बाद पति पंकज झा ने उन्हें फिर से संगीत का अभ्यास करने को कहा. थोड़ी हिचकिचाहट के बाद रेखा ने संगीत की औपचारिक तालीम ली. साथ ही मैथिलीभाषी रेखा ने भोजपुरी सीखी.

इस बीच पटना में ‘ओ वूमनिया’ के लिए ऑडिशन हुआ. संगीत निर्देशक स्नेहा खानवलकर को रेखा झा की आवाज़ पसंद आई.

रेखा कहती हैं, ”मैंने सपने में भी ये नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी दिन आएगा. भीड़ देखकर ही मेरे हाथ-पांव फूल जाते थे. ऐसे में मैंने कैसे गाया, क्या गाया, कैसे मेरा सेलेक्शन हुआ, ये सब सपना था.”

‘ओ वुमनिया’ हिट होने के बाद रेखा को बॉलीवुड से दो ऑफ़र मिले. मगर पति पंकज झा को किडनी संबंधित बीमारी के चलते रेखा का संगीत से रिश्ता फिर टूट गया.

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रेखा के भाई राकेश बताते हैं, ”जीजा जी का बिज़नेस चौपट हो गया. परिवार मानसिक, आर्थिक सभी परेशानियों से गुज़रा, जिसने रेखा दीदी के संगीत करियर को ब्रेक सा लगा दिया.”

साल 2015 के बाद पति पंकज झा की हालत में सुधार हुआ तो ज़िंदगी फिर से पटरी पर लौटनी शुरू हुई. पटना के अशोक नगर में रहने वाली रेखा ने इस बीच बिहार के कई सार्वजनिक मंचों पर अपनी आवाज़ का दिलकश जादू बिखेरा है.

रेखा अब अपने करियर पर फ़ोकस कर रही हैं. इस बार सावन के मौक़े पर वो मैथिली लोकगीतों को लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही हैं लेकिन इस बीच ये वुमनिया चाहती है कि उसके करियर को और रफ़्तार मिले.

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