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पेशे से डॉक्टर, दिल से खिलाड़ी

जमशेदपुर: पेशे से चिकित्सक डॉ ऊषा अपने मरीज को अपनी सेवा देकर स्वस्थ बनाती है. लेकिन अगर कोई शख्स डॉ ऊषा को सामान्य महिला मान कर सड़क पर छेड़खानी करे तो वह उसका स्वास्थ्य खराब कर हॉस्पिटल के बिस्तर तक भी पहुंचा सकती है. पेशे से चिकित्सक और दिल से खिलाड़ी ऊषा मार्शल आर्ट की […]

जमशेदपुर: पेशे से चिकित्सक डॉ ऊषा अपने मरीज को अपनी सेवा देकर स्वस्थ बनाती है. लेकिन अगर कोई शख्स डॉ ऊषा को सामान्य महिला मान कर सड़क पर छेड़खानी करे तो वह उसका स्वास्थ्य खराब कर हॉस्पिटल के बिस्तर तक भी पहुंचा सकती है. पेशे से चिकित्सक और दिल से खिलाड़ी ऊषा मार्शल आर्ट की इंटरनेशनल रेफरी हैं. भारत सहित श्रीलंका और मलेशिया में अंतर्राष्ट्रीय कराटे इवेंट में भाग ले चुकी हैं. भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी डॉ ऊषा को इस खेल के प्रति योगदान के लिए राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल मिल चुके हैं.

कदमा निवासी डॉ ऊषा को मार्शल आर्ट के प्रति उनकी दीवानगी ने उन्हें अनुशासन के इस खेल का खिलाड़ी से लेकर इंटरनेशनल रेफरी बना दिया है. 1998 में जेआरडी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में एक महिला को कराटे खेलते देख कर इस खेल के प्रति उनका रुझान बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. भारत सहित श्रीलंका, मलेशिया में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी ऊषा सामाजिक कार्यो से भी जुड़ी हैं और भारतीय समाज में महिलाओं के साथ हुई हालिया घटना से वह भी चिंतित है. लिहाजा अपने स्तर पर वह महिलाओं को सशक्त बनाने की योजना पर काम कर रही हैं. शीघ्र वह महिलाओं को कराटे का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही हैं, ताकि उनकी तरह अन्य महिलाएं भी बेखौफ सड़क पर आना-जाना कर सकें.

वैवाहिक जीवन रहा असफल
हर क्षेत्र में सफल रही डॉ ऊषा को अपने जीवन में एकमात्र असफलता विवाह के रूप में हाथ लगी. वर्ष 2008 में उनकी शादी हुई, लेकिन पति के साथ उनकी कभी नहीं बनी. मानसिक पीड़ा का असर उनके चिकित्सीय पेशे और मार्शल आर्ट की विद्या पर भी पड़ा. लेकिन उन्होंने दोबारा वापसी की है. अब वह अपना ज्यादातर समय क्लिनिक को दे रही हैं. महिलाओं को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण देने की योजना पर भी काम कर रही हैं.

मार्शल आर्ट देता है आत्मविश्वास
बकौल डॉ ऊषा मार्शल आर्ट आत्मविश्वास जगाता है. ब्लैक बेल्ट फस्र्ट डेन ऊषा ने अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना को साझा करते हुए बताया कि कॉलेज के दिनों में उसे एक युवक परेशान कर रहा था. एक दिन वीमेंस कॉलेज के पास उसने छेड़खानी कर दी, जिसके बाद ऊषा ने उसे एक घूंसा जड़ दिया. दोबारा उसने कभी ऐसी हरकत नहीं की. भविष्य की योजना के बारे में बताती हैं कि कोई बड़ी ख्वाहिश नहीं है, बस दिन के 24 घंटे का सौ फीसदी इस्तेमाल कर लिया तो बहुत कुछ कर सकती हूं. केवल मैं ही नहीं कोई भी इनसान.

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