
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पश्चिम एशिया मामलों के जानकार प्रोफ़ेसर आफ़ताब कमाल पाशा का कहना है कि एनडीए सरकार पश्चिम एशिया और खाड़ी के क्षेत्र में इसराइल को बहुत महत्व देती है.
प्रोफ़ेसर कमाल पाशा ने बीबीसी को बताया कि डेढ़ साल के अंदर गृहमंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इसराइल यात्रा से साफ़ है कि एनडीए सरकार की इसराइल नीति यूपीए सरकार से काफ़ी अलग है.

प्रोफ़ेसर पाशा ने कहा कि इस साल इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के भारत आने की भी उम्मीद है.
उनका कहना है कि ‘जनसंघ’ पार्टी जब जनता सरकार (1977) में शामिल हुई थी, तभी से वो इसराइल के साथ गहरे संबंध बनाने की बात करती थी. उनके मुताबिक़ बाद में अटल बिहारी वाजपयी सरकार ने सितंबर 2003 में पूरी दुनिया में अलोकप्रिय इसराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन को भारत बुलाया था.

प्रोफ़ेसर पाशा के मुताबिक़ पिछली यूपीए सरकार के दौरान ही सुरक्षा और कृषि जैसे मुद्दों पर इसराइल के साथ संबंध आगे बढ़ रहे थे, लेकिन वह सरकार इसका ज़्यादा प्रचार नहीं करती थी. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार एक संतुलित रवैया अपनाकर चल रही थी और वह ईरान, तुर्की या बाक़ी अरब देशों के साथ भी अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहती थी.
प्रोफ़ेसर पाशा मानते हैं कि भारत और इसराइल के बीच जिस तरह से दौरे हो रहे हैं, वैसा भारत को दूसरे मित्र देशों के साथ भी करना चाहिए, जो कि नहीं हो रहा है.
उनका कहना है कि भारत और इसराइल के बीच ऊर्जा ज़रूरतों, रक्षा, तकनीक और बाक़ी मुद्दों पर कई समझौते हुए हैं, और भारत जानना चाहता है कि सुषमा स्वराज के दौरे से वह और क्या हासिल कर सकता है. कमाल पाशा के मुताबिक़ इसराइल बेहतर तकनीक के लिए जाना जाता है और भारत में पानी की कमी या जल निकासी जैसी कई समस्याएं है, जिसमें इसराइल मदद कर सकता है.

प्रोफ़ेसर कमाल पाशा मानते हैं कि इसराइल भी भारत को एक महत्वपूर्ण देश के रूप में देखता है. परमाणु शक्ति होने के कारण इसराइल भारत को बहुत महत्व देता है. इसके अलावा अरब देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं और इसराइल चाहता है कि ज़्यादा से ज़्यादा अरब देश उसे मान्यता दें.

प्रोफ़ेसर कमाल पाशा के मुताबिक़ अमरीका में मौजूद अपनी लॉबी के ज़रिए इसराइल भारत की मदद करता रहा है और भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूद तनाव में वह अमरीका के रास्ते इसमें दख़ल भी दे सकता है.
प्रोफ़ेसर पाशा ने कहा कि भारत लैटिन अमरीका, आसियान, मध्यपूर्व और बाक़ी कई क्षेत्रों में अपना व्यापारिक संबंध बढ़ाने की इच्छा रखता है और इसराइल चाहता है कि दोनों देश मिलकर चलें तो इसराइल को भी इसका फ़ायदा होगा.
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