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बीसीसीएल अधिकारी बने सेना में लेफ्टिनेंट

धनबाद: बीसीसीएल में उप प्रबंधक (विक्रय विभाग) के पद पर कार्यरत देव कुमार वर्मा अब टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) में लेफ्टिनेंट की भी जिम्मेदारी भी निभायेंगे. श्री वर्मा ने आर्मी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया है. उन्होंने इस्टर्न कमांड में 12,000 अभ्यर्थियों के बीच यह उपाधि हासिल की है. हालांकि कपिल […]

धनबाद: बीसीसीएल में उप प्रबंधक (विक्रय विभाग) के पद पर कार्यरत देव कुमार वर्मा अब टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) में लेफ्टिनेंट की भी जिम्मेदारी भी निभायेंगे. श्री वर्मा ने आर्मी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया है. उन्होंने इस्टर्न कमांड में 12,000 अभ्यर्थियों के बीच यह उपाधि हासिल की है. हालांकि कपिल देव, अभिनव बिंद्रा, महेंद्र सिंह धोनी और अभिनेता मोहन लाल जैसी शख्सियतें भी आर्मी का हिस्सा हैं, पर उन्हें मानद सदस्यता मिली हुई है.
बचपन से आर्मी में जाने का थी इच्छा : कहा जाता है कि जहां चाह वहां राह. श्री वर्मा बचपन से ही इंडियन आर्मी में ज्वाइन कर देश के लिए कुछ करना चाहते थे. लेकिन ज्वानिंग प्रक्रिया में बार-बार असफल होते रहे. बावजूद इसके निराश नहीं हुए. उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और कोल इंडिया ज्वाइन कर लिया. एक दिन उनके एक दोस्त उन्हें टेरिटोरियल आर्मी के बारे में बताया, तो मानो उनके सपनों को एक बार फिर पंख लग गया हो. लेकिन कंपनी से एनओसी नहीं मिली. थोड़ा निराश हुए. लगा सपना अधूरा रह जायेगा. लेकिन उनका इरादा नहीं बदला. उन्होंने कोल इंडिया के चेयरमैन से मुलाकात की. टेरिटोरियल आर्मी ज्वाइन करने के बारे में बताया. इसके बाद उन्हें कंपनी ने अनुमति दे दी.
12,000 अभ्यर्थियों को पछाड़ बने लेफ्टिनेंट : बताते हैं कि इंडियन आर्मी के इस्टर्न कमांड से विभिन्न कंपनियों में कार्यरत 12,000 अभ्यार्थियों ने आवेदन किये थे. लिखित परीक्षा में 395 अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की. 395 सफल अभ्यर्थियों में मौखिक परीक्षा में सिर्फ 62 को ही सफलता मिली. इन 62 लोगों में सिर्फ तीन अभ्यर्थियों ही एसएसबी (सर्विस सेलेक्शन बोर्ड) में पहुंच सके. वहां पांच दिनों की स्क्रीनिंग के बाद देव कुमार वर्मा का चनय लेफ्टिनेंट के लिए हो सका. इंडियन आर्मी के इस्टर्न कमांड में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, असम व मणिपुर समेत अन्य राज्य शामिल हैं. पूरे इस्टर्न कमांड से फाइनल 40 में मात्र तीन लोग ही पहुंच सके थे, जिसमें सिर्फ श्री वर्मा का चयन हुआ है.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी : टेरिटोरियल आर्मी स्वयंसेवकों का ऐसा संगठन है, जिन्हें सैन्य प्रशिक्षण इसलिए दिया जाता है, ताकि आपात स्थिति में उनकी मदद ली जा सके. इसे देश की दूसरी श्रेणी की सैन्य टुकड़ी भी कह सकते हैं. इसमें शामिल होना रोजगार मिलना नहीं है, बल्कि इसमें रोजगार प्राप्त युवाओं को ही जगह दी जाती है. टेरिटोरियल आर्मी की शुरुआत ब्रिटिश हुकूमत ने 1920 में की थी. तब इसका नाम इंडियन टेरिटोरियल आर्मी थी. स्वतंत्रता के बाद इसके गठन की आधारशिला 1948 में पास हुई द इंडिपेंडेंस टेरिटोरियल आर्मी ऐक्ट में रखी गयी. नौ अक्तूबर, 1949 को स्वतंत्र भारत के प्रथम गर्वनर जनरल सी राजगोपालाचारी ने इसके गठन की घोषणा की. टेरिटोरियल आर्मी न सिर्फ सेना के नागरिक कार्यों की जिम्मेदारी उठाती है, बल्कि प्राकृतिक आपदा या फिर युद्ध जैसे समय में प्रशासनिक अमले की भी मदद करती है.
आवेद की क्या है प्रक्रिया :
आवेदन नि:शुल्क होता है. सिर्फ 27 रुपये का डाक टिकट लगा कर आवेदन को अपने कमांड एरिया के मुख्यालय को भेज देना होता है. इसके लिए प्रत्येक वर्ष के अप्रैल माह में आवेदन मांगे जाते हैं.
एक नजर में
देव कुमार वर्मा
पिता : राजेंद्र सोनार (वर्तमान में बीसीसीएल के गोविंदपुर एरिया के ब्लॉक फोर कोलियरी में कार्यरत)
माता : मधु देवी (गृहिणी)
पत्नी : डॉ प्रियंका कुमारी (आइएसएम धनबाद से गणित विषय से पीएचडी की उपाधि लेने के बाद वर्तमान में धनबाद के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर.)
शिक्षा : डीएवी कतरासगढ़ से वर्ष 2002 में 12वीं की परीक्षा पास की. वर्ष 2007 में राजगंज कॉलेज से भौतिकी विषय से बीएससी की परीक्षा पास की व एनआइटी दुर्गापुर से एमबीए करने के बाद जून 2010 में कोल इंडिया मुख्यालय में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी ज्वाइन किया. 2014 में कोल इंडिया से स्थानांतरण के बाद बीसीसीएल मुख्यालय कोयला भवन में जूनियर अधिकारी के रूप में ज्वाइन किया. वर्तमान में उप प्रबंधक (विक्रय विभाग) के रूप में कार्यरत हैं.

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