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दूसरों की बातों को भी ध्यान से सुनें

।। दक्षा वैदकर।।मेरी मम्मी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उनमें एक अच्छी बात यह है कि वह हर चीज जानने-समझने की कोशिश करती हैं. मुङो आज भी वह दिन याद आता है, जब मैं छोटी थी. वे पापा को दिनभर अखबार पढ़ता देख कहती थीं, ‘क्या आप भी.. दिन भर अखबार पढ़ते रहते हो, क्या […]

।। दक्षा वैदकर।।
मेरी मम्मी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उनमें एक अच्छी बात यह है कि वह हर चीज जानने-समझने की कोशिश करती हैं. मुङो आज भी वह दिन याद आता है, जब मैं छोटी थी. वे पापा को दिनभर अखबार पढ़ता देख कहती थीं, ‘क्या आप भी.. दिन भर अखबार पढ़ते रहते हो, क्या होता है उसमें?’ पापा ने एक दिन उन्हें बैठा कर समझाया कि अखबार पढ़ने के फायदे क्या-क्या हैं?

क्यों हमें देश-दुनिया की खबरें और राजनीतिक हलचलों के बारे में पता होना चाहिए? किस तरह ये सारी चीजें हमें प्रभावित करती हैं? बस फिर क्या था, मम्मी ने अखबार पढ़ना शुरू कर दिया. शुरुआत में उन्हें मुद्दे समझ नहीं आते थे. फिर वे उन्हें पापा से बात कर समझतीं. आज स्थिति यह है कि सबसे पहले अखबार मम्मी ही पढ़ती हैं. किस पेज पर कौन-सी खबर है और उसमें क्या लिखा है, कौन-सी पार्टी अच्छा काम कर रही है, जैसी तमाम बातें उन्हें पता हैं. कई बार यदि वे दिन में अखबार पढ़ने का वक्त नहीं निकाल पातीं, तो रात को सारे काम होने के बाद 12 बजे पढ़ने बैठती हैं, जब एक तरह से दूसरा दिन शुरू हो जाता है.

एक और किस्सा सुनें. मेरे भाई को हॉलीवुड की ज्ञानवर्धक फिल्में देखने का बहुत शौक है. मम्मी अकसर उसे कहती कि क्या फालतू की फिल्में देखता रहता है. ना कोई गाना है, ना कोई भावुक सीन. एक दिन भाई ने उन्हें साथ बिठा कर मैन इन ब्लैक फिल्म दिखायी. उन्हें इंगलिश नहीं आती थी, इसलिए कहानी में क्या-क्या हो रहा है, वह भी समझाया. उसके बाद से मम्मी हॉलीवुड फिल्मों की इतनी शौकीन हो गयीं कि अब वे खुद पूछती हैं कि कोई रोचक फिल्म आयी क्या? कोई अन्य महिला उनसे पूछे ले कि हॉलीवुड की फिल्मों में ऐसा क्या खास होता है? तो वे उस पर भाषण दे सकती हैं. कहती हैं कि हॉलीवुड के लोग फालतू फिल्में नहीं बनाते. वे हर चीज की गहराई से अध्ययन करते हैं. उनकी फिल्मों के विषय हम सोच भी नहीं सकते, सिर्फ कॉपी कर सकते हैं. इन उदाहरणों से मैं बताना चाह रही हूं कि कई बार हम बिना किसी चीज को जाने ही, उसके बारे में गलत धारणा बना लेते हैं. पहले चीजों को समझ तो लें.

बात पते की..

अपने दिमाग का दरवाजा खोल कर रखें. अपने विचारों को कभी-कभी एक तरफ रख कर, दूसरों की बात को भी समझने की कोशिश करें.

किसी भी चीज को सीखने की कोई उम्र नहीं होती. जब जागो, तब सवेरा. कोई आपको यदि अच्छी चीज बताये, तो उसे तुरंत ग्रहण करें.

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