कभी आपने सोचा है कि शराब किसी इंसान की पर्सनैलिटी और हाव भाव को किस तरह से प्रभावित करती है.
अमरीका की मिज़ूरी यूनिवर्सिटी की रेचल विनोग्राड ने सबसे पहले इस पहलू का अध्ययन करके बताया है कि शराबी चार अलग तरह के होते हैं.
रेचल के अनुसार अब तक के प्रयोगों में ये देखने की कोशिश हुई है कि शराब का असर कितने समय में कैसा होता है और कौन शराब के नशे में आत्म नियंत्रण कर पाता है. लेकिन अब तक इसके पर्सनैलिटी पर असर पर ज़्यादा बात नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, “हम सभी लोग इस मुद्दे पर बात करते हैं कि शराब के नशे में लोग कैसे अलग नज़र आते हैं? कोई बेहतर शराब पीने वाला और कोई बुरे तरीके से शराब पीना वाला क्यों है? शराब के नेश के असर के बारे में समझ और जानकारी में ये गैप था.”
शराब के प्रभाव का चित्रण 16वीं शताब्दी के एक एलिज़ाबेथन व्यंग्यकार के नाटकों में मिलता है.
इनमें शराबियों को आठ तरह का बताया गया है, अलग अलग जीवों के नाम पर. इनमें ‘एप ड्रंक’ यानी लंगूर जैसे नशे वाला (जो शराब पीकर नाचता, गाता है) बताया गया है, किसी को ‘स्वाइन ड्रंक’ यानी सूअर जैसे नशे वाला (जो भारी भरकम है और पीकर पड़ा रहता है) और किसी को ‘गोट ड्रंक’ यानी बकरी जैसे नशे वाला (नशा करके दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर न देने वाला) बताया गया है.
जैसा कि नाम से जाहिर है, इसमें इंसान की स्थिति नशा करने के बाद उस ख़ास जानवर की तरह हो जाती है.
हालांकि इस तरह से मनोवैज्ञानिकों ने कभी शराब के असर को आंकने की कोशिश नहीं की.
लेकिन विनोग्राड ने सैकड़ों छात्रों और उनके दोस्तों के बीच प्रयोग किया. उन्हें और उनके दोस्तों को ने शराब पीने के बाद के उनके व्यक्तित्व के बारे में सवाल पूछे गए और जवाब रिकॉर्ड किए गए.
इसका मतलब उन्हें ख़ुद के बारे में पूछा गया कि वो नशे के बाद ख़ुद को किस तरह से आंकते हैं. फिर उन्हें अपने दोस्त के बारे में पूछा गया नशे के बाद वो उसको किस तरह से आंकते हैं.
इन जवाबों के आधार पर रेचल विनोग्राड ने इस प्रयोग में भाग लेने वाले हर इंसान के व्यक्तित्व और ख़ास चारित्रिक गुणों मसलन, ईमानदारी, संकोच और सहमती के आधार पर आंका.
विनोग्राड और उनकी सुपरवाइज़र ने इसके बाद व्यावहारिक गुणों के आधार पर शराबियों के चार तरह के होने की घोषणा की है.
ख़ास बात ये है कि इनके नाम पापुलर आयकन्स के नाम पर दिए गए हैं.
इन चारों के नाम इस तरह से हैं-
1. अर्नेस्ट हेमिंग्वे- इस वर्ग के शराबी नशे के बाद भी लेखक हेमिंग्वे की तरह अपनी बौद्धिकता को कायम रखते हैं, उनकी तर्क क्षमता ज़्यादा प्रभावित नहीं होती है. उनमें मामूली बदलाव भर होता है.
2. मेरी पोपिन्स- इस वर्ग के शराबी नशे का जश्न भी मनाते हैं और रात भर पीने के बावजूद होश में रहते हैं, ज़िम्मेदार बने रहते हैं.
3. द नट्टी प्रोफेसर- यह वर्ग वैसे शराबियों का है जो संकोची होते हैं, लेकिन शराब के नशे के साथ ही वो खुलने लगते हैं और कई बार रिस्क भी लेने लगते हैं.
4. मिस्टर हाइड – यह उन शराबियों को कहा जाता है जो पीने के बाद किसी से सहमत नहीं होते, कम ईमानदार हो जाते हैं और ज़्यादा पीने के बाद ज़्यादा गैर ज़िम्मेदार हो जाते हैं.
दिलचस्प ये है कि ज़्यादातर लोग अर्नेस्ट हेमिंग्वे की तरह होते हैं. जबकि 15 फ़ीसदी लोग मेरी पोपिन्स की तरह होते हैं.
हालांकि रेचल विनोग्राड के अनुसार इन नतीजों किसी तरह का वैज्ञानिक आकलन नहीं मानना चाहिए.
विनोग्राड कहती हैं, “हमें नहीं लगता है कि हमने अभी पूरी तरह से सभी बारीकियों को कैप्चर किया है. लेकिन लोग इसे आसानी से समझ सकते हैं और अपने एवं अपने परिवार वालों पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.”
वैसे लोग आपस में शराब या बीयर पीते हुए भी एक दूसरे को आंकते हैं और बदलावों को भांपते हैं.
यह भी देखना कम दिलचस्प नहीं होता है कि विभिन्न परिस्थितियों में किस तरह से लोगों के पीने की प्रवृति में बदलाव होता है. ये भी संभव है कि किसी रात आपका व्यवहार द नट्टी प्रोफेसर जैसा हो और दूसरी रात मिस्टर हाइड जैसा.
इस मसले पर और व्यापक समझ के लिए विनोग्राड अपने प्रयोग को फ़िल्माने पर काम कर रही हैं ताकि स्वतंत्र विशेषज्ञ शराबियों के व्यवहार का विश्लेषण कर पाएं.
उन्हें ये भी उम्मीद है कि उनके काम से शराब पीने और उससे होने वाली मुश्किलों को समझने में मदद मिलेगी. वह कहती हैं, “हो सकता है कि इससे हल्की फुल्की बात शुरू हो, लेकिन इसका चिकित्सीय प्रभाव भी हो सकता है. हो सकता है कि लोग यह महसूस करने लगें कि नशे में होने के बाद लोग उनकी उपस्थिति को उतना पसंद नहीं कर रहे हैं, जितना कि वो सोचते थे.”
अंग्रेज़ी में मूल लेख यहां पढ़ें, जो बीबीसी फ़्यूचर पर उपलब्ध है.
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