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एक कॉलेज से निकले तीन भारतरत्न

।। सेंट्रल डेस्क।। -बेंगलुरु का प्रतिष्ठित सेंट्रल कॉलेज-वैज्ञानिक प्रो सीएनआर राव को भारत रत्न मिलने पर बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज के हिस्से में एक और उपलब्धि जुड़ गयी है. इस कॉलेज से पढ़े तीन दिग्गज भारत रत्न से सम्मानित हो चुके हैं. बेंगलुरु विश्वविद्यालय का सेंट्रल कॉलेज प्रो सीएनआर राव को भारत रत्न दिये जाने […]

।। सेंट्रल डेस्क।।

-बेंगलुरु का प्रतिष्ठित सेंट्रल कॉलेज-
वैज्ञानिक प्रो सीएनआर राव को भारत रत्न मिलने पर बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज के हिस्से में एक और उपलब्धि जुड़ गयी है. इस कॉलेज से पढ़े तीन दिग्गज भारत रत्न से सम्मानित हो चुके हैं. बेंगलुरु विश्वविद्यालय का सेंट्रल कॉलेज प्रो सीएनआर राव को भारत रत्न दिये जाने पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है. भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी और सर एम विश्वेश्वरैया के बाद प्रो राव सेंट्रल कॉलेज से पढ़ने वाले और भारत रत्न से सम्मानित होनेवाले तीसरे व्यक्ति हैं. इस ऐतिहासिक कॉलेज से निकल कर प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचने और यश हासिल करने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है. इस संस्थान से नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्मानित महान भौतिकविद सर सीवी रमन का भी नाम जुड़ा है. उन्होंने कॉलेज के छात्रों को रमन प्रभाव के बारे में बताया था.

राव ने ली थी बीएससी की डिग्री : प्रो सीएनआर राव ने सेंट्रल कॉलेज, बेंगलुरु से ही बीएससी की डिग्री ली थी. इसी कॉलेज में पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपने अंगरेजी और संस्कृत ज्ञान को समृद्ध किया. राजाजी के नाम से मशहूर राजगोपालाचारी ने भी बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज और मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की थी. सर एम विश्वश्वरैया ने 1881 में सेंट्रल कॉलेज, बेंगलुरु से ही बीए की पढ़ाई पूरी की थी.

लौटेगी गरिमा: हालांकि सेंट्रल कॉलेज से निकल कर ऊंचाई पर पहुंचने वाले और भी कई नाम हैं, पर पिछले कुछ दशकों में कॉलेज की गरिमा धुंधली हुई है. इस बात को लेकर किच-किच हुई है कि सेंट्रल कॉलेज, बेंगलुरु को नये गठित होनेवाले डीवीजी ज्ञान वाहिनी विश्वविद्यालय में भेजा जायेगा. पर बेंगलुरु विश्वविद्यालय ने इसका विरोध किया. विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बी थिम्मे गौड़ा के अनुसार, सेंट्रल कॉलेज बेंगलुरु विश्वविद्यालय का हृदय है. चूंकि बेंगलुरु विश्वविद्यालय का जन्म ही सेंट्रल कॉलेज से हुआ था, इसलिए इसका विश्वविद्यालय के साथ भावनात्मक रिश्ता जुड़ा हुआ है. सेंट्रल कॉलेज के लिए सबसे दुखदायी यह रहा है कि केवल रसायन शास्त्र विभाग को छोड़ क र सभी विभाग को कॉलेज कैंपस से ज्ञान भारती कैंपस में शिफ्ट कर दिया गया है. यही नहीं, नेशनल लॉ स्कूल के लिए भी जगह नहीं दी गयी. यह वैसे संस्थान के लिए बहुत पीड़ादायक रहा है, जहां से कई स्ट्रीम और विषयों में शोधकर्ता हुए हैं. बी थिम्मे गौड़ा ने नये कोर्सो को शामिल करने और शोध कार्यो को बढ़ावा देकर कॉलेज की गरिमा को फिर से लौटाने की प्रतिबद्धता जतायी है.

सेंट्रल कॉलेज का इतिहास

सेंट्रल कॉलेज, बेंगलुरु की स्थापना ब्रिटिश सरकार ने 1886 में की थी. बाद में यूजीसी ने 1964 में इसका नाम बदल कर बेंगलुरु विश्वविद्यालय कर दिया. दरअसल बेंगलुरु विश्वविद्यालय का निर्माण मैसूर विश्वविद्यालय से अलग करके किया गया था, जो कि 1973 तक सेंट्रल कॉलेज से ही चलता रहा था. जब ज्ञान भारती कैंपस का निर्माण हुआ, तब विश्वविद्यालय का कैंपस वहां शिफ्ट हो गया.

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