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अनुभव के बिना नौकरी पाने में हो सकती है कठिनाई

अच्छी नौकरी पाने के लिए छात्र प्रोफेशनल डिग्री पाने पर तो पूरा जोर देते हैं, लेकिन एक्सपीरियंस हासिल करने के लिए वे ज्यादा मशक्कत नहीं करते. जबकि इन दिनों कंपनियां ऐसे ही कर्मचारियों को नौकरी पर रखना पसंद कर रही हैं, जिनके पास डिग्री के साथ काम का अच्छा अनुभव भी हो. यूंतो पहले भी […]

अच्छी नौकरी पाने के लिए छात्र प्रोफेशनल डिग्री पाने पर तो पूरा जोर देते हैं, लेकिन एक्सपीरियंस हासिल करने के लिए वे ज्यादा मशक्कत नहीं करते. जबकि इन दिनों कंपनियां ऐसे ही कर्मचारियों को नौकरी पर रखना पसंद कर रही हैं, जिनके पास डिग्री के साथ काम का अच्छा अनुभव भी हो.

यूंतो पहले भी कंपनियां नौकरी देने के मामले में अनुभवी कर्मचारियों को प्राथमिकता देती रही हैं, लेकिन अब कंपनियों के लिए आवेदक का कार्यानुभव उसकी डिग्री से भी ज्यादा मायने रखने लगा है.

बिजनेस स्कूलों के एसोसिएशन ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल (जीएमएसी) द्वारा हाल में कराये गये एक सर्वे में यह बात सामने आयी है कि एक्सपीरियंस और इंडस्ट्री एक्सपोजर की कमी के चलते इस वर्ष देश के कई मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को नौकरी नहीं मिल सकी है. सर्वे में पाया गया कि 2013 में भारत के जिन मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को नौकरी नहीं मिली, उसकी बड़ी वजह इंडस्ट्री एक्सपोजर की कमी रही. तकरीबन 47 फीसदी ग्रेजुएट्स को इस वजह से जॉब नहीं मिल पायी, जबकि 29 फीसदी ने कम वेतन के चलते नौकरी ठुकरा दी. 29 फीसदी ग्रेजुएट्स के लिए जॉब नहीं मिलने का कारण आवश्यकता से ज्यादा क्वालिफाइड होना रहा. इस सर्वे में दुनिया के 129 बिजनेस स्कूलों के कुल 915 छात्रों को शामिल किया गया. इनमें अमेरिका के 433, भारत के 129, लैटिन अमेरिका के 109, बाकी एशिया से 96, ऑस्ट्रेलिया से 89, कनाडा से 25 और मिडिल इस्ट/अफ्रीका रीजन के 20 पूर्व एमबीए छात्रों को शामिल किया गया. ग्लोबल लेवल पर इस साल एमबीए और अन्य मास्टर डिग्री वालों के लिए रोजगार मिलने का ट्रेंड पिछले पांच वर्षो के औसतन हिसाब से बेहतर रहा.

कुल मिला कर इस वर्ष तकरीबन 90 फीसदी एमबीए छात्रों को जॉब मिलने में सफलता हाथ लगी. हालांकि, पिछले साल यानी 2012 में तकरीबन 92 फीसदी छात्रों को जॉब मिली थी. हालांकि, पांच वर्ष पहले यह आंकड़ा तकरीबन 84 फीसदी था. इस वर्ष यानी 2013 के क्लास के जॉब आंकड़े अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग रहे.

सर्वे में शामिल 95 फीसदी अमेरिकी छात्रों को जॉब मिल गयी, जबकि लैटिन अमेरिका में यह आंकड़ा 87 फीसदी रहा. भारत में 87 फीसदी, यूरोप में 82 फीसदी और एशिया के बाकी देशों में 85 फीसदी छात्र जॉब पाने में सफल हुए. सर्वे के वक्त 2013 में पास होनेवाले 10 फीसदी छात्र बेरोजगार थे, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा आठ फीसदी था. सर्वे में शामिल तीन चौथाई (74 फीसदी) छात्रों का कहना था कि उन्होंने अगर एमबीए नहीं किया होता, तो उन्हें जॉब नहीं मिलती.

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