वाशिंगटन : पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से दी जाने वाली मदद से पहले विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्री से अलग-अलग प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य बनाकर अमेरिकी कांग्रेस ने इस मदद पर लागू होने वाली शर्तों को पिछले वर्षों की तुलना में कडा कर दिया है. कांग्रेस के नेताओं द्वारा कल जारी किए गए विधेयक के अनुसार, पाकिस्तान को किसी भी सैन्य और गठबंधन सहयोग कोष उपलब्ध करवाने से पहले विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्री से अलग-अलग प्रमाणपत्र लेने होंगे.
इस विधेयक के अनुसार, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को यह प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान सरकार हक्कानी नेटवर्क, क्वेटा शूरा तालिबान, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, अल-कायदा और अन्य घरेलू एवं विदेशी आतंकी समूहों के खिलाफ आतंकवाद रोधी प्रयासों में अमेरिका के साथ सहयोग कर रही है.
उन्हें यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान ऐसे संगठनों को मिलने वाले सहयोग को खत्म करने के लिए, आतंकवादियों को पाकिस्तान में ठिकाना बना लेने या वहां संचालन करने से रोकने के लिए और पडोसी देशों में सीमा पार हमले बोलने से उन्हें रोकने के लिए कदम उठा रहा है.
इस विधेयक में किसी देश विशेष के नाम का जिक्र नहीं है. हालांकि भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान में उन आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध होने का आरोप लगाया है, जो सीमा पार आतंकवाद में संलिप्त हैं.
इसके अलावा दोनों मंत्रियों को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान अमेरिका के खिलाफ या अफगानिस्तान में तैनात गठबंधन बलों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का समर्थन नहीं कर रहा है और पाकिस्तान की सेना एवं खुफिया एजेंसियां अपने देश की राजनीतिक और न्यायिक प्रक्रियाओं में न्यायेर हस्तक्षेप नहीं कर रही हैं.
इसके तहत मंत्रियों को यह प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान परमाणु सामग्री और विशेषज्ञता के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, न्यायिक स्वतंत्रता एवं कानूनी प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए नीतियां लागू कर रहा है और पाकिस्तान में आतंकवाद रोधी प्रयासांे एवं सहायता कार्यक्रमों से जुडे लोगों को अमेरिका आने के लिए तय समय में वीजा उपलब्ध करा रहा है.
विधेयक में कहा गया कि रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री आपस में परामर्श कर मामले-दर-मामले के आधार पर प्रतिबंध में छूट भी दे सकते हैं. इसके लिए उन्हें कांग्रेस की रक्षा समितियों को यह लिखित में देकर प्रमाणित करना होगा कि ऐसा करना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है.
हालांकि यह विधेयक पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय मद में 3.3 करोड डॉलर की राशि को तब तक रोककर रखता है, जब तक डॉ शकील अफरीदी को जेल से रिहा नहीं कर दिया जाता और उन पर लगे सभी आरोप हटा नहीं लिए जाते। ऐसा माना जाता है कि अफरीदी ने ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में सीआईए की मदद की थी.
विधेयक में कहा गया कि विदेश मंत्री को इस संदर्भ में कांग्रेस के समक्ष छमाही रिपोर्ट जमा करानी होगी और यदि किसी भी रिपोर्ट में ये संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान ऐसे लक्ष्यों या मापदंडों पर खरा उतरने में विफल रहा है तो उन्हें पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद निलंबित कर देनी चाहिए.