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उत्सजर्न थमा पर धरती गरम

दुनियाभर में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सजर्न अगर थम भी जाये, तो भी वर्तमान समय में हमारी धरती के वायुमंडल में जितना कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद है, वह सैकड़ों वर्षो तक धरती को गरम करने के लिए काफी है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अध्ययन करते हुए यह आशंका जाहिर […]

दुनियाभर में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सजर्न अगर थम भी जाये, तो भी वर्तमान समय में हमारी धरती के वायुमंडल में जितना कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद है, वह सैकड़ों वर्षो तक धरती को गरम करने के लिए काफी है.

साइंस डेली के मुताबिक, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अध्ययन करते हुए यह आशंका जाहिर की है. हाल ही में मौसम परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आइपीसीसी) ने अनुमान व्यक्त किया है कि वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है. इससे मौसम का चक्र प्रभावित हो सकता है.

इस तरह की स्थिति से बचने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सजर्न में बेहद कमी लानी होगी और इसका स्तर एक हजार अरब टन कार्बन के स्तर से कम करना होगा. इसका मतलब यह हुआ कि मौजूदा समय में उद्योगधंधों और कारखानों से निकलनेवाले उत्सजर्न को आधा करना होगा. यदि इस संबंध में मुकम्मल उपाय किये जाएं तो एक शताब्दी के बाद हमारी धरती के तापमान में महज 0.37 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी हो पायेगी. और यदि अगले 400 वर्षो तक यह सिलसिला जारी रहा तो हालात बेहतर होने की उम्मीद जतायी गयी है. बताया गया है कि उद्योगधंधों के प्रारंभिक काल से अब तक धरती तकरीबन एक डिग्री सेल्सियस गरम हो चुकी है.

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