मेरे एक मित्र हैं, जो वैसे तो बहुत खुश मिजाज हैं, लेकिन ऑफिस पहुंचते ही उनके हाव–भाव बिलकुल बदल जाते हैं. उनसे मैंने पूछा कि आपको ऑफिस में पहचानना तो नामुमकिन है. आपका व्यक्तित्व बिलकुल बदल जाता है.
कोई पहचान ही नहीं सकता कि आप घर में, दोस्तों के साथ इतना हंसने–खिलखिलाने वाले इनसान हैं. ऐसा क्यों? उन्होंने जवाब दिया, ‘यदि मैं ऑफिस में सभी से हंसने लगा, तो लोग मुझे हलके में लेंगे. डरेंगे नहीं. इससे मेरे पद की गरिमा कम हो सकती है. इसलिए मैं गंभीर नजर आता हूं, ताकि लोग मुझसे डरें.’
अपने इस मित्र की बात से मैं सहमत नहीं हूं. ऑफिस हो या घर हो. दोस्त हो या कर्मचारी. चेहरे पर हल्की–सी मुसकुराहट आपको लोगों से जोड़ने का काम करती है. हमें इस बात को जान लेना चाहिए कि वर्तमान समय में हर कोई हंसता–खिलखिलाता चेहरा देखना चाहता है. वह ऐसे इनसान से बात करना चाहता है, जो उन्हें मुसकुराहट दे सके.
गंभीर चेहरा बना कर रखनेवाले इनसान को न कोई पसंद करता है और न ही उससे कोई प्रेरणा लेना चाहता है. कभी–कभी गंभीर दिखना अच्छी बात है, लेकिन हमेशा गंभीर दिखना आपकी छवि खराब करता है. लोग आपको खड़ूस समझने लगते हैं. उन्हें लगता है कि आप घमंडी हैं और अन्य लोगों को तुच्छ समझते हैं. ऐसी छवि बन जाने पर लोग आपसे दूर जाने लगते हैं.
बेहतर है कि हम हमेशा हंसते–मुसकुराते नजर आयें. खुद भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें. बेवजह चेहरे पर नकली गंभीरता न ओढ़ें. हो सकता है कि आपके जीवन में कई मुश्किलें आयी हों, जिसकी वजह से आप गंभीर हो गये. आपने मुसकुराना छोड़ दिया, लेकिन आखिर यह कब तक.
आपको इस गंभीरता को खत्म करना होगा और खुद का व्यक्तित्व कुछ इस प्रकार का बनाना होगा कि लोग आपसे प्रेम करें, आपका मुसकुराता चेहरा देख कर अपने गम भूल जाएं, आपसे हमेशा मुसकुराने की प्रेरणा लें. इससे यह फायदा होगा कि आप अपना काम रिलेक्स हो कर कर सकेंगे.
बात पते की..
– गंभीर विषयों पर गंभीर चेहरा जरूर बनायें. ऐसे वक्त भी अगर आप हंसने लगेंगे, तो लोग आपको बेवकूफ ही समङोंगे.
– लोगों को अपना बनाने की कला सीखें. यह गंभीर चेहरा बनाने से नहीं होगा. आपकी मुसकुराहट ही उन्हें आपकी ओर आकर्षित करेगी.