दक्षा वैदकर
हर गुरुवार को हमारे ऑफिस में एक पंडित जी आते हैं. एक घंटे तक फोन पर लोगों की काउंसलिंग के बाद जब वे फ्री हो जाते हैं, तो हम दोनों ही चाय पीने पास की एक दुकान पर जाते हैं. इस गुरुवार जब उन्होंने काउंसलिंग खत्म की और मैंने चाय का पूछा, तो वे बोले कि बस एक ई-मेल करना है. उसके बाद चलते हैं. पांच-दस मिनट बाद वे बोले, मेरी वजह से आपको इंतजार करना पड़ रहा है.
आपका समय बर्बाद हो रहा है. तब मैंने उन्हें हंसते हुए कहा- मैं अपना समय बर्बाद नहीं होने देती. आप जब तक अपना काम कर रहे थे, मैंने तब तक दूसरे दिन के लिए सक्सेस सीढ़ी का कॉलम एडवांस में लिख लिया. अब मुझे कल थोड़ा कम काम करना होगा. वे बोले- इसे कहते हैं स्मार्ट वर्किंग. मैंने सोचा कि अपने साथ घटी इस छोटी-सी घटना पर कॉलम लिखा जाये. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार लोग इस तरह टाइम मैनेज नहीं कर पाते और लोगों के इंतजार में समय बर्बाद कर देते हैं. हम अगर थोड़ी-सी स्मार्टनेस दिखाएं, तो हमारा समय बर्बाद होने से बच सकता है.
वैसे गृहणियों में यह कुशलता ज्यादा होती है. उन्हें पता होता है कि किस तरह खाना जल्दी बन सकेगा. वे आटा सबसे पहले गूंथ कर रख देती हैं, ताकि जब तक सब्जी बने, तब तक आटा फूल चुका हो. वे कुकर में आलू उबलने के लिए रखने के बाद प्याज, टमाटर वगैरह काटती हैं, ताकि आलू उबलने तक समय बर्बाद न हो.
अगर वे सब्जी के लिए प्याज, टमाटर पहले काट लेंगी और बाद में आलू उबालेंगी, तो उन्हें सब्जी बनाने के लिए आलू उबलने तक का इंतजार करना पड़ेगा. इस तरह वे टाइम मैनेज करती हैं और स्मार्ट वर्किंग से जल्दी खाना बना लेती हैं. ऐसे कई लोग हैं, जो यात्रा के दौरान लैपटॉप पर अपना काम कर लेते हैं. ऐसे स्मार्ट बच्चे भी हैं, जो पढ़ाई भी स्मार्ट तरीके से करते हैं.
अगर घर में शोर-गुल हो रहा हो, तो ऐसे वक्त में वे याद करने का कोई काम नहीं करते. वे सिर्फ लिखने का काम करते हैं, जिसमें शोर-गुल से फर्क नहीं पड़ता. ऐसे भी लोग हैं, जो कहीं भी इंतजार करने जैसा मौका आने पर अपने परिजनों को फोन लगा कर हालचाल पूछ लेते हैं.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– कभी भी, किसी के इंतजार में भी खाली न बैठें. सोचें कि इस वक्त बैठे-बैठे अपना कौन-सा काम आप निबटा सकते हैं.
– अपने साथ ऐसे छोटे-मोटे काम साथ ले कर चलें, जो कहीं भी वक्त मिलते ही आप पूरे कर सकते हैं. इस तरह आप इंतजार में बोर नहीं होंगे.