झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में घूस लेने की शिकायत पर एक उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया है. राज्य से भ्रष्टाचार मिटाने की मुहिम के आरंभ के रूप में यह एक अच्छा कदम हो सकता है. लेकिन, झारखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार को समूल मिटाने के लिए ऐसे छोटे-छोटे संदेश पर्याप्त नहीं हैं. यहां किसी बड़ी पहल की जरूरत है. इससे पूर्व भी जब मुख्यमंत्री दुमका पहुंचे थे, तो वहां एक अस्पताल भवन के निर्माण की गुणवत्ता पर नाराजगी जतायी थी. जांच के बाद संबंधित इंजीनियर पर कार्रवाई करने की बात कही थी.
लेकिन, आज तक उस मामले में क्या कार्रवाई हुई, यह किसी को पता नहीं है. वहीं शिकारीपाड़ा के भिलाईपानी में फैलिन प्रभावितों को मुआवजा देने के एवज में एक एसआइ पर घूस लेने का आरोप वहां के प्रधान ने लगाया. मुख्यमंत्री ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एसआइ को निलंबित करने का आदेश दिया. इसी तरह बालू के मुद्दे पर पूरे राज्य में हंगामा हुआ. बालू घाटों की नीलामी में बाहरी कंपनियों के बोलबाले पर लगातार राज्य के अधिकांश जिलों में हंगामा हुआ. मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर भी देर से ही सही, लेकिन बाद में नीलामी पर रोक लगा दी. शेष बचे जिलों में बंदोबस्ती पर रोक लगा दी गयी. मुख्यमंत्री को ऐसे ही बड़े कदम उठाने की जरूरत है. वहीं दुमका में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने यह स्वीकारा है कि झारखंड आतंकियों का सेफ जोन बना हुआ है.
मुख्यमंत्री को इससे निबटने के लिए व्यापक उपाय करने चाहिए. राज्य में आतंकियों का प्रभाव बढ़ना झारखंड के साथ-साथ पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है. इस मुद्दे पर यहां के सभी राजनेताओं को एक साथ मिल कर मंथन करने की जरूरत है. समय रहते झारखंड से आंतकियों का सफाया होना चाहिए. झारखंड यूं भी अब तक विकास के लिए तरस रहा है. ऐसे में आतंकी गतिविधि बढ़ने से राज्य की बदनामी होगी. यहां के पुलिस-प्रशासन और खुफिया विभाग को भी सतर्क रहने की जरूरत है. पुलिस प्रशासन को इस पर पूरी सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए. झारखंड में सुधार के लिए सरकार व प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती से कड़े कदम उठाने चाहिए. तभी इस राज्य का भला हो सकेगा.