जमशेदपुर : आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. यह हिंदू धर्मावलंबियों के लिए पावन एवं महत्वपूर्ण त्योहार है. पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सोमवार (26 अक्तूबर) की रात्रि 8:15 बजे से हो रही है जो मंगलवार, 27 अक्तूबर की संध्या 5:53 बजे तक रहेगी. शरद पूर्णिमा में महालक्ष्मी की पूजा का वेशेष महत्व होता है. यह पूजा आश्विन मास की निशीथ व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को की जानी चाहिए.
इसी दिन महालक्ष्मी व्रत एवं पूजन करना चाहिए. हालांकि कोजागरा भी हमें इसी दिन मनानी चाहिए, किन्तु मिथिला पंचांग के अनुसार यह व्रत मंगलवार, 27 अक्तूबर को है. किन्तु सत्यनारायण व्रत तथा स्नान-दान आदि की पूर्णिमा हमें 27 अक्तूबर को मनानी होगी. रात्रि के समय लगभग निशीथ काल (मध्य रात्रि) के समय महालक्ष्मी का सविधि पूजन करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी मध्य रात्रि के पश्चात हाथ में वर लेकर घूमने निकलती हैं तथा भक्तों को धन-वैभव प्रदान करती हैं. चूकिं इसमें रात्रि जागरण का विशेष विधान है, इसलिए कौन जाग रहा है, ऐसा सोचते हुए ही मां लक्ष्मी भ्रमण करती हैं. इसी से इस व्रत को मिथिला में कोजागरा भी कहते हैं. यह पूजन हमें चंद्रोदय के पश्चात वं मध्य रात्रि में ही की जानी चाहिए.
व्रत की कथा : कथा आती है कि एक साहूकार की दो पुत्रियां थीं. दोनों ने महालक्ष्मी का व्रत रखा. बड़ी पुत्री ने व्रत को विधान के साथ पूरा किया, किन्तु छोटी बेटी ने व्रत को अधूरा छोड़ दिया. इसके बाद विवाहोपरांत छोटी बेटी की कोई भी संतान जीवित नहीं रहती थी. उसके जब एक पुत्र हुआ तो उसे साहूकार की बड़ी बेटी ने छू दिया और वह जिंदा रह गया. तभी से मान्यता है कि इस व्रत को कने से संतान सुख एवं वैभव आदि की प्राप्ति होती है. पूजन का समय : रात्रि 11:24 से 12:11 बजे तक, चंद्रोदय : संध्या 4:26:16 बजे, चंद्रास्त : मंगलवार प्रात: 5:18:27 बजे सत्यनारायण व्रत 27 को : मंगलवार (27 अक्तूबर) की प्रात: व्रती को स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें, उसके बाद पूर्णिमा के निमित्त दान आदि करें.
इसी दिन वार्षिक एवं मासिक सत्यनारायण कथा का भी आयोजन किया जायेगा. वैसे तो सत्यनारायण व्रत की कथा किसी भी दिन सुनी जा सकती है, किन्तु वैशाख, श्रावण, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, माघ मास की पूर्णिमा के दिन इसका विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन कम से कम देवालयमें जाकर भगवान को जल एवं पुष्प अवश्य अर्पित करना चाहिए. 27 को चंद्रोदय का समय : 5:15:16 बजे, व्रत एवं पूजा का उत्तम समय : प्रात: 8:39 से 12:54 तक, व्रत एवं पूजा का अत्युत्तम समय : 11:15 से 12:50 तक, पूजा के लिए वर्जित समय : अपराह्न 2:19 से 3:45 बजे तक आरोग्य लाता है
शरद पूर्णिमा का चांद : शरद पूर्णिमा की रात्रि के चंद्रमा से विशेष किरणें निकलती हैं. मान्यता के अनुसार यदि इस रात में चांदी अथवा कांसे के बरतन में गो दुग्ध, घृत एवं अरवा चावल से खीर बना कर खुली चांदनी में रात भर रखा जाय तो वह भोग बन जाता है. प्रात: काल उसके सेवन से दमा, कई प्रकार के चर्म रोग आदि जैसी अनेक दु:साध्य बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं. हालांकि प्रदूषण बढ़ने के कारण अब ऐसी खीर को रात में मलमल के कपड़े से ढंक कर रखने की सलाह दी जाती है.