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युवाओं को संगठन में जोड़ रहे नक्सली

राजमहल : गुरुवार को जिस मंडल सोरेन उर्फ होरो को पुलिस ने नक्सली होने के शक पर गिरफ्तार किया है उसके बारे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रहीं हैं. उसके घर से पुलिस की माफिक वरदी बरामद की गयी है. वह इसे पहन कर गांव में घूमता भी था. जब गांव वाले इस […]

राजमहल : गुरुवार को जिस मंडल सोरेन उर्फ होरो को पुलिस ने नक्सली होने के शक पर गिरफ्तार किया है उसके बारे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रहीं हैं. उसके घर से पुलिस की माफिक वरदी बरामद की गयी है. वह इसे पहन कर गांव में घूमता भी था. जब गांव वाले इस वरदी के बारे में पूछते थे तो वह कहता था वह पुलिस विभाग में नौकरी करता है.
ऐसे में वो पिछले एक साल से गांव वालों को धोखे में रख रहा था. जबकि ग्रामीणों को यह पहले ही संदेह हो चुका था कि वो पुलिस विभाग में नहीं है, वो झूठ बोल रहा था.
आदिवासी युवाओं को देता था प्रलोभन
ग्रामीणों के अनुसार मंडल एक सप्ताह बाहर रहता था और एक सप्ताह घर में. साथ ही तालझारी थाना क्षेत्र के पहाड़ों पर बसने वाले आदिवासियों को संगठन से जोड़ने का काम करता था. अब पुलिस पूरी तहकीकात में जुट गयी है कि मामले में कहां तक सच्चाई है.
तालझारी इलाके में सक्रिय है ताला दा
सूत्रों की मानें तो हाल के दिनों में एरिया कमांडर ताला दा का नक्सली संगठन सक्रिय है. तालझारी के इलाके में इस गिरोह की पकड़ मजबूत बतायी जाती है. खबर यहां तक है कि इस गिरोह में इलाके की कई महिलाएं भी शामिल हो चुकी हैं. संगठन के सदस्यों को प्रत्येक गॉव में एक एक नया सदस्य जोड़कर असम ले जाकर प्रशिक्षण देते हैं.
नक्सलियों का गढ़ रहा है साहिबगंज
साहिबगंज जिला हमेशा से नक्सलियों का गढ़ रहा है. लेकिन सरकार ने इस जिला को हमेशा से हल्के में लिया. आज जब दो संदिग्ध नक्सली पकड़े गये हैं तो पुलिस प्रशासन के पसीने छूटने लगे हैं. बता दें कि शुरुआती दिनों में साहिबगंज के बरहेट में शांतिपाल का बड़ा नक्सली ग्रुप सक्रिय था.
हालांकि हाल के दिनों में पुलिस की लिस्ट में कोई नक्सली गतिविधि नहीं होने के कारण शायद इसपर ध्यान नहीं दिया गया हो. लेकिन जिस परिस्थिति में संदिग्ध नक्सली मंडल सोरेन उर्फ होरो व सकल बास्की को गिरफ्तार किया गया है वह इस इलाके में दमदार नक्सली संगठन के संचालन की ओर इशारा करता है. हालांकि दोनों गिरफ्तार से पुलिस गहन पूछताछ कर रही है.
बरहेट से हार्डकोर के ताल्लुकात
दो वर्ष पहले बरहरवा के बरहेट में असम लिब्रेशन आर्मी का एक हार्डकोर नक्सली आरपीएफ के हत्थे चढ़ा था. वह बरहेट में रह कर असम में नक्सली गतिविधियों का संचालन करता था. इस गिरफ्तारी के समय यह भी कयाश लगाया जा रहा था कि वह यहां के युवाओं को अपने नक्सली संगठन में जोड़ रहा था. दो साल पूर्व साहिबगंज के रैंकी कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर के अपहरण कांड में इस गिरोह का हाथ बताया जा रहा था.
खबर है कि तालझारी के जंगलों में नक्सलियों का बड़ा कुनबा इलाके के भोले-भाले आदिवासियों को प्रशिक्षण दे रही है. कुछ युवाओं को विशेष प्रशिक्षण के लिए असम ले जाया जाता है. वहां से वे ट्रेंड होकर आते हैं और संताल परगना में घटनाओं को अंजाम देते हैं.

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