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मदद करने वालों का अहसान कभी न भूलें

दक्षा वैदकर बात उस समय की है, जब स्वामी रामतीर्थ बीए की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. उस समय उनके पास परीक्षा शुल्क भरने के लिए पूरे पैसे नहीं थे. अपने पास जमा पूरे धन के बाद भी पांच रुपये कम पड़ रहे थे. उन्हें परेशान देख कर कॉलेज के पास ही हलवाई की […]

दक्षा वैदकर

बात उस समय की है, जब स्वामी रामतीर्थ बीए की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. उस समय उनके पास परीक्षा शुल्क भरने के लिए पूरे पैसे नहीं थे. अपने पास जमा पूरे धन के बाद भी पांच रुपये कम पड़ रहे थे. उन्हें परेशान देख कर कॉलेज के पास ही हलवाई की दुकान चलाने वाले चंदू ने उनसे चिंता का कारण पूछा.

उन्होंने पूरी बात उसे बता दी. बात सुनने के बाद चंदू ने उन्हें पांच रुपये तुरंत बिना मांगे ही दे दिये. बीए की परीक्षा पास करने के बाद स्वामी रामतीर्थ ने गणित के प्रोफेसर के रूप में नौकरी हासिल कर ली. सरकारी नौकरी पर आने के बाद वह हर माह चंदू हलवाई को पांच रुपये का मनी ऑर्डर भेजते. एक बार वह उस जगह से गुजरे, तो चंदू ने कहा- आप मेरी दुकान से कुछ नहीं लेते, लेकिन हर माह रुपये भेज देते हैं. अब तक पैंतीस रुपये हो चुके हैं. ये क्यों करते हैं आप?

तब रामतीर्थ बोले- यदि आपने उन मुश्किल स्थितियों में मुझे पांच रुपये न दिये होते, तो मैं आज इस योग्य न बन पाता. यह मेरी ओर से आपके प्रति आभार है. इस कहानी से सीख लेने की जरूरत आज हर किसी को है. वर्तमान में लोगों की याद रखने की क्षमता बहुत कम हो गयी है. सबसे पहले हम जिस चीज को भूलते हैं, वह है किसी के द्वारा की गयी मदद. माता-पिता पाल-पोस कर बड़ा करते हैं और बच्चे बड़े होने के बाद उल्टा जवाब देते हुए कहते हैं कि ये तो आपका फर्ज था.

जब हमें पैसों की जरूरत होती है और कोई हमें पैसे दे देता है, तो हम बहुत खुश होते हैं. बाद में पैसे चुका भी देते हैं, लेकिन किसी दूसरी बात पर हम उस इंसान का दिल दुखा बैठते हैं. हमें लगता है कि उसने पैसों की मदद की, तो क्या हुआ. हमने भी तो वापस कर दिये थे. हिसाब बराबर. हम यह भूल जाते हैं कि सामनेवाले ने पैसे हमें जिस मुसीबत के समय दिये थे, उसकी तुलना हम किसी चीज से नहीं कर सकते. ये अहसान फिर जिंदगी भर रहता है.

माता-पिता से आप ये नहीं कह सकते कि बचपन से लेकर आज तक आपने जितने रुपये खर्च किये हैं या जो तकलीफें सही हैं, उसकी कीमत क्या है? मैं चुका देता हूं. उनके प्यार की कीमत कोई नहीं लगा सकता.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

– अगर किसी ने मुसीबत के वक्त आपकी मदद की है, तो उसे दिल से धन्यवाद दें और बदले में उस इनसान की मदद को भी हमेशा तत्पर रहें.

– लोगों का अहसान मानना सीखें. मुसीबत में मदद करनेवाले लोगों को कभी न भूलें. वरना लोग दूसरों की मदद करना ही बंद कर देंगे.

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