बात केवल चंदे ही नहीं, शख्सियत बताने की भी है. यानी चंदे की ज्यादा-से-ज्यादा राशि की. ऊपर से विरोधी का भय. कहीं ज्यादा चंदा देकर अपनी शख्सियत को वह बड़ा न बता दे. ज्यादा चंदा दिया, तो खर्च बढ़ेगा. मगर, मरता क्या नहीं करता. कई बार तो जेब खाली होती है. तब चंदे के लिए अपने साथ चल रहे व्यक्ति से पैसे मांगने होते हैं.
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उम्मीदवारों के सामने चंदे की चक्करघिन्नी
पटना: वोट मांगने निकले उम्मीदवारों की स्थिति तब देखते ही बन रही है. लोग वोट तो बाद में देंगे, पहले चंदे की रसीद बढ़ा रहे हैं. दशहरा है. दस की मदद से पूजा होगी. पंडाल बनेगा. मूर्ति स्थापित होगी. मेला-ठेला, पूजा-पाठ, बिजली-बत्ती सौ तरह के खर्च. सभी जगह इस खर्च का इंतजाम चंदे से हो […]
पटना: वोट मांगने निकले उम्मीदवारों की स्थिति तब देखते ही बन रही है. लोग वोट तो बाद में देंगे, पहले चंदे की रसीद बढ़ा रहे हैं. दशहरा है. दस की मदद से पूजा होगी. पंडाल बनेगा. मूर्ति स्थापित होगी. मेला-ठेला, पूजा-पाठ, बिजली-बत्ती सौ तरह के खर्च. सभी जगह इस खर्च का इंतजाम चंदे से हो रहा है. जितनी बड़ी शख्सियत, उतने बड़े चंदे का डिमांड. अब इस घनचक्कर में सारे नेता-उम्मीदवार फंस गये हैं.
वोट और चंदा मांगने का यह नजारा हर जगह दिखायी दे रहा है. एक उम्मीदवार ने अपना अनुभव साझा किसा, ‘बड़ी मुश्किल में हैं. चंदा न दें, तो वोटर नाराज. एक को चंदा दो, तो आगे दूसरी पूजा समिति भी खड़ी है.’ दुर्गापूजा को लेकर कलश स्थापना 13 अक्टूबर को है. पहले फेज में चुनाव 12 अक्तूबर को. लिहाजा टाल भी नहीं सकते. जमुई विधानसभा क्षेत्र के एक प्रत्याशी ने कहा, ‘चंदा तो देना ही पड़ेगा, नहीं तो मोहल्ले के लोग नाराज हो जायेंगे. पूजा समितियां अपने मुहल्ले में असर रखती हैं. इनमें ज्यादातर नौजवान होते हैं. नाराज हुए, तो वोट बिगाड़ देंगे.’ हालांकि चुनाव आयोग का डर भी उन्हें सता रहा है. लिहाजा सार्वजनिक रूप से वह इस बात को कबूल भी नहीं पा रहे. बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन कहते हैं, ‘हमसे किसी ने चंदा नहीं मांगा. पीरमुहानी की पूजा समिति से पुराना संबंध है. इसलिए वहां स्वेच्छा से मदद करते हैं.’
इसी क्षेत्र के बसपा प्रत्याशी अभिषेक कुमार तो इस बात को सिरे से ही खारिज करते हैं. कहते हैं, ‘हम तो जनसंपर्क में लगे हैं. अब तक किसी ने चंदा नहीं मांगा है.’ गरीब आदमी पार्टी के राजकुमार पासवान हों या कुम्हरार विधायक अरु ण कुमार सिन्हा, सभी सार्वजनिक तौर पर यही कह रहे हैं. उन्होंने चंदा दिया या नहीं, यह वही जानें, मगर भोजपुर जिले के कई उम्मीदवारों ने नाम नहीं छापने की शर्त के साथ यह भी बताया कि चंदा से इनकार नुकसानदेह हो सकता है. लिहाजा वह कोई जोखिम नहीं ले सकते.’ बहरहाल पहले और दूसरे चरण का चुनाव दुर्गा पूजा के पहले होना है. उसके बाद दीपावली और छठ भी हैं. सो, जो उम्मीदवार दुर्गापूजा में चंदा देने से बच रहे हैं, उनके लिए आगे आने वाले पर्व चिंता के सबब हैं.
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