25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जॉब्स में रोबोट की दखल

दुनियाभर में रोबोट अब कई नये तरह के काम निबटाने लगा है, जो पहले केवल इंसान कर सकते थे. यहां तक कि रोबोट अब कई नये तरह के जॉब्स में इंसानों की तरह तैनात होने लगा है. विभिन्न संस्थाओं की ओर से कराये गये कई हालिया सर्वे बताते हैं कि जापान, ब्रिटेन और चीन जैसे […]

दुनियाभर में रोबोट अब कई नये तरह के काम निबटाने लगा है, जो पहले केवल इंसान कर सकते थे. यहां तक कि रोबोट अब कई नये तरह के जॉब्स में इंसानों की तरह तैनात होने लगा है.

विभिन्न संस्थाओं की ओर से कराये गये कई हालिया सर्वे बताते हैं कि जापान, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में आगामी बीस सालों में बड़ी संख्या में जॉब्स रोबोट के कब्जे में जा सकते हैं. किस-किस तरह के जॉब्स में बढ़नेवाली है रोबोट की दखल, बता रहा है नॉलेज…

दिल्‍ली : भविष्य में यदि आप कभी जापान की यात्रा पर जायें, तो हाे सकता है कि होटल के रिसेप्शन पर आपको कोई इंसान नजर नहीं आये और लोगों से बातें करती हुई मशीनी रिसेप्शनिस्ट यानी रोबोट दिखाई दे. दरअसल, जापान में रोबोट रूपी ऐसे रिसेप्शनिस्ट को तैयार किया गया है, जो आगंतुकों को अंगरेजी में पूछे गये संबंधित सवालों का जवाब देने में सक्षम है. जवाब देते समय उस रोबोट की आंखें इंसान की तरह ही हरकत करती हैं.

‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेहद स्मार्ट यूनिफार्म में कुर्सी पर बैठी सुंदर चेहरेवाली रोबोट-महिला न केवल आगंतुकों के सवालों के जवाब देती है, बल्कि जवाब देते समय आप उसकी भाव-भंगिमाओं को सजीव इंसान की तरह ही महसूस कर सकते हैं. उधर, जापान के नागासाकी शहर के एक बड़े होटल में भी इस तरह की रोबोट रिसेप्शनिस्ट की हाल ही में तैनाती की गयी है.

एक हालिया सर्वे का हवाला देते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि यूनाइटेड किंगडम में मौजूदा नौकरियों में से अगले 20 सालों में करीब 35 फीसदी पर रोबोट के काबिज होने का खतरा मंडरा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में भविष्य में सर्विस सेक्टर के कई प्रकार के जॉब्स में इंसान की जगह रोबोट काम करते हुए दिख सकते हैं, जो समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक नयी चुनौती पैदा कर सकते हैं.

दरअसल, दुनियाभर में विज्ञान और तकनीक के विकास ने कई नये-नये कामों को आसानी से निबटाने के आधुनिक तरीके विकसित किये हैं. इंसान कई ऐसे रोबोट बना चुका है, जो हमारे कामों को कम समय में पूरा करने में सक्षम साबित हो रहा है. हालांकि, अब तक रोबोट ज्यादातर शारीरिक मेहनतवाले कामों को पूरा कर रहे थे, लेकिन अब ऐसे रोबोट भी आ गये हैं, जो दिमागी काम भी कर सकेंगे. इस तरह तकनीक के विकास के साथ कम मैनपावर में ज्यादा काम कर पाना संभव हो पाया है.

रोबोट ने तैयार की स्टोरी

रोबोट तकनीक दुनियाभर में नित नये पैमाने कायम कर रही है और ऐसे क्षेत्रों में भी इसकी घुसपैठ हो रही है, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उसमें इंसानी दिमाग का इस्तेमाल होना जरूरी है. हो सकता है कि निकट भविष्य में जो खबर आप पढ़ेंगे, उसे रोबोट ने लिखा होगा.

चौंकिये नहीं, भारत में भले ही यह समझा जा रहो हो कि ऐसा होने में दशकों लग सकते हैं, लेकिन हाल ही में चीन में ‘ड्रीमराइटर’ नामक एक ‘रोबोट रिपोर्टर’ द्वारा लिखी गयी पहली बिजनेस रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. ‘डेली मेल’ की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि शिकागो की एक कंपनी ने ‘क्विल’ नामक एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो खुद ही बिजनेस और स्पोर्ट्स रिपोर्ट लिखने में सक्षम है. हाल ही में इस रोबोट ने चीन में एक बिजनेस रिपोर्ट को खुद से तैयार किया, जिसके बाद से यह दुनियाभर में चर्चा में है. इस रोबोट की एक खासियत यह भी रही कि इसने 916 शब्दों की रिपोर्ट महज एक मिनट में तैयार कर दिया.

टैक्सी ड्राइवर और फैक्ट्री वर्कर बनेंगे रोबोट

बीबीसी की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक रोबोट आनेवाले वर्षों में टैक्सी ड्राइवर और फैक्ट्री वर्कर के जॉब्स बड़ी संख्या में हथिया सकते हैं. दरअसल, स्मार्टफोन और एप्प आधारित टैक्सी सेवाओं के चलन में आने से कई कंपनियां रोबोट ड्राइवर तैनात करने की संभावनाओं पर काम कर रही हैं. ड्राइवरलेस कार के साथ गूगल तो इस दिशा में काफी आगे निकल चुका है. इसी तरह चीन में कई कंपनियां फैक्ट्री वर्कर के काम रोबोट से कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं और इसके लिए व्यापक निवेश कर रही हैं. उन्हें लगता है कि रोबोट की तैनाती से कम खर्च में अधिक काम निपटाये जा सकेंगे और वेतन बढ़ाने की जरूरत भी नहीं होगी.

रोबोट बन रहे डॉक्टर

आप यह जानते होंगे कि सर्जरी के दौरान रोबोट डॉक्टरों की मदद करते हैं, लेकिन आइबीएम एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जो रोबोट के माध्यम से अस्पतालों में खास मरीजों की जांच करने में सक्षम होगा. दुनियाभर में रोबोटिक सर्जरी को ब.ढावा मिल रहा है, जिसे देखते हुए यह आशंका जतायी जा रही है कि अाने वाले समय में डॉक्टर के जॉब्स पर रोबोट का कब्जा हो सकता है.

1939 : मानव जैसे रोबोट

सबसे पहले यूनानी गणितज्ञ आर्किटास ने 400 से 350 सदी इसापूर्व में वाष्पशक्ति यानी स्टीम इंजन से संचालित रोबोट बनाया था. दरअसल यह एक कबूतर था. वर्ष 1932 में जापान में लिलीपुट नामक 15 सेमी ऊंचा टिन का खिलौना बनाया गया, जो चाबी से चलता था. मगर वर्ष 1939 तक रोबोट महज खिलौने नहीं रह गये. वर्ष 1939 में ही न्यूयॉर्क में आयोजित विश्व मेले में प्रदर्शित 7 फुट का टिन का एक रोबोट ‘इलेक्ट्रो’ दर्शकों से खुद का परिचय देते हुए कहा करता था, ‘मैं एक बुद्धिमान व्यक्ति हूं, क्योंकि मेरे पास एक अत्यंत सूक्ष्म 48 इलेक्ट्रिकल रिले का मस्तिष्क है.’ वह इलेक्ट्रो मंच पर चारों ओर घूमता, बोल कर उसे दिये गये निर्देशों को एक टेलिफोन के द्वारा सुनता और मंच पर सिगरेट भी पीता था.

बुरी लत तथा व्यंग्यात्मक हाजिरजवाबी से लैस यह उस वक्त मनुष्य से अपनी क्षमताभर करीब था. रोबोट के इतिहास में आज भी बचे हुए इस सबसे पुराने अमेरिकी रोबोट को आप मैन्सफील्ड मेमोरियल म्यूजियम में प्रदर्शित देख सकते हैं.

1961 : इस्पात के पुर्जे ढोता रोबोट

वर्ष 1954 में जॉर्ज डेवोल और जो एंगलबर्गर ने ‘आर्म’ नाम से पहला ऐसा रोबोट बनाया, जिसे कंप्यूटरीकृत निर्देश दिये जा सकते थे. सात साल बाद न्यूजर्सी स्थित जनरल मोटर के कारखाने में, जहां कारों के विभिन्न पार्ट-पुर्जे जोड़ कर उन्हें अंतिम रूप दिया जाता था, आर्म को काम पर लगाया गया.

वहां इसका काम ढाले गये गर्म पार्ट-पुर्जों को आगे की ओर खिसकती एक नाली में रखे कूलिंग तरल में डालते जाना था, जो उन्हें जोड़नेवाले कामगारों तक पहुंचाती जाती थी. आज भी गाड़ियां बनानेवाले कारखानों में ऐसे ही अत्यंत उन्नत रोबोट काम करते हैं, जिनके सामने 1961 के ये शुरुआती रोबोट बौने नजर आते हैं.

1988 : चालकरहित कूरियर

एक ऐसे नर्स की कल्पना करें, जो अस्पताल के उपकरणों से लदे एक कूरियर को ठेलती हुई रास्ते में खड़ी लोगों की भीड़ और फर्नीचर से बचाती हुई उसे आगे ले जा रही है. अब एक ऐसे कूरियर की कल्पना करें, जिसके साथ कोई नर्स नहीं है और वह यही काम स्वचालित ढंग से कर रहा है. आपके लिए यह काम करने वाले इस रोबोट को ‘हेल्पमेट’ कहते हैं.

चालकरहित कारों के इस युग में हेल्पमेट की यह क्षमता भले ही क्रांतिकारी न लगती हो, पर 1988 में इसकी यह क्षमता एक ऐसी प्रावैधिकी थी, जिसने मनुष्य को अधिक अहम कार्य करने के लिए मुक्त कर दिया. स्वास्थ्य परिचर्या प्रणाली के लिए एक वरदानस्वरूप यह यंत्र तब दवाओं तथा सामग्रियों की आपूर्ति करने के अलावा भोजन तथा एक्सरे फोटो तैयार करने के अतिरिक्त अन्य कई कार्य भी किया करता था.

1994 : गहरी खुदाई करनेवाले रोबोट

ज्वालामुखी वैज्ञानिकों के लिए सक्रिय ज्वालामुखियों की खोजबीन करना जरूरी होता है, जिसमें दुर्घटनाओं, जख्मों और कभी-कभी तो जान तक गंवा बैठने का अंदेशा रहता है. ‘दांते सेकेंड’ नामक रोबोट ने वैज्ञानिकों के लिए इस खतरनाक काम की बाध्यता समाप्त कर दी.

यह ज्वालामुखियों के भीतर तक जाकर उनकी तलहटी में स्थित गैसों का विश्लेशण किया करता था. कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी के रोबोटिक्स विभाग ने अपने एक प्रोजेक्ट के बारे में लिखा, ‘1993 में दो अलग-अलग घटनाओं में आठ वैज्ञानिक ऐसी ज्वालामुखियों के नमूने लेने तथा उनके अवलोकन करने की प्रक्रिया में अपनी जान से हाथ धो बैठे. वैज्ञानिकों को अपने शोध तथा अध्ययनकार्य सुरक्षित दूरी से संचालित कर पाने की इस प्रावैधिकी ने एक नये युग की शुरुआत की.’

1997 : मानव बनाम मशीन

डीप ब्लू नामक सुपर कंप्यूटर ने छह राउंड के एक शतरंज मैच में चैंपियन कास्परोव को हरा दिया. शतरंज के इस ग्रैंडमास्टर ने इस मैच में हारने की आशा नहीं की थी, न ही किसी और को ऐसी उम्मीद थी. 1997 में सीएनएन ने यह रिपोर्ट दी थी कि 25 डॉलर प्रति व्यक्ति रकम चुका कर मैनहट्टन के बीचोंबीच स्थित गगनचुम्बी इमारत इक्विटेबल सेंटर के प्रथम तल्ले में स्थित एक सभागार में इस प्रतियोगिता के वीडियो देखने कई सौ लोग इकट्ठा हुए थे.

2004 : पृथ्वी के बाहर कदम

एक दशक पहले ‘रोबोनौट 2’ को अंतरिक्षयात्रियों की मदद का काम सौंपा गया. यह रोबोट सफाई करने तथा निर्वात (वैक्यूम) करने जैसे मोटे काम किया करता था, ताकि अंतरिक्षयात्री अधिक अहम कार्यों पर गौर कर सकें.

2014 : ट्यूरिंग जांच का विजेता

यूजीन गूस्टमन नामक यूक्रेन का तेरह वर्षीय बालक, जिसे अंगरेजी का अच्छा ज्ञान नहीं था, वह 33 प्रतिशत से भी अधिक निर्णायकों को यह भरोसा दिलाने में सफल रहा कि वह एक मानवप्राणी है. दरअसल, यूजीन गूस्टमन रूसी विशेषज्ञों द्वारा डिजाइन किया हुआ एक रोबोट था. यह रोबोट ट्यूरिंग जांच में सफल रहा, जिसकी यह कसौटी होती है कि बातचीत में एक रोबोट को अवश्य ही ऐसा होना चाहिए कि उसे एक मनुष्य से अलग नहीं किया जा सके.

हालांकि, आलोचक या संदेह प्रकट करनेवाले यह कहते हैं कि 33 प्रतिशत निर्णायकों का मत था कि वह एक मनुष्य है, मगर 67 प्रतिशत का विचार यह नहीं था. इसके अतिरिक्त, रूसी निर्माताओं ने उसे अंगरेजी में कमजोर बना कर भी अपने लिए कुछ अधिक स्वीकार्यता हासिल कर ली, क्योंकि इसने निर्णायकों को उसकी भूलों के प्रति अधिक उदार बना दिया होगा. फिर भी इसने प्रथम ‘बुद्धिमान’ रोबोट का खिताब पाकर काफी हलचल पैदा कर दी थी.

जून 2015 : भावनाओं को महसूस करनेवाला ‘पेपर’

चलिये, ठीक है, तो रोबोट ऐसे बहुत सारे कार्य कर सकता है, जिसे मनुष्य किया करते हैं. मगर वह हमारी तरह भावनाएं महसूस नहीं कर सकता, ठीक है न? जी नहीं, गलत है. ‘पेपर’ कोई कंप्यूटर अथवा वैक्यूम क्लीनर नहीं, एक भावनात्मक साथी है. यह अपने सेंसरों का इस्तेमाल कर आपकी भावनाओं को भांप सकता है और इन्हें खुद में भी विकसित कर सकता है.

अभी ‘पेपर’ में अंगरेजी, फ्रेंच, जापानी तथा स्पेनी बोलने की क्षमता है. इसके जापानी निर्माता सॉफ्टबैंक रोबोटिक्स कॉर्प की मानें तो भावनाओं को महसूस करनेवाला यह रोबोट महज एक मिनट में बिक गया.

जुलाई, 2015 : मानवीय स्थिति भी हासिल हुई, संभल जाइए!

कोई रोबोट एक ट्यूरिंग जांच में सफल अथवा असफल हो सकता है. यह उससे बातचीत कर रहे व्यक्ति पर निर्भर है कि वह तय करे कि क्या वह एक रोबोट के साथ बातें कर रहा है अथवा एक मनुष्य के साथ. लेकिन निम्न पर हम गौर करेंगे, तो पायेंगे कि यह पूरी तरह एक भिन्न ही चीज थी. दरअसल, 58 सेमी लंबा मनुष्य जैसा दिखता ‘नाओ’ नामक रोबोट लोगों को पहचानने के साथ उनसे बातें भी करता है.

वैसे तो इसका निर्माण 2006 में किया गया था, पर इसी माह यह एक एआइ प्रयोग में सफल रहा है, जिसमें तार्किक पहेली ‘किंग्स वाइज मेन’ की एक बदली हुई किस्म का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान तीन रोबोट्स को यह बताया गया कि उन्हें ‘गूंगा कर देनेवाली गोली’ दी गयी है, जो दरअसल उनके सिर के ऊपर लगा एक बटन था, जो उन्हें चुप कर देता था. प्रयोगकर्ता ने उनमें से दो रोबोट के सिर को थपथपाया. उसके बाद जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कौन-सी गोली खायी है, तो दोनों में से एक रोबोट उठ खड़ा हुआ और उसने कहा, ‘खेद है, मुझे यह नहीं मालूम.’ मगर फिर यह महसूस कर कि वह बोल चुका है, उसने कहा, ‘खेद है, अब मैं जान गया हूं.’

उसने अब समझ लिया कि उसे ‘गूंगा कर देनेवाली गोली’ नहीं दी गयी है, क्योंकि वह तो बोल सकता है. एक रोबोट के लिए यह क्षमता विकसित कर देना कि वह अपने ही कहे गये शब्दों तथा किये हुए कार्य के प्रति जागरूक हो सके, एक असामान्य बात है. एक रोबोट के लिए स्वचेतना का यह स्तर अब तक हासिल नहीं किया जा सका था.

यूके में 35 फीसदी जॉब्स पर होगा रोबोट का कब्जा

यूनाइटेड किंगडम में अगले 20 सालों में करीब एक-तिहाई नौकरियां मशीनों के हाथ में होगी, यानी इंसान की जगह पर रोबोट काम करते नजर आयेंगे. ‘बीबीसी’ ने हाल में एक अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. यह विश्लेषण उन विधाओं से संबंधित कार्यों के लिए किया गया है, जिनमें पर्याप्त कौशल की जरूरत होती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किस तरह के और कितने फीसदी जॉब्स रोबोट के हाथों में जा सकते हैं –

टेलीफोन सेल्सपर्सन 99 फीसदी

टाइपिस्ट या संबंधित कीबोर्ड वर्कर 98.5 फीसदी

लीगल सेक्रेटरी 97.6 फीसदी

फाइनेंशियल एकाउंट्स मैनेजर 97.6 फीसदी

रुटीन इंस्पेक्टर और जांचकर्ता 97.6 फीसदी

सेल्स एडमिनिस्ट्रेटर 97.2 फीसदी

पेरोल मैनेजर या वेजक्लर्क 97 फीसदी

फाइनेंस ऑफिसर 97 फीसदी

पेंशनर एंड इंशुरेंस क्लर्क 97 फीसदी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें