दक्षा वैदकर
हर कंपनी में ऐसे लोगों का महत्व ज्यादा होता है, जो नये-नये आइडियाज ले कर आते हैं, शानदार प्रेजेंटेशन देते हैं और कॉन्फीडेंस से भरे रहे रहते हैं. लेकिन यह भी सच है कि ये सारी चीजें पाना इतना आसान नहीं है. अब हम सबसे पहले बात करते हैं आइडियाज पर.
ऐसा नहीं है कि आपके पास आइडियाज नहीं आते. आपके पास भी टीवी देखते वक्त, नहाते वक्त, सोने के पहले लेटे हुए, गाड़ी चलाते वक्त आइडियाज आते हैं, लेकिन आपको लगता है कि ये आइडिया तो बहुत बेहतरीन है. इस पर मैं काम करूंगा, लेकिन जब आप ऑफिस पहुंचते हैं या काम करने बैठते हैं, तो आपको याद ही नहीं आता कि वह ‘आइडिया’ था क्या? वह कौन-सी बात थी, जो मैं प्रेजेंटेशन में जोड़ने वाला था. अब आप दिमाग पर प्रेशर दे-दे कर थक जाते हो, लेकिन वो आइडिया आपको याद नहीं आता.
वह कई दिनों बाद याद आता है, जब उसका कोई काम नहीं बचता. इस परेशानी से बचने का केवल और केवल यही तरीका है कि जब भी आइडिया आये, आप तुरंत उसे मोबाइल के ड्राफ्ट में सेफ करें या डायरी में लिख लें. अब ये बात हुई उन लोगों की, जिन्हें आइडियाज अक्सर आते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो कितना भी सोचें, उन्हें समझ नहीं आता कि क्या किया जाये. प्रेजेंटेशन में क्या बोला जाये? ऐसे लोगों को अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाने चाहिए.
उन्हें खुद को विभिन्न फील्ड्स के बड़े-बड़े लोगों की जगह रखना चाहिए और सोचना चाहिए कि वे अगर मेरी जगह होते, तो कैसे बोलते, क्या बोलते. आप खुद को नरेंद्र मोदी, बिल गेट्स, शाहरुख खान समझें.. आपको आइडियाज आने शुरू हो जायेंगे. तीसरी जरूरी बात यह है कि आप अपनी फील्ड से जुड़े वीडियोज, लोगों की बातें इंटरनेट, यूट्यूब पर तलाशें. आप उनसे कुछ आइडियाज, टिप्स, बोलने का तरीका ले सकते हैं.
अगर आप किसी सार्वजनिक जगह पर बोलने जा रहे हैं, तो आप भाषण में कुछ ह्युमर भी डालें ताकि लोगों को मजा आये. आप कुछ अच्छी शायरी भी जोड़ सकते हैं. जो उस वक्त व माहौल पर फिट बैठती हो.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– अपने भाषण की शुरुआत या अंत में अगर आप शायरी या कविता कहते हैं, तो इससे सामनेवाले पर अलग ही इम्प्रेशन पड़ता है.
– ऐसा नहीं है कि आपकी फील्ड का व्यक्ति ही आपको आइडिया दे सकता है. आप अपने दोस्तों, परिवारवालों से भी आइडिया मांग सकते हैं.