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निवेश का माहौल कमजोर
प्रो नवल किशोर चौधरी अर्थशास्त्री वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट तो अब आयी है. कुछ समय पहले फिक्की ने बिहार में निवेश को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. उसमें भी निवेश संबंधी तमाम पैरामीटर को बेहद कमजोर बताया गया था. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट उसी बात की पुष्टि कर रही है. दोनों ही रिपोर्टो में […]
प्रो नवल किशोर चौधरी
अर्थशास्त्री
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट तो अब आयी है. कुछ समय पहले फिक्की ने बिहार में निवेश को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. उसमें भी निवेश संबंधी तमाम पैरामीटर को बेहद कमजोर बताया गया था. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट उसी बात की पुष्टि कर रही है. दोनों ही रिपोर्टो में यह बात सामने आयी कि नीतियों को लागू करने वाले जो अफसर है, वे नॉट गुड हैं. यह बात नब्बे फीसदी लोगों ने फिक्की की रिपोर्ट में मानी थी.
ताजा रिपोर्ट को दो तरह से देखने की जरूरत है. पहली यह कि राज्य में निवेश की राह में खड़ी बाधाओं पर उसने रोशनी डाली है और दूसरी यह कि कारोबार के लिए जो इंफ्रास्ट्रर चाहिए उसे हम उपलब्ध कराने में दूसरे राज्यों की तुलना में पीछे हैं. इन दोनों ही मोरचो पर गंभीर तरीके से काम करने, सोचने की जरूरत है.
राज्य में निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के पास निवेश के बहुत सारे प्रस्ताव आते हैं. पर उसमें से ज्यादातर लौट जाते हैं या निवेशक यहां पैसा लगाने में रुचि नहीं दिखाते. आखिर ऐसा क्यों होता है? बोर्ड ने जितने प्रस्तावों को मंजूरी दी, उसका एक फीसदी से भी कम निवेश हुआ. आज यह ज्यादा से ज्यादा दो फीसदी के दायरे में है. यह निवेश की तसवीर है. ऐसे में बिहार कैसे तरक्की करेगा.
रिपोर्ट से मेरी चिंता बढ़ जाती है. इसकी वजह है कि एक ओर निवेश नहीं आ रहा है और दूसरी ओर जीडीपी में कृषि या प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी कम होती जा रही है. शहरीकरण की दर ग्यारह फीसदी है.
इस तथ्य से साफ है कि 89 फीसदी लोग गांवों में रह रहे हैं और उनमें से 76 फीसदी की निर्भरता कृषि पर है. एक तरफ कृषि की जीडीपी की हिस्सेदारी कम हो रही है तो दूसरी ओर बड़ी आबादी की निर्भरता उस पर बढ़ रही है. यह संकेत करता है कि बड़ी आबादी तंगहाली में गुजर रही है. बड़ी आबादी की आमदनी घट रही है. यह चिंता में डालने वाली बात है. यह विरोधाभास वाली स्थिति नुकसानदेह है.
तीसरा तथ्य यह है कि जीडीपी में होटल, रेस्टोरेंट की हिस्सदारी 60 फीसदी पर पहुंच गयी है. यह भी ठीक नहीं है. होना चाहिए था कि मैन्यूफैरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ती. पर उसमें गिरावट आयी है. एक और औद्योगिकरण हो नहीं रहा है, तो दूसरी ओर गरीबी बढ़ रही है. पलायन बढ़ रहा है. समग्रता में कहें तो विकास को लेकर जिस नजरिये की जरूरत है, उसका अभाव है. दूसरी बात यह भी है कि आप कैसा विकास करना चाहते हैं और आपकी नीतियां क्या हैं.
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