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सरकार की नाकामी से अराजक विस्तार

जे के लाल वास्तुविद किसी भी शहर के विकास और विस्तार की प्लानिंग होती है. पटना के साथ इसकी भारी कमी रही. पटना की असल दिक्कत है – प्लानिंग का अभाव. सरकार और लोगों की नासमझी भी है. अगर एक एकड़ जमीन में कोई निर्माण कार्य हो रहा है तो उसका 15 से 20 फीसदी […]

जे के लाल
वास्तुविद
किसी भी शहर के विकास और विस्तार की प्लानिंग होती है. पटना के साथ इसकी भारी कमी रही. पटना की असल दिक्कत है – प्लानिंग का अभाव. सरकार और लोगों की नासमझी भी है.
अगर एक एकड़ जमीन में कोई निर्माण कार्य हो रहा है तो उसका 15 से 20 फीसदी क्षेत्र सड़क के लिए होना चाहिए. पर यहां हालत यह है कि आठ और दस फुट सड़क के नाम पर छोड़ा गया है. पटना मे बीते 50 साल में एक भी मुख्य सड़क की तरह कोई दूसरी सड़क नहीं बनी, जबकि ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ गया. सबसे पहले ट्रांसपोर्टेशन को ठीक किया जाये.
मेट्रो प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारा जाये. जब दिल्ली या कोलकाता में सघन आबादी वाले इलाके में मेट्रो दौड़ायी जा सकती है तो पटना में क्यों नहीं. पटना के लिए लांग टर्म प्लान में जाना होगा. टाउनशिप का विस्तार जरूरी है. पटना से सटे शहरों का विकास होने से पटना पर आबादी का दबाव कम होगा. पटना में अराजक विस्तार में सरकार की नाकामी रही. सीवरेज की दुर्दशा, पीने के पानी की उपलब्धता, कचरा प्रबंधन जैसे अहम मसले कायम हैं.

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