
इसराइल के कैबिनेट ने फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ चरमपंथी हमलों के संदिग्ध इसराइली नागरिकों को बिना मुक़दमा चलाए हिरासत में रखने की मंज़ूरी दे दी है.
ये फ़ैसला हाल में हुई दो हिंसक घटनाओं के बाद लिया गया है. पहली घटना में एक 18 महीने के फ़लस्तीनी बच्चे की संदिग्ध यहूदी राष्ट्रवादियों के हमले में हत्या कर दी गई थी.
दूसरी घटना में एक 16 साल की लड़की को गे परेड के दौरान चाकू मारे गया था जिसके बाद उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसे चरमपंथी हमला क़रार दिया था.
‘प्रशासनिक हिरासत’ के रूप में चर्चित ये मौजूदा प्रावधान आमतौर पर फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ लागू किए जाते हैं.

कैबिनेट के इस ताज़ा फ़ैसले के बाद इसराइली नागरिकों पर भी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इसके प्रावधानों के तहत संदिग्ध पर मुक़दमा चलाए बिना उसे महीनों या सालों तक हिरासत में रखा जा सकता है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने येरूशलम में गुरुवार को ‘गे प्राइड परेड’ पर हुए हमले की भी निंदा करते हुए कहा था कि अतिराष्ट्रवाद से प्रेरित हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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