दक्षिण भारत के मंगलोर शहर में करीब एक शताब्दी पुराने हिंदू मंदिर में विधवा महिला लक्ष्मी और इंद्रा को पुजारी बनाया गया है. विधवाओं को हाशिये पर रखनेवाले एक रूढ़िवादी समाज में पुजारी के रूप में इन महिलाओं की नियुक्ति किसी क्रांति से कम नहीं है.
कुद्रोली के श्री गोकर्णनाथेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना शुरू करने से पहले 67 साल की लक्ष्मी और 45 साल की इंद्रा को पवित्र चिन्ह धारण करने के लिए दिये गये. इस समारोह में शामिल होने के लिए सैकड़ों लोग आये थे. इस दौरान गीत-संगीत का विशेष आयोजन किया गया था. समारोह में सभी धर्मो के लोग शामिल हुए.
आया ऐतिहासिक क्षण : इस सुधारवादी कदम के पीछे पूर्व केंद्रीय मंत्री जनार्दन पुजारी हैं. वह कहते हैं, यह एक ऐतिहासिक क्षण है. हम और विधवाओं को पुजारी बनायेंगे. उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार से बात करेंगे, ताकि सरकार से सहायता प्राप्त मंदिरों में विधवा महिलाओं की नियुक्ति पुजारी के रूप में की जा सके. पुजारी कहते हैं, विधवा महिलाओं के पूजा करने पर किसी तरह की रोक नहीं है. केवल वैवाहिक स्थिति के कारण किसी महिला के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.
आधुनिकता को जरूरी है बदलाव : पुजारी ने कहा कि इस कदम से इन विधवा महिलाओं को मान-सम्मान के साथ जिंदगी बिताने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत के दूसरे मंदिरों को भी ऐसा ही करना चाहिए. एक स्थानीय छात्र अनिल के अनुसार, इन महिलाओं को भक्तों को आशीर्वाद देते हुए देखना एक सुखद अनुभव है. देश को आधुनिक बनाने के लिए ऐसे सामाजिक बदलाव जरूरी हैं.