दक्षा वैदकर
कई बार आप सोचते होंगे कि आज आपने दिनभर ऑफिस में काम किया, उसके बावजूद काम पूरा कैसे नहीं हुआ? आज आपने दिनभर पढ़ाई की, लेकिन फिर भी चैप्टर खत्म क्यों नहीं हुआ? इसकी वजह यह है कि हमने सिर्फ दिखावे के लिए पढ़ाई व काम किया. हमारा आधे से ज्यादा ध्यान तो दूसरी चीजों में था. इसमें कोई गलती नहीं है. यह एक आदत है, जिसे सुधारना जरूरी है, वरना हम काम या पढ़ाई के लिए बैठेंगे और ये दोनों चीजें छोड़ कर फालतू कामों में लगे रहेंगे. ऐसी कई चीजें हैं, जो हमें ऑफिस के दौरान काम करने व घर में पढ़ाई करने से रोकती हैं, बेहतर है कि हम इन चीजों को समझ लें और खुद के लिए कुछ नियम बना लें. इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है मोबाइल व इंटरनेट से दूरी.
खुद से यह वादा कर लें कि जब तक मेरा काम नहीं हो जायेगा या मेरा यह चैप्टर खत्म नहीं हो जायेगा, मैं मोबाइल हाथ नहीं लगाऊंगा. यह वादा इसलिए जरूरी है क्योंकि लोगों का अधिकांश समय मैसेज भेजने, व्हॉट्सएप्प देखने, फेसबुक चेक करने में बीत जाता है. उन्हें लगता है कि वे चंद मिनट के लिए ही तो मोबाइल चेक कर रहे हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि एक-एक मिनट कर उन्होंने कितने सारे मिनट गवां दिये. इतना ही नहीं, अपना ध्यान भी काम व पढ़ाई से हटाया.
यह बात केवल काम या पढ़ाई पर ही लागू नहीं होती. आज हर व्यक्ति मोबाइल में इतना खो गया है कि उसके पास दूसरों की बात सुनने तक की फुर्सत नहीं. घर पर आने के बाद भी लोग मोबाइल में लगे रहते हैं. बच्चे और पत्नी अपने दिनभर की बातें बताने के लिए बेचैन रहते हैं, लेकिन वे मोबाइल से नजरे नहीं हटाते. अगर सामनेवाला कुछ बोल रहा हो, तो वे बस हां.. हू.. हम्ममम.. अच्छा.. जैसे जवाब देकर बात टालते जाते हैं. परिवार के लोग चाहते हैं कि आप उनके साथ बैठ कर टीवी देखें, लेकिन आप टीवी के सामने बैठने के बावजूद मोबाइल पर नजरें गाड़े रहते हैं. ऐसा भी नहीं है कि आप कोई जरूरी काम कर रहे होते हैं. आप दोस्तों से फालतू गप मार रहे होते हैं या कैंडी क्रश जैसे गेम खेल रहे होते हैं.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
काम या पढ़ाई के दौरान जब भी किसी का आम बातचीत के लिए फोन या मैसेज आये, तो उसे समझा दें कि अभी मैं व्यस्त हूं. फ्री हो कर करूंगा.
दोस्तों, रिश्तेदारों, अपने प्रेमी-प्रेमिका को भी यह बताना जरूरी है कि कब आप व्यस्त रहते हैं और कब फ्री. हर काम के लिए समय निर्धारित करें.