किसी भी देश-समाज के लिए संस्थानों का तत्परता से अपना दायित्व नहीं निभाना खतरनाक है. झारखंड के कुछ संस्थान भी इस ओर बढ़ते दिख रहे हैं. जिन संस्थानों पर युवाओं को गढ़ने-संवारने का दारोमदार हो, वही उसकी बरबादी का कारण बने, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने अपनी कार्यशैली से एक विद्यार्थी से उसकी सफलता छीन ली है. उसका भविष्य बिगाड़ दिया है. इस हद तक कि उस लड़के के मन में आत्महत्या करने का ख्याल आया. यह भविष्य के लिए संकेत हैं, संस्थान व सरकार दोनों के लिए. यदि हम नहीं चेतें, तो व्यवस्था से मोहभंग होना निश्चित है. किसी अनर्थ से बचने के लिए सरकार, संस्थान व शिक्षकों को स्थिति में सुधार का प्रयास करना ही होगा.
सुनील कुमार झा, रांची
पापा-मम्मी, हम कुछ बोलना चाहते हैं. कल शाम (27 अप्रैल 2015 ) को रिजल्ट आने के बाद मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है. आज पेपर में सबका प्रदर्शन देख कर मैं हताश हो गया हूं. हम बहुत कोशिश कर रहे हैं कि टेंशन ना लें, लेकिन यह हमसे नहीं हो पा रहा है. कभी-कभी कहीं दूर भागने का मन कर रहा है, तो कभी मन कर रहा है कि आत्महत्या कर लें. आप लोगों के बारे में सोच कर हम यह भी नहीं कर पा रहे है. कभी-कभी मन कर रहा है कि जैक ऑफिस को बम से उड़ा दें.
यह एसएमएस संत जेवियर कॉलेज के सत्र 2013-15 के इंटर साइंस के छात्र संदेश अमू ने 27 अप्रैल 2015 को रिजल्ट जारी होने के बाद अपने पिता को भेजा था. संदेश वर्ष 2015 के जेइइ मेंस की परीक्षा में भी शामिल हुआ. जेइइ मेंस व इंटर साइंस दोनों का रिजल्ट 27 अप्रैल को जारी हुआ. संदेश ने पहले मेंस का रिजल्ट देखा. इसमें वह जेइइ-एडवांस के लिए वह सफल हो गया था. वह काफी खुश था, पर शाम पांच बजे झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) का रिजल्ट जारी होते ही वह अवाक रह गया. वह विज्ञान की परीक्षा में फेल हो गया था. उसे इस पर विश्वास नहीं हो रहा था. वेबसाइट पर बार-बार रोल कोड व रोल नंबर डाल कर उसने रिजल्ट देखा. वह सचमुच फेल था. कैफे में कुरसी पर ही वह सिर पकड़ कर बैठ गया. सुबह की खुशी शाम को गम में बदल गयी.
बेहतर परीक्षा देने का उसका आत्म विश्वास यह कह रहा था कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी है. संदेश ने दो दिनों तक ठीक से खाना नहीं खाया. वह सोते-जागते यह सोचता रहा कि मैं फेल कैसे हो गया. मन में तरह-तरह के ख्याल आते. आत्महत्या करने तक को मन करता. शर्म से उसने दोस्तों को छोड़ खुद को कमरे में कैद कर लिया, पर अभिभावकों के समझाने में किसी तरह उसने खुद को संभाला. संदेश को 70 अंकों की केमेस्ट्री थ्योरी की परीक्षा में 50 से अधिक अंक की उम्मीद थी, पर नंबर मिला था 15. स्पेशल स्क्रूटनी के बाद उसका अनुमान पूरी तरह सही निकला. उसे 49 अंक मिले. प्रायोगिक परीक्षा का अंक जोड़ कर केमेस्ट्री में उसके कुल 74 अंक हो गये. इंटर में फेल होने के कारण जेइइ मेंस में सफल (बाद में रैंक 45,914 ) होने के बाद भी वह जेइइ एडवांस की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाया. शिक्षक के हाथों ही इस विद्यार्थी की हत्या कर दी गयी थी. इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन का उसका सपना चूर हो गया. इजीनियरिंग तो दूर स्नातक में भी मनपसंद कॉलेज में उसका नामांकन नहीं हो सका. राज्य में ऐसे सैकड़ों-हजारों संदेश हैं, जिनके भविष्य की हत्या उन शिक्षकों के हाथों कर दी जाती है, जिन्हें विद्यार्थी अपने माता-पिता से भी बढ़ कर मानते हैं.
मुख्यमंत्री को पीड़ित छात्र का पत्र
माननीय मुख्यमंत्री जी
मैं आपके राज्य का एक गरीब विद्यार्थी हूं. शिक्षा के प्रति आपके प्रेम से भी समाचार पत्रों के माध्यम से अवगत होता रहता हूं. आप बच्चों के नामांकन के लिए घर-घर गये. गुमला में जाकर एक गरीब लड़की की पढ़ाई का खर्च उठाया. पर आपके राज्य में ऐसे शिक्षक हैं, जो हम जैसे गरीब परिवार के बच्चे जिनके माता-पिता अपना पेट काट कर बच्चों को पढ़ाते हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. सरकार इन शिक्षकों व परीक्षा लेनेवाली एजेंसी पर कभी कोई कार्रवाई नहीं करती. इस वर्ष की जेइइ मेंस (आइआइटी) परीक्षा में मैं सफल हुआ था, पर शिक्षकों व जैक के द्वारा इंटर में फेल कर दिये जाने के कारण मैं आगे की जेइइ-एडवांस परीक्षा में शामिल नहीं हो सका. मैं अगले वर्ष फिर परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहा हूं, पर इस घटना से मेरा मनोबल टूटा है. व्यवस्था पर से विश्वास उठा है. फिर से अपने सफल होने पर मुङो संदेह होता है, अगर मैं सफल नहीं हो पाया, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? क्या सरकार हम जैसे गरीब बच्चों के भविष्य के साथ भविष्य में कभी खिलवाड़ नहीं हो, यह सुनिश्चित करेगी? क्या हर बार हम जैसे विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा व सरकार देखती रहेगी?
नाम- संदेश अमू, (गांव – मेराल, गढ़वा)