वीएल राकेश कहते हैं कि जल्द ही उनके प्रखंड में इ-नागरिक, मनरेगा का एमआइएस इंट्री, बायोमीट्रिक राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड, पासपोर्ट, इ-मुलाकात आदि सेवा शुरू हो जायेगी.
प्रज्ञा केंद्र के उद्देश्यों में नागरिक, सरकार और वीएलक्ष् तीनों का लाभ निहित है. पीपीपी मॉडल की इस योजना के जरिये सरकार कैसे गांवों में लोगों को ई-गवर्नेस सेवा प्रदान करने के साथ-साथ एक उद्यमी भी तैयार करने में लगी है. कैसे प्रज्ञा केंद्र पर सेवा प्रदान कर गांव के शिक्षित युवा सफल उद्यमी की कहानी लिख रहे हैं. इस पर प्रस्तुत है उमेश यादव की रिपोर्ट़
प्रज्ञा केंद्र से जुड़े कई संचालक यानी वीएलक्ष् ऐसे हैं जो यह सोचते हैं कि देर सबेर इसका भी सरकारीकरण हो जायेगा. इसके बाद वे भी सरकारी कर्मचारी हो जायेंग़े बिना किसी झमेले के हर महीने निश्चित तनख्वाह मिलेगी. लेकिन, इस सोच के विपरीत कई लोग ऐसे भी हैं जो प्रज्ञा केंद्र के जरिये सरकार के साथ मिलकर काम तो करना चाहते हैं. लेकिन, सरकारी कर्मचारी बनना और कहलाना उन्हें पसंद नहीं.
वे सरकारी कर्मचारी के बजाय जन सेवा के जरिये सफल उद्यमी बनना चाहते हैं. ऐसे ही लोगों में शामिल हैं दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड अंतर्गत मास्टर वीएलक्ष् राकेश कुमार मंडल़ 26 वर्षीय राकेश न केवल ऐसी सोच रखते हैं, बल्कि उन्होंने प्रज्ञा केंद्र के जरिये ऐसा करके दिखाया भी है. वे अपने प्रज्ञा केंद्र पर वर्तमान में आधार पंजीकरण, सुधार एवं प्रिंट, मोबाइल रिचाजिंग, रिपेयरिंग एवं सेट बिक्री, डीटीएच रिचाजिंग, इंटरनेट आदि सेवा दे रहे हैं. इन सभी से उन्होंने एक महीने में 90 हजार रुपये की कमाई का रिकॉर्ड बनाया है. आधार पंजीकरण एवं सुधार का काम उन्होंने दो माह पहले शुरू किया है. इसके पहले वे सिर्फ मोबाइल रिचाजिंग, रिपेयरिंग एवं सेट बिक्री, डीटीएच रिचाजिंग, इंटरनेट आदि सेवा देते थ़े इससे उनकी मासिक आमदनी 21 हजार रुपये थी.
इसमें प्रतिदिन मोबाइल रिचाजिंग एवं सेट बिक्री से 100-100 रुपये, रिपेयरिंग से 200 रुपये, डीटीएच रिचाजिंग से 100 रुपये और इंटरनेट सेवा से 200 रुपये शामिल था. लेकिन, आधार का काम शुरू होने से हर दिन इनकी आमदनी में 2400 रुपये का इजाफा हो गया है. इनके प्रज्ञा केंद्र पर हर दिन औसतन 80 ग्रामीणों का पंजीकरण होता है. प्रति व्यक्ति आधार सृजन पर यूआइडी से 30 रुपये मिलता है. काम इतना बढ़ गया है कि वीएलक्ष् राकेश ने अभी अपने प्रज्ञा केंद्र पर पांच लोगों को रोजगार भी दे रखा है. इनके प्रज्ञा केंद्र पर ई-नागरिक सेवा शुरू नहीं हुई है.
इस बारे में वीएलक्ष् राकेश कहते हैं कि जल्द ही उनके प्रखंड में ई-नागरिक, मनरेगा का एमआइएस इंट्री, बायोमीट्रिक राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड, पासपोर्ट, ई-मुलाकात आदि सेवा शुरू हो जायेगी. 05 नवंबर 1987 को जन्मे राकेश कुमार मंडल के उद्यमी बनने की कहानी वर्ष 2005 से शुरू होती है. वर्ष 2004 में दुमका के एसपी कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उनका मन पढ़ाई में नहीं लगने लगा. बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वे दिल्ली चले गये, कुछ ऐसा सीखने के लिए जिससे वे अपने गांव एवं पंचायत में कुछ अलग कर सकें. पढ़ाई छोड़ने के पीछे उसकी सोच थी कि आगे पढ़ कर कुछ नहीं होने वाला है. डिग्री मिलेगी फिर नौकरी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ेगा. दिल्ली पहुंचकर सबसे पहले उन्होंने खर्च के जुगाड़ के लिए गुड़गांव में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर ली. इसके बाद ऑफ टाइम में मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीखना शुरू किया.
गार्ड की नौकरी से 2500 रुपये मासिक मिलता था. दो साल तक उन्होंने इसी पगार पर काम किया. इसलिए कि कुछ सीखना है. इसके बाद वर्ष 2007 में वापस अपने गांव सरैयाहाट आ गय़े यहां पर वर्ष 2008 में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोल ली. इसके साथ ही इंटरनेट सेवा देना प्रारंभ किया. उस समय पूरे सरैयाहाट प्रखंड मुख्यालय में यह सेवा देने वाले वे पहले व्यक्ति थ़े पहले साल मैट्रिक एवं इंटर के एक हजार परीक्षार्थियों ने उनके यहां से रिजल्ट का प्रिंट लिया था. प्रज्ञा केंद्र से वे इसी साल जुड़े हैं.
श्रीकांत ने एक महीने में 78 हजार रुपये की कमाई की
वर्तमान समय में शिक्षित युवा जब गांव की कीचड़ भरी गलियों को छोड़कर शहर में रहना पसंद करते हैं. बड़ी- बड़ी कंपनियों में काम करने की तमन्ना रखते हैं. तब वीएलक्ष् श्रीकांत प्रसाद यादव ने एसकेएस माइक्रोफाइनेंस जैसी कंपनी के ब्रांच मैनेजर की नौकरी छोड़कर प्रज्ञा केंद्र में काम करना पसंद किया. नौकरी त्याग दी और लग गये जन सेवा में. और आज प्रज्ञा केंद्र के जरिये अपने गांव एवं पंचायत के लोगों को कई तरह की ऑनलाइन सेवाएं दे रहे हैं. इसमें प्रमुख है आधार पंजीकरण, सुधार एवं प्रिंट और ई-नागरिक के तहत जाति, आय, आवासीय, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्ऱ ये सभी सेवाएं वे सरकारी दर पर देते हैं. इसके जरिये वे ऑय अजिर्त भी कर रहे हैं. ब्रांच मैनेजर के तौर पर इन्हें 15 हजार रुपये मासिक मिलता था.
प्रज्ञा केंद्र से जुड़े तो पहले इनकी आमदनी 24 हजार रुपये मासिक थी. लेकिन, दो महीने पहले आधार पंजीकरण एवं सुधार की सेवा शुरू करने पर हर दिन इनकी आमदनी में 1800 रुपये की बढ़ोतरी हो गयी है. इस प्रकार पिछले दो महीने से इनकी कमाई 78 हजार रुपये प्रतिमाह हो गयी है. 24 वर्षीय श्रीकांत यादव बीकॉम पास हैं और मोहनपुर प्रखंड के जमुनिया ग्राम पंचायत अंतर्गत घुठिया गांव के रहने वाले हैं. वैसे तो प्रज्ञा केंद्र से ये वर्ष 2008 में ही जुड़े थ़े लेकिन, बीच में काम बंद हो जाने के कारण इन्होंने फॉइनेंस कंपनी में नौकरी कर ली थी.
इस साल जनवरी में जब पुन: प्रज्ञा केंद्र का काम शुरू हुआ तो इन्होंने नौकरी छोड़ दी और प्रज्ञा केंद्र को प्राथमिकता दी. इस बारे में उनका कहना है कि प्रज्ञा केंद्र जन सेवा का उत्तम माध्यम है. गांव में तकनीक का प्रसार उतना नहीं हुआ है. ऐसे में लोगों को ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोग डिजिटल फोटोग्राफी के लिए 25 किलोमीटर की दूरी तय कर शहर जाते थ़े प्रज्ञा केंद्र पर तकनीक के जरिये लोगों की समस्याओं के समाधान का मौका मुझे मिला. इससे में मैं कमाई भी कर रहा हूं वह भी सरकारी दर पऱ प्रज्ञा केंद्र से अब ग्रामीणों का फिजूल खर्च घट गया है.