Advertisement
अपना जीवन स्वर्ग या नरक आप बनाते हैं
दक्षा वैदकर एक बार एक आदमी घूमते-घूमते स्वर्ग पहुंच गया. स्वर्ग में सुंदर नजारे देखते हुए वह बहुत देर तक घूमता रहा और अंत में थक- हार कर एक वृक्ष के नीचे सो गया. स्वर्ग में जिस वृक्ष के नीचे वह सोया था, वह कल्पतरु था. कल्पतरु के नीचे बैठ कर जो भी व्यक्ति जैसी […]
दक्षा वैदकर
एक बार एक आदमी घूमते-घूमते स्वर्ग पहुंच गया. स्वर्ग में सुंदर नजारे देखते हुए वह बहुत देर तक घूमता रहा और अंत में थक- हार कर एक वृक्ष के नीचे सो गया. स्वर्ग में जिस वृक्ष के नीचे वह सोया था, वह कल्पतरु था. कल्पतरु के नीचे बैठ कर जो भी व्यक्ति जैसी भी कल्पना करता है, वह साकार हो जाती है. कुछ देर बाद जब उस आदमी की आंख खुली, तो उसकी थकान तो जाती रही थी, मगर उसे भूख लग आयी थी.
उसने सोचा कि काश यहां छप्पन भोग से भरी थाली खाने को मिल जाती, तो आनंद आ जाता. चूंकि वह कल्पतरु के नीचे था, इसलिए छप्पन भोग से भरी थाली उसके कल्पना करते ही प्रकट हो गयी. उसे भूख लगी थी, तो उसने झटपट उस भोजन को खा लिया. भोजन के बाद उसे प्यास लगी. उसने सोचा, कितना अच्छा होता कि इतने शानदार भोजन के बाद उसे ठंडा पानी पीने को मिल जाता. उसका यह सोचना था कि सामने ठंडे पानी से भरा मटका प्रकट हो गया. उसने गटागट पानी पी लिया.
भूख और प्यास शांत हुई, तो उसका दिमाग दौड़ा. उसने सोचा कि यह क्या हो रहा है. क्या मैं सपना देख रहा हूं? खाना और पानी हवा में कैसे प्रकट हो गये? लगता है कि इस पेड़ में भूत-पिशाच हैं, जो मुझसे कोई खेल खेल रहे हैं.
उसका इतना सोचना था कि कल्पतरु ने उसकी यह कल्पना भी साकार कर दी. हवा में से भूत-पिशाच प्रकट हो गये, जो उसके साथ डरावने खेल खेलने लगे. वह आदमी डर कर सोचने लगा कि ये भूत-प्रेत तो अब मुङो मार ही डालेंगे, मेरी मृत्यु निश्चित है. आप समझ सकते हैं कि कल्पतरु के नीचे उसकी इस कल्पना का क्या हश्र हुआ होगा.
दरअसल, हमारा दिमाग भी कल्पतरु की तरह है. आप जो सोचते हैं, वही होता है. सारी चीजें दो बार सृजित होती हैं. एक बार आपके दिमाग में और फिर दूसरी बार भौतिक संसार में. आज नहीं तो कल, जो आपने सोचा है, वह होकर रहेगा. आप अपने लिए स्वर्ग की कल्पना करते हैं या नरक की. यदि आप स्वर्ग की सोचेंगे, तो स्वर्ग मिलेगा. भूत-पिशाच की सोचेंगे, तो भूत-पिशाच मिलेंगे.
बात पते की..
– आज जब चाहें अपने जीवन को स्वर्ग और नरक बना सकते हैं. आपको बस वैसा सोचना भर है. बेहतर है कि आप केवल अच्छा व सकारात्मक सोचें.
– अभी आपके साथ जो भी अच्छा या बुरा हो रहा है, वह आपने कभी न कभी सोचा होगा. उस बात को काफी वक्त हो गया है, इसलिए आप भूल गये हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement