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गलती को जस्टिफाइ करना बंद करें

।।दक्षा वैदकर।। हम पूरी जिंदगी अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया को उचित ठहराने में ही बिता देते हैं. हम यही बात साबित करने में लगे रहते हैं कि हम जो कर रहे हैं या जो हमने किया है, वही सही है और सामनेवाला जो कर रहा है, वह गलत है. उसने जो किया है, वह सरासर गलत है. […]

।।दक्षा वैदकर।।

हम पूरी जिंदगी अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया को उचित ठहराने में ही बिता देते हैं. हम यही बात साबित करने में लगे रहते हैं कि हम जो कर रहे हैं या जो हमने किया है, वही सही है और सामनेवाला जो कर रहा है, वह गलत है. उसने जो किया है, वह सरासर गलत है. यही वजह है कि हम खुद को बदल नहीं पा रहे हैं. बच्च घर का कोई सामान गलती से तोड़ देता है और हम गुस्सा होकर उसे पीट देते हैं. खुद की प्रतिक्रिया को उचित ठहराने के लिए यह कहते हैं कि, ‘मैं गुस्सा नहीं होता, वो तो बच्चे ने मुझे गुस्सा दिला दिया.’

हम हमेशा यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि मेरी प्रतिक्रिया तो स्वाभाविक थी. जब हमारा अपनी सास से झगड़ा हो जाता है, तो हम बाहर ऐसे लोगों को तलाशते हैं, जो हमारी बात सुने और हमें सही ठहराये. यदि सामनेवाले ने कहा कि, ‘तुम बिल्कुल सही हो, सास की ही गलती थी’, तो हम उसे अपना हमदर्द और करीबी मानने लगते हैं, लेकिन अगर सामनेवाले ने कह दिया कि, ‘सास बिल्कुल सही थी, तुम ही गलत थे’, तो हम उस पर बरस पड़ते हैं. यह हमेशा याद रखें. जब तक आप अपनी किसी क्रिया-प्रतिक्रिया को उचित ठहराना बंद नहीं करेंगे, तब तक आप बदल नहीं सकते.

आपको डॉक्टर ने कहा है कि सिगरेट पीना आपके स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है. आप कुछ दिनों तक सिगरेट नहीं पीते, लेकिन एक दिन कोई आपको सिगरेट पीते देख लेता है. वह पूछता है कि आपको तो डॉक्टर ने सिगरेट पीने से मना किया है, फिर आप क्यों पी रहे हैं? आप जवाब देते हैं, ‘मैंने सिर्फ एक सिगरेट पी है. उसके बिना मेरा काम में मन ही नहीं लग रहा था, आइडिया ही नहीं आ रहे थे, सिर में दर्द हो गया था, इसलिए पीनी पड़ी.’ आपने सिगरेट पीने के अपने कार्य को उचित ठहराने का तरीका तलाश लिया, अब आप कभी सिगरेट नहीं छोड़ पायेंगे. किसी ने सच ही कहा है. हम सभी को यह तो पता है कि कोई चीज हमें क्यों करनी है, कैसे करनी है, इसके करने से फायदा क्या होगा. बस ये सभी चीजें इसलिए नहीं हो पातीं, क्योंकि हम वह चीज दिल से करना ही नहीं चाहते. हम उसे न करने के बहाने तलाश लेते हैं. खुद की बात को जस्टिफाइ कर लेते हैं. खुद को जस्टिफाइ करना बंद करें.

बात पते की..

उन लोगों को तलाशना बंद करें, जो आपकी बात को हमेशा सही ठहराते हों. उन लोगों को तलाशें, जो सच का साथ दें. भले ही आप रूठ ही जायें.

स्टॉप जस्टिफिकेशन. खुद को सही और दूसरों को गलत ठहराना बंद करें. जब भी गुस्सा आये, खुद को बोलने से रोकें. स्थिति को पहले समझे.

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