अव्यवस्था : प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय अरमालटदाग का हाल
सुनील कुमार झा, रांची
शिक्षा विभाग इस वर्ष 475 नये उच्च विद्यालय खोलने की तैयारी में है. प्रत्येक पांच किलोमीटर की दूरी पर एक उच्च विद्यालय खोलने का मापदंड पूरा करने के लिए राज्य में अब तक 1232 मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में अपग्रेड किया जा चुका है. एक ओर सरकार नये विद्यालय खोल रही है, वहीं दूसरी ओर पहले से चल रहे विद्यालय बंद होने की कगार पर पहुंच गये हैं.
विद्यालय में न तो शिक्षक हैं न ही विद्यार्थी. सरकार की उदासीनता के कारण विद्यालय की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय अरमालटदाग बिना विद्यार्थी के चल रहा है. विद्यालय वर्ष 1981-82 में खोला गया था. मैट्रिक परीक्षा 2015 में विद्यालय से एक भी परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुआ. विद्यालय में कक्षा सात से दस तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. कक्षा सात व आठ में एक भी विद्यार्थी नहीं है. कक्षा नौ में चार व दस में छह विद्यार्थी नामांकित होने का दावा किया जाता है.
पर ये विद्यार्थी भी कभी स्कूल नहीं आते. अगर विद्यालय में विद्यार्थी होते तो मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते. विद्यालय लापुंग प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर है. विद्यार्थी के नहीं होने के कारण विद्यालय बंद रहता है. प्रधानाध्यापिका के अवकाश पर जाने या फिर स्कूल के कार्य से बाहर होने की स्थिति में विद्यालय खुलता तक नहीं है. मंगलवार को भी विद्यालय नहीं खुला था. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका के अवकाश पर होने के कारण विद्यालय बंद था.
प्रतिमाह वेतन पर एक लाख खर्च
ऐसा नहीं है कि विद्यालय की स्थिति की जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारी को नहीं है. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को विद्यालय की स्थिति की जानकारी है, इसके बाद भी विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाने या फिर बेहतर संचालन के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. विद्यालय की स्थिति में सुधार के बदले विद्यार्थी नहीं होने के कारण डीइओ द्वारा विद्यालय के एक शिक्षक व क्लर्क की प्रतिनियुक्ति लापुंग उच्च विद्यालय में कर दी गयी. विद्यालय में वर्तमान में प्रधानाध्यापिका व एक आदेशपाल कार्यरत हैं. दोनों के वेतन पर सरकार प्रति माह लगभग एक लाख रुपये खर्च करती है.
वापस लिये गये नौ लाख
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत विद्यालय को लगभग नौ लाख रुपये आवंटित किये गये थे. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को जब विद्यालय की स्थिति की जानकारी हुई तो राशि वापस ले ली गयी. वर्ष 2008-09 में विद्यालय भवन का निर्माण कराया गया था. विद्यार्थी होने की स्थिति में विद्यालय को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत राशि दी जाती.
क्या कहती है विद्यालय की प्रधानाध्यापिका
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका एलिस खाखा का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से बच्चों की संख्या बढ़ाने का काफी प्रयास किया. जंगली इलाका होने के कारण विद्यार्थी नहीं आते. अगर वे अवकाश पर या विद्यालय के कार्य से बाहर नहीं रहती हैं तो विद्यालय नियमित रुप से खोलती हैं. विद्यार्थी के नहीं आने के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती. विद्यालय में शिक्षक नहीं होने के कारण अभिभावक भी बच्चे का नामांकन नहीं कराते हैं.