बर्नपुर: वार्ड संख्या 40 में पिछले कई वर्षो से व्याप्त पेयजल संकट समाप्त होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. सबसे अधिक आबादी वालों वार्डो में से एक इस वार्ड की पार्षद अंजना शर्मा का आरोप है कि उन्होंने पिछले वामफ्रंट बोर्ड से लेकर वर्तमान कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस बोर्ड के प्राय: सभी अधिकारियों से बात की और इस समस्या समाधान के लिए अपील की. लेकिन केवल आश्वासन ही मिला. नागरिकों को पानी के लिए आइएसपी क्वार्टरों व दूसरे इलाकों के भरोसे रहना पड़ता है.
नलों में कम पानी
वार्ड संख्या 40 में मिठाई गली, साव रोड, राजस्थान रोड, जनता रोड, मुंगेरियापाड़ा, दूबेपाड़ा, लालमटिया, दासपाड़ा आदि समेत कई ऐसे इलाके के है, जहां बड़ी संख्या में नागरिक रहते है. लेकिन नलों की संख्या काफी कम है. नागरिकों का आरोप है कि वार्ड में नलों की संख्या कम रहने के बाद भी अधिसंख्य नलों में पानी भी नहीं आता. जिन नलों पर पानी आता है, वहां भी पानी समय से पूर्व ही बंद हो जाता है. रसूखदार निवासी पाइप में पंप लगाकर पानी लेते हैं. घंटों खड़े रहने के बाद भी आम नागरिकों को पानी नहीं मिलता और वे दूसरे इलाकों में जाते है.
घर की प्रतिष्ठा ताक पर
दासपाड़ा के सूरज बाउरी ने बताया कि मुहल्ले में कम आय वाले परिवारों की संख्या काफी अधिक है. लेकिन वार्ड में पेयजल की किल्लत से रसूख वाले भी काफी परेशान है. पानी के लिए बाल्टी, गैलन व अन्य वर्तन लेकर घर के पुरुष सहित महिलाओं को घरों से निकलना पड़ रहा है और अगल-बगल के इलाकों समेत आइएसपी के क्वार्टरों से पानी ला रहे हैं. लालमटिया के बबलू कुमार, माया देवी, संजू ठाकुर आदि ने बताया कि पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि नागरिकों को ठीक से नहाने-धाने तक पानी नहीं मिलता है. गरमी में पानी की किल्लत से गुजरना होगा.
क्यों है यह स्थिति
वार्ड में आवासों की संख्या नौ हजार है और आबादी 25 हजार. वार्ड में कुओं की संख्या न के बराबर है. कुछ नागरिकों ने अपने स्वयं उपयोग के लिए बनाये है और सार्वजनिक कुएं सूख गये हैं. चापानलों का भी यही हाल है. प्राय: सभी इलाकों के नागरिक पीएचईडी के नलों में सप्लाई होने वाले पानी पर निर्भर है. लेकिन वार्ड में आबादी के अनुसार नल नहीं है.
क्या कहती है पार्षद, सचिव
पार्षद श्रीमती शर्मा ने कहा कि पिछले वामफ्रंट बोर्ड में भी वे पार्षद थी और वर्तमान कांग्रेस-तृणमूल बोर्ड में भी वे पार्षद है. उनके पार्षद बनने से इस इलाके में पेयजल संकट है. पार्षद बनने के बाद उन्होंने लगातार निगम पदाधिकारियों के समक्ष समस्या का जिक्र किया है. लेकिन पेयजल संकट दूर नहीं होने का मुख्य कारण निगम की ओर से कोई कार्य नहीं होना है. उन्हें हर बार केवल आश्वासन ही मिलता रहा है. वार्ड सचिव कैलाश शर्मा ने कहा कि पार्षद ने बोर्ड मीटिंग, वर्तमान मेयर व पूर्व मेयर दोनों को जल संकट की जानकारी दर्जनों बार दी. इलाके के लोगों ने भी मेयर सह विधायक तापस बनर्जी को वार्ड दौरे के दौरान इस समस्या से रू-ब-रू कराया, लेकिन फिर भी संकट उसी तरह गहराया हुआ है. जबकि वार्ड में नौकरीपेशा, व्यापारी सहित सभी दिहाड़ी मजदूर व उससे भी कम आय वाले लोग रहते है. स्थिति का समाधान कब तक होगा, इसका कोई निश्चित नहीं है.