18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खुशी व दर्द, सभी के जिम्मेवार हम खुद हैं

।।दक्षा वैदकर।।‘मेरी सारी परेशानियों की जड़ तुम हो.’ ‘मेरे दुखों का कारण तुम ही हो.’ या फिर ‘तुम मेरी जिंदगी से चली जाओगी तो मैं दुखों से भर जाऊंगा.’ कई बार हम इस तरह की बातें करते हैं या लोग हमारे साथ इस तरह की बातें करते हैं. जब लोग हमें बार-बार यह कहते हैं […]

।।दक्षा वैदकर।।
‘मेरी सारी परेशानियों की जड़ तुम हो.’ ‘मेरे दुखों का कारण तुम ही हो.’ या फिर ‘तुम मेरी जिंदगी से चली जाओगी तो मैं दुखों से भर जाऊंगा.’ कई बार हम इस तरह की बातें करते हैं या लोग हमारे साथ इस तरह की बातें करते हैं. जब लोग हमें बार-बार यह कहते हैं कि ‘तुमने मुझेदुख दिया’, तब हम भी खुद को गुनहगार मानने लगते हैं और इससे हमें काफी सदमा पहुंचता है. जबकि असल बात तो यह है कि कोई भी इनसान न किसी को न दुख पहुंचा सकता है और न खुशी दे सकता है. हर इनसान अपनी भावनाओं का जिम्मेवार खुद होता है. हम ही हैं, जो अपने दिमाग में विचारों को बनाते हैं. एक ही बात को बार-बार सोचते हैं, दूसरों की हरकतों में, उसकी बातों में खुशियां तलाशते हैं. इस तरह आज हमारी छोटी-छोटी खुशियां भी दूसरों पर निर्भर हो गयी हैं.

पत्नी बड़ी मेहनत से खाना बनाती है, यह सोच कर कि शाम को पति आयेंगे और खाना खा कर उसकी तारीफ करेंगे. वह कल्पना में कई बार यह दृश्य देख भी लेती है, लेकिन शाम को पति खाना खाते हैं और बिना कुछ बोले ही सोने चले जाते हैं. आपको इससे कष्ट पहुंचता है, क्योंकि आपने सोचा था कि पति तारीफ करेंगे, तो मुङो खुशी होगी. अब जब वो नहीं करते हैं, तो आप दुखी हो जाती हैं. हम ऑफिस में प्रेजेंटेशन देते हैं, सोचते हैं कि बॉस तारीफ करेंगे, तो मैं खुश हो जाऊंगा. लेकिन शाम को जब बॉस तारीफ नहीं करते, तो हम दुखी हो जाते हैं. हम कोई नयी ड्रेस पहनते हैं और घर में सभी से उम्मीद करते हैं कि कोई इस नयी ड्रेस को नोटिस करे और हमारी तारीफ करे. जब तीन-चार लोग तारीफ कर देते हैं, तो हम खुश हो जाते हैं और उनमें से कोई एक यदि उसकी बुराई कर दे, तो हम दुखी हो जाते हैं.

हमें समझना होगा कि खुद को खुश रखने की जिम्मेवारी हमारी अपनी ही है. किसी और की नहीं. कई बार ऐसा होता है कि बॉस आपको बुला कर डांट देते हैं. बेवकूफ, उल्लू तक कह देते हैं और हमें इससे काफी कष्ट या ‘दर्द’ होता है. बॉस तो गुस्से में यह सब बोल कर भूल जाते हैं, लेकिन हम विचारों की माला बुनते रहते हैं. हम उस ‘दर्द’ को लंबे समय तक पकड़े रखते हैं. दरअसल हम जानते भी नहीं है कि हम जब चाहे उससे छुटकारा पा सकते हैं.

बात पते की..

-हमने अपनी खुशी व गम का रिमोट कंट्रोल दूसरों के हाथों में दे दिया है, हमें वह कंट्रोल वापस अपने पास लेने की जरूरत हैं. तभी हम खुश रहेंगे.

-हमेशा याद रखें, आपकी इजाजत व इच्छा के बिना न कोई आपका अपमान कर सकता है, न कोई आपको दुख पहुंचा सकता है, न खुशी दे सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें