रांची:झारखंड सरकार उद्योग विभाग के उपक्रम झारक्राफ्ट की सहायता से 1.26 लाख महिलाएं आज अपना घर संभाल रही है. अपनी कमाई से बच्चों को पढ़ा रही है. सुदूर गांव में से लेकर शहर तक ऐसी महिलाएं झारक्राफ्ट से जुड़ी हुई है. 1.26 लाख में 96 हजार महिलाएं सिल्क के उत्पादन से जुड़ी हैं. 50 हजार […]
रांची:झारखंड सरकार उद्योग विभाग के उपक्रम झारक्राफ्ट की सहायता से 1.26 लाख महिलाएं आज अपना घर संभाल रही है. अपनी कमाई से बच्चों को पढ़ा रही है. सुदूर गांव में से लेकर शहर तक ऐसी महिलाएं झारक्राफ्ट से जुड़ी हुई है. 1.26 लाख में 96 हजार महिलाएं सिल्क के उत्पादन से जुड़ी हैं. 50 हजार महिलाएं रेशम कीट पालन कर प्रतिमाह पांच से छह हजार रुपये की आमदनी कर रही है. ये महिलाएं सरायकेला-खरसावां, प. सिंहभूम, गिरिडीह, गोड्डा, देवघर में स्वयसहायता समूह(एसएचजी) बना कर आय अजिर्त कर रही हैं. झारक्राफ्ट द्वारा 13.50 हजार एसएचजी का गठन किया गया हैं, जिनसे ये महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
कैसे होती है आय : झारक्राफ्ट के एमडी धीरेंद्र कुमार बताते हैं : रेशम कीट पालन में जुड़ी महिलाएं खेतों में रेशम कीड़े का पालन करती हैं. एक साल में एक महिला कम से कम 40 हजार रुपये कमाती हैं. जिनके पास जगह ज्यादा होती है, तो उनकी आय लाखों में होती है. इसके 16, 000 महिलाएं रीलिंग से जुड़ी हैं. 10 से 20 महिलाओं के एसएचजी में कोकून से धागा बनाने का काम किया जाता है. सारी सुविधाएं झारक्राफ्ट द्वारा उपलब्ध करायी जाती है.
यहां एक महिला कम से कम पांच हजार रुपये प्रतिमाह कमाती है. इसके बाद धागे से बुनाई का काम होता है. बुनाई कार्य में 30 हजार महिलाएं अलग-अलग जिलों में कार्यरत हैं. इनकी आय भी पांच से छह हजार रुपये प्रतिमाह होती है. झारक्राफ्ट में हैंडीक्राफ्ट से भी महिलाएं जुड़ी हैं. ये टेराकोटा, जूट. पत्तल बनाने से लेकर लेदर चप्पल बनाने तक का काम कर रही हैं. लेदर क्राफ्ट में अभी 200 महिलाएं कार्यरत हैं. इनके सारे उत्पादों को झारक्राफ्ट ही खरीदता है. एमडी बताते हैं कि किसी भी काम में सबसे बड़ी समस्या उत्पादों को बाजार में बेचने की होती है. झारक्राफ्ट ने यह समस्या दूर कर दी है. सबसे पहले महिलाओं को अपने खर्च पर झारक्राप्ट प्रशिक्षण दिलाता है. स्टाइपेंड का भुगतान भी किया जाता है. इसके बाद समूह गठन कर रॉ मटेरियल तो उपलब्ध कराया ही जाता है. उत्पाद के लिए बाजार भी झारक्राफ्ट ही देता है. सारे माल को झारक्राफ्ट खरीद लेता है. इसे झारक्राफ्ट के देशभर में स्थित 37 शो रूम में भेज दिया जाता है. ये शो रूम दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, बंगलुरु, रांची से लेकर अन्य शहरों में स्थित है. इसके अलावा दुनिया के 14 देशों में सिल्क वस्त्रों का निर्यात झारक्राफ्ट करता है. इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, तर्की, जापान, आस्ट्रेलिया व स्विटजरलैंड जैसे देश भी शामिल हैं.