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स्लम एरिया में अरबी की शिक्षा

स्लम एरिया में अरबीक व अंग्रेजी की तालीम से रु ब रु हो रहें हैं बच्चे अंग्रेजी पर भी पूरी कंमाड 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ रह हैं स्कूल में प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चे भी अरेबीक की शाम में लेते है स्पेशल क्लास 20 से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं पढ़ा रही हैं बच्चों को रांची: 2006 […]

स्लम एरिया में अरबीक व अंग्रेजी की तालीम से रु ब रु हो रहें हैं बच्चे

अंग्रेजी पर भी पूरी कंमाड

300 से ज्यादा बच्चे पढ़ रह हैं स्कूल में

प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चे भी अरेबीक की शाम में लेते है स्पेशल क्लास

20 से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं पढ़ा रही हैं बच्चों को

रांची: 2006 के पहले रांची में अरबीशिक्षा की स्थिति काफी कमजोर थी. यह देख हिंदीपीढ़ी, रांची की अरर्शी शबा ने यहां के बच्चों को अरेबिक भाषा पढ़ाने की ठानी. उन्होंने यह तय किया कि वह मुसलिम बच्चों को इसलामिक अरेबिक तालीम के लिए स्कूल खोलेंगी. 2006 में उन्होंने हिंदपीढ़ी में जिकरा अरेबिक स्कूल की नींव रखी . यहां अरबी के अलावा अंगरेजी की भी शिक्षा दी जाती है.

आज हिंदपीढ़ी के स्लम एरिया में जिकरा स्कूल के दो ब्रांच चल रहे हैं, जहां 300 बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. 20 मुसलिम शिक्षिकाएं बच्चों को अंगरेजी व अरेबिक की शिक्षा दे रही हैं.

शाम के वक्त शहर के प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चों को अरबी की तालीम दी जाती है. बच्चे अपने स्कूल से फ्री होकर यहां इसलामिक शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. अरर्शी सबा ने लखनऊ से अरबी भाषा में बीए किया था. अभी वह उर्दू में एमए कर रही हैं. उसने अपनी छोटी बहन आफरीन सबा और भाभी शालेहा परवीन के साथ मिल कर हिंदपीढ़ी के हाफिज मोहम्मद अब्बुल कलाम के सहयोग से स्कूल खोला . अरर्शी का मानना है कि शिक्षा जितना जरूरी लड़कों के लिए है, उतनी ही जरूरी लड़कियों के लिए है.

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