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जान-बूझ कर गाड़ी को टक्कर न लगने दें

।।दक्षा वैदकर।। हम दिन भर में कई बार एक्सीडेंट करते हैं. एक्सीडेंट से मेरा मतलब गाड़ी वाले एक्सीडेंट से नहीं, बल्कि बहस, झगड़े, मतभेद, दुख, तनाव, डिप्रेशन आदि से है. दिन भर में हम कई बार इस तरह के एक्सीडेंट करते हैं, जो हमारी गाड़ी को खरोचों से भर देते हैं, यानी जिंदगी को दुखमय […]

।।दक्षा वैदकर।।

हम दिन भर में कई बार एक्सीडेंट करते हैं. एक्सीडेंट से मेरा मतलब गाड़ी वाले एक्सीडेंट से नहीं, बल्कि बहस, झगड़े, मतभेद, दुख, तनाव, डिप्रेशन आदि से है. दिन भर में हम कई बार इस तरह के एक्सीडेंट करते हैं, जो हमारी गाड़ी को खरोचों से भर देते हैं, यानी जिंदगी को दुखमय बना देते हैं. मान लें कि आप कार चला रहे हैं और आपके आसपास के सभी लोग गलत गाड़ी चला रहे हैं. कोई गलत साइड से ओवरटेक कर रहा है, कोई बिना हाथ दिखाये गाड़ी मोड़ ले रहा है. इस तरह क्या हम सुरक्षित घर पहुंच पायेंगे? आप कहेंगे, ‘हां, अगर हम अपनी गाड़ी ध्यान से चलायेंगे तो.’ इसके विपरीत यदि हम सभी गाड़ियों से टकरायेंगे, तो कभी भी सही-सलामत घर नहीं पहुंच पायेंगे.

यही बात जीवन में भी लागू होती है. कई लोग हमसे गलत व्यवहार करते हैं. तो क्या हम हर व्यक्ति से टकरायें! नहीं न? फिर क्यों हम लोगों से बेवजह बहस करते हैं, उन्हें सुधारने की कोशिश करते हैं, उन्हें अपने मुताबिक चलाना चाहते हैं.

याद रहे, गाड़ी पर यदि खरोच लगे, तो उसे ठीक किया जा सकता है. गाड़ी ज्यादा खराब हो जाये, तो नयी गाड़ी ली जा सकती है, लेकिन हमारी जिंदगी के साथ यह नहीं हो सकता. सोचनेवाली बात यह है कि जब कोई गाड़ी ठीक सामने से हमारी तरफ आ रही होती है, तो क्या हम उससे जान-बूझ कर भिड़ जाते हैं? नहीं. हम तुरंत अपनी स्टीयरिंग घुमाते हैं और अपना रास्ता मोड़ लेते हैं. ठीक वैसे ही जब कोई हमारे सामने झगड़ा करने के लिए खड़ा हो जाये, तो हमें अपना रास्ता बदल लेना चाहिए. फिर आप कहेंगे कि हर बार मैं ही क्यों रास्ता बदलूं? मैं एक बार टक्कर मार ही देता हूं, ताकि उसे उसकी गलती समझ आये. आप अंदाजा लगा लें कि आपको रोज कितनी गाड़ियों को टक्कर मारना पड़ेगा.

एक और बात, सामनेवाला बदलनेवाला नहीं है, क्योंकि उसे लगता है कि वह बिल्कुल सही गाड़ी चला रहा है. इसे इस तरह समङों, सफाईपसंद पत्नी कहती है कि हर चीज अपनी जगह पर रखो. वहीं पति कहता है कि घर से बाहर और ऑफिस में इस बात का ख्याल रख-रख के मैं थक जाता हूं. कम-से-कम अपने घर में तो रिलैक्स रहूं. इसी में मुङो खुशी मिलती है. अब इन दोनों में कौन सही है? दोनों अपनी-अपनी जगह सही हैं.

बात पते की..

-कोशिश करें कि सामनेवाले की गाड़ी से आपको कम-से-कम खरोच लगे. जैसे ही कोई व्यक्ति झगड़ा करे, आप उस जगह से हट जायें.

-आप लोगों को टक्कर मार कर, उनसे झगड़ा या बहस करके उन्हें नहीं सुधार सकते. बेहतर है कि खुद सुरक्षित रहें. बहस से दूर रहें.

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