रांची : दुग्गी कुमारी अब चपरासी नहीं रही. अब अधिकारियों की फाइल इधर-उधर नहीं करती. वह अब ट्रेनर बन गयी है. दूसरों को प्रशिक्षण देती है. दुग्गी सीसीएल में काम करती है. अरगड्डा क्षेत्र के रेलीगढ़ा इलेक्ट्रीकल एंड मेकानिकल वर्कशॉप में वह निपुणता से अपना काम कर रही है. उसकी बहाली 16 साल पहले चपरासी के पद पर हुई थी.
मैट्रिक पास दुग्गी लगन से ट्रेनर का काम कर रही है. प्रबंधन ने उसके सीखने की क्षमता को देखते हुए तकनीकी प्रशिक्षण दिलाया. अब वह दूसरों को प्रशिक्षण दे रही है. सीसीएल में काम करनेवाली दुग्गी अकेले नहीं है. बिलासो देवी , सूरजमनी देवी , चांदमनी देवी, झिग्गी देवी भी है. जो अपने-अपने क्षेत्र में पुरुषों को मात दे रही है. झिंगी टोपनो 1998 में सीसीएल में बहाल हुई थी. इन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी.
इनके रुझान, कार्य कुशलता को देखते हुए प्रबंधन ने उन्हें प्रशिक्षण देकर हेल्पर और वेल्डर बनाया. बिलासो देवी, सूरजमनी देवी, चांदमनी देवी, एम एम के बिगड़े सामान को सुधारने का काम करती है. इसी क्षेत्र में कदमी बेदिया, फलातो महतो ,बैसो गंझू ,रुदन देवी , फुलकुमारी गंझू का एक दल है जिसमें से तीन महिलाएं गिद्दी कोल हेन्लिंग प्लांट में पीस रेटेड वर्कर हैं. ये बेलचा चलाकर कन्वेयर वेल्ट पर कोयले को व्यवस्थित करने का कार्य कर रही हैं. ये महिलाएं बेशक कम पढ़ी लिखी हैं पर अपने बाल बच्चों को उच्च तकनीकी शिक्षा दिलाने का जब्बा रखती हैं.
सीसीएल कर रहा मदद
वर्तमान में सीसीएल में कुल 47887 लोग काम कर रहे हैं. इसमें महिला कर्मियों की संख्या 4907 है. वहीं सीसीएल के 12 क्षेत्रों में एक क्षेत्र अरगड्डा दामोदर नदी के किनारे स्थित है. लगभग 3689 श्रम शक्ति वाले इस क्षेत्र में महिला श्रमिकों की संख्या लगभग 251 है. महिलाएं विभिन्न कार्यालयों में मुस्तैदी से कार्य कर रही हैं. यहां महिलाएं कार्यालय में टेबल जॉब से लेकर कर्मशाला में काम कर रही हैं. वहीं कई महिलाएं खदानों में पंप चलाने के कार्य से जुड़ी हैं . कंपनी में कार्यरत महिलाएं ब्रांड एम्बेसेडर की भूमिका निभा रही हैं.