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सिलिकॉन वैली से ‘आ अब लौट चलें’
नया चलन : अमेरिका में काम कर रहे पेशेवरों को लुभा रहीं भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियां 1970 के दशक से भारत से प्रतिभा पलायन का दौर शुरू हुआ. लेकिन अब हालात धीरे-धीरे ही सही, पर बदल रहे हैं. देश के ई-कॉमर्स सेक्टर में आया जबरदस्त उछाल सिलिकॉन वैली के पेशेवरों को अपनी ओर खींच रहा है, […]
नया चलन : अमेरिका में काम कर रहे पेशेवरों को लुभा रहीं भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियां
1970 के दशक से भारत से प्रतिभा पलायन का दौर शुरू हुआ. लेकिन अब हालात धीरे-धीरे ही सही, पर बदल रहे हैं. देश के ई-कॉमर्स सेक्टर में आया जबरदस्त उछाल सिलिकॉन वैली के पेशेवरों को अपनी ओर खींच रहा है, और इनमें से अधिकतर भारतीय हैं.
कंपनियां बेहतर वेतन पैकेज, इक्विटी शेयर और सास-ससुर तक को स्वास्थ्य सुविधाओं की पेशकश कर काबिल कर्मचारियों को अपनी ओर खींच रही हैं.
भारत से ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) की समस्या दशकों से रही है. सूचना तकनीक क्रांति (आइटी) के बाद से तो इसमें कई गुना इजाफा हो गया है. देसी स्कूलों और कॉलेजों से शिक्षा पूरी कर जब हमारे नौजवान लायक बनते हैं, तो अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाने के बजाय वे ज्यादा पैसे कमाने के लालच में विदेशों का रुख कर लेते हैं.
हम आदर्श की बातें चाहे जितनी कर लें, पर हकीकत यही है कि आज की दुनिया पैसों से चलती है. काबिल कर्मचारी उसी ओर खिंचे चले जाते हैं, जहां मोटा वेतन और ज्यादा सुविधाएं मिल रही हों. अब भारतीय कंपनियों ने भी हवा के इस रुख को पहचान लिया है और अमेरिका की सिलिकॉन वैली में अपनी सेवाएं दे रहे भारतीय मूल के आइटी इंजीनियरों को अपने खेमे में शामिल करने के लिए बढ़िया वेतन के साथ आकर्षक सुविधाएं भी पेश कर रही हैं.
भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर में आये बूम के मौजूदा दौर में यह देखने में आ रहा है कि देसी स्टार्ट-अप कंपनियां (नव उद्यम) ऐसे दक्ष लोगों को तलाश रही हैं, जो विदेशों में रह कर वहां की कंपनियों में ऊंचाइयां छू रहे हैं, लेकिन उनका कुनबा यहां भारत में है.
इन लोगों को भारत लौटने और यहां की कंपनियों में काम के मौके उपलब्ध कराने के लिए देसी कंपनियां आकर्षक वेतन पैकेज तो पेश कर ही रही हैं, साथ ही उनके परिवारवालों का ख्याल रखते हुए उनके लिए छुट्टियों और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी प्रावधान रखा जा रहा है. परिवारवालों की इस सूची में पति-पत्नी, बच्चे, मां-बाप के अलावा अब सास-ससुर तक शामिल किये जा रहे हैं.
इन सबके चलते देसी ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर सिलिकॉन वैली के इंजीनियरों का झुकाव बढ़ा है. फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्नैपडील, इनमोबी जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने बीते कुछ महीनों में सिलिकॉन वैली के 20 से अधिक सॉफ्टवेयर पेशेवरों को अपने यहां काम पर लगाया है.
चूंकि भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर अपने पूरे शबाब पर है, और मॉर्गन स्टैनले की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों ने बीते एक साल में पांच अरब डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया है, ऐसे में सिलिकॉन वैली के पेशेवर भी यहां अपने लिए पूरी संभावनाएं देख रहे हैं.
बात फ्लिपकार्ट की करें तो इसने हाल ही में अपने बेंगलुरु मुख्यालय के लिए गूगल इंक, कैलिफोर्निया से दो सीनियर एग्जिक्यूटिव हायर किये हैं. ये दोनों भारतीय मूल के हैं. हालांकि फ्लिपकार्ट ने इनके वेतन का ब्योरा नहीं दिया है, लेकिन जानकारों के अनुसार आनेवाले तीन से चार सालों में इनका सालाना पैकेज 10 लाख डॉलर तक पहुंच जायेगा.
रिक्रूटमेंट फर्म कैसजैक्स का इस बारे में कहना है भारतीय पेशेवरों को विदेशों से अपने घर की तरफ खींचनेवाली कई वजहें हैं. इनमें नयी कंपनी ज्वाइन करने पर बोनस, शेयर में हिस्सेदारी और अन्य सुविधाएं शामिल हैं. इन सबके बीच अपनों के साथ रहने के सुख के भी बड़े मायने हैं और यही बात उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ती है.काफी हद तक भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री और सिलिकॉन वैली की परिस्थितियां भी मिलती-जुलती हैं.
हाल हीं में रॉयटर्स को दिये एक इंटरव्यू में फूड रिव्यू उपलब्ध करानेवाले नव-उद्यम जोमैटो के मुखिया तन्मय सक्सेना बताते हैं कि समान परिस्थितियों के अलावा अहम बात यह है कि यहां की कंपनियां नयी हैं और ये योग्य इंजीनियरों को अपने यहां इक्विटी शेयर की पेशकश करती हैं.
अमेरिका में आठ साल बतौर सॉफ्टवेयर डेवेलपर काम कर चुके तन्मय आगे कहते हैं, हालांकि यहां मूल वेतन कम है, लेकिन यहां आपको कंपनी के लाभ में हिस्सेदारी मिलती है और आप इस आशा में इसकी ओर खिंचे चले आते हैं कि यह कंपनी अच्छा करेगी.
मोबाइल फोन एडवर्टाइजिंग प्लैटफॉर्म इनमोबी द्वारा कर्मचारियों को दिये जा रहे लाभ की बात करें तो वह अपने स्टाफ के बच्चों के लिए समर कैंप और घूमने-फिरने के पैकेज मुहैया कराने के साथ-साथ परिवारवालों और यहां तक कि सास-ससुर के लिए भी स्वास्थ्य बीमा का इंतजाम कराती है. यह फॉमरूला काफी हिट भी हो रहा है.
हालांकि एक परेशानी जो विदेशों से भारत आनेवाले सॉफ्टवेयर पेशेवरों के सामने पेश आती है, वह है कानून-व्यवस्था. क्योंकि उन्हें तो अपना समय वातानुकूलित और सुरक्षित दफ्तरों में बिताना होता है, लेकिन बाहर उनका परिवार को खुद को उतना सुरक्षित महसूस नहीं करता.
लेकिन गूगल से फ्लिपकार्ट पर स्विच करनेवाले पुनीत सोनी का इस बारे में कहना है कि व्यवस्था से जुड़ी परेशानियां तो कमोबेश हर जगह हैं, लेकिन भारत में फ्लिपकार्ट से जुड़ना मुङो इसलिए अच्छा लगा क्योंकि मेरे हिसाब से यह सबसे दिलचस्प चीज थी जो मैं कर सकता था.
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