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छोटे-छोटे शहरों का शुद्घ देसी रोमांस

कुछ महीने पहले रिलीज हुई फिल्म रांझणा में निर्देशक आनंद एल राय ने प्यार के रांझणा अवतार को दिखाया. बनारस की गलियों के कुंदन के लिए प्यार नमाज की तरह है, वहीं दूसरी तरफ फिल्म शुद्ध देसी रोमांस का रघु बिंदास है, जो जरूरत पड़ने पर प्रेमिका को बहन भी बता देता है. आखिर छोटे […]

कुछ महीने पहले रिलीज हुई फिल्म रांझणा में निर्देशक आनंद एल राय ने प्यार के रांझणा अवतार को दिखाया. बनारस की गलियों के कुंदन के लिए प्यार नमाज की तरह है, वहीं दूसरी तरफ फिल्म शुद्ध देसी रोमांस का रघु बिंदास है, जो जरूरत पड़ने पर प्रेमिका को बहन भी बता देता है. आखिर छोटे शहरों में क्या है प्यार की परिभाषा? किस तरह हिंदी फिल्मों में छोटे शहरों और गांव की प्रेम कहानियों को दरसाया जाता रहा है? पेश है छोटे शहरों की प्रेम कहानियों को फॉलो करते बॉलीवुड पर अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट.

फिल्म रांझणा में कुंदन जोया से बेइंतहा प्यार करता है. वह फिल्म की शुरुआत से लेकर अंत तक एक रांझणा की तरह प्यार पाने के लिए तरसता रहता है. उसका प्यार समर्पित है. दूसरी तरफ फिल्म शुद्ध देसी रोमांस का रघु प्यार को लेकर बिंदास सोच रखता है. वह प्यार को बंधन नहीं बनाना चाहता. हिंदी फिल्मों के माध्यम से हर बार प्यार के अलग-अलग रूपों को प्रस्तुत किया जाता रहा है. मेट्रोपोलिटन शहरों का ज्यादातर प्यार फेसबुक या किसी कॉफी शॉप से शुरू होता है और लिव इन रिलेशनशिप पर आकर खत्म हो जाता है. वहीं छोटे शहरों का प्यार ज्यादा समर्पित होता है. फिर भी प्यार के इजहार से इकरार तक इसे एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है. पंकज कपूर ने फिल्म मौसम में भी छोटे शहर की प्रेम कहानी को दर्शाने की कोशिश की है. अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में फैजल और मोहसिना के प्यार का बोल्ड रूप प्रस्तुत किया गया.

कभी लिव इन रिलेशनशिप रूप केवल बड़े शहरों में देखा जाता था लेकिन फिल्मकारों के मुताबिक अब यह धीरे-धीरे छोटे शहरों का भी हिस्सा बनने लगा है. लोगों के जेहन में यह बात हमेशा रहती है कि छोटे शहरों में बिंदास या बेबाक प्यार नहीं पनपता. वे छुप-छुप कर ही प्यार करने में विश्वास करते हैं. यही कारण है कि छोटे शहरों की प्रेम कहानियां कम ही पूरी होती हैं. लेकिन हकीकत इससे परे है. हिंदुस्तान के हर छोटे शहर में एक और शहर बसता है, जहां प्रेमी कैसे भी हो, रोमांस शुद्ध देसी होता है.

यशराज फिल्म्स ने प्यार व रिलेशनशिप को लेकर एक रिसर्च करवाया. इसके निष्कर्ष इस प्रकार हैं

* 71 प्रतिशत भारतीय युवा लव मैरेज करना पसंद करते हैं.

* 79 प्रतिशत भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों की अरेंज मैरेज करवाना चाहते हैं.

* 75 प्रतिशत भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों की इंटर कास्ट मैरेज करवाना पसंद नहीं करते.

* 51 प्रतिशत युवा इंटर रीलिजन को लेकर खुले विचार रखता है.

* 64 प्रतिशत युवाओं की सोच है कि जो कपल डेटिंग कर रहे होते हैं वह सेक्सुअल रिलेशनशिप में भी होंगे.

* 72 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि लिव इन रिलेशनशिप गलत है.

* 80 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि लिव इन रिलेशनशिप में रहनेवाले चरित्रहीन होते हैं.

* 80 प्रतिश्त पैरेंट्स आज भी अपने बच्चों के अफेयर या प्रेम संबंध के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना या बच्चों के प्रेम संबंध का सार्वजनिक होना पसंद नहीं करते.

* 77 प्रतिशत युवा महिलाएं मानती हैं कि पहले या दूसरे डेट पर ही पार्टनर के साथ बहुत ज्यादा खुलना नहीं चाहिए.

* 40 प्रतिशत लड़कों की सोच है कि लड़कियों को अपने पार्टनर पर भरोसा करना चाहिए.

* 89 प्रतिशत भारतीय पैरेंट्स शादी से पहले लड़के-लड़की का साथ रहना पसंद नहीं करते.

* 73 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि जो महिलाएं या लड़की स्मोकिंग करती हैं, वे चरित्रहीन होती हैं.

* 62 प्रतिशत महिलाएं भी पुरुषों के बारे में भी ऐसा ही सोचती हैं.

* 75 प्रतिशत पुरुषों की नजर में जो महिलाएं शॉर्ट स्कर्ट पहनती हैं वे इव टिजिंग के लिए निमंत्रण देती हैं.

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