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हर परिस्थिति में अनुशासित रहना जरूरी

पर्सनालिटी सलाह आशीष आदर्श, कैरियर काउंसेलर जीवन के हर पड़ाव पर जो चीज हमेशा आपके साथ रहती है, वह है आपका व्यक्तित्व. इसे कैरियर के शुरुआती दिनों में आप जिस रूप में ढालेंगे, वह वैसा ही स्वरूप ले लेगा. आपके व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालनेवाले विचारों को हम इस नियमित कॉलम के माध्यम से आप […]

पर्सनालिटी सलाह

आशीष आदर्श, कैरियर काउंसेलर

जीवन के हर पड़ाव पर जो चीज हमेशा आपके साथ रहती है, वह है आपका व्यक्तित्व. इसे कैरियर के शुरुआती दिनों में आप जिस रूप में ढालेंगे, वह वैसा ही स्वरूप ले लेगा. आपके व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालनेवाले विचारों को हम इस नियमित कॉलम के माध्यम से आप तक पहुंचायेंगे.

मैं अपनी बात एक कहानी से शुरू करना चाहता हूं. एक बार हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री किसी गांव की यात्र पर थे. सभा शुरू हो चुकी थी और सामने सैंकड़ों लोग शास्त्री जी को सुनने के लिए बैठे थे. शास्त्री जी ने अपनी जेब से दस रुपये का एक नोट निकाला, उस समय दस रुपये की भी काफी कीमत होती थी. शास्त्री जी ने नोट को दिखाते हुए कहा, मैं यह नोट आपमें से किसी एक को देना चाहता हूं, जो लोग इसे लेना चाहते हैं वे अपना हाथ उठाएं.

लगभग सभी हाथ उठ गये. अब उन्होंने उस नोट को मोड़ा और उसे अपनी जेब में रखा और फिर निकाल लिया. अब वह नोट उनके कुर्ते में लगे पसीने से भीग चुका था. उन्होंने फिर पूछा, अब यह नोट किसे चाहिए. फिर सभी हाथ उठ गये. अब उन्होंने उस नोट को नीचे जमीन पर रख दिया और फिर उसे उठा लिया. अब उस नोट में जमीन की मिट्टी भी लग चुकी थी और वह गंदा हो चुका था. फिर शास्त्री जी ने उस गंदे नोट को दिखाते हुए पूछा, अब यह नोट किसे चाहिए. फिर से सभी लोगों ने हाथ उठा दिये.

शास्त्री जी ने कहा, जब यह नोट साफ था, तब भी आप इसे लेना चाहते थे, उसके बाद जब यह नोट पसीने से भीग गया तब भी आप इसे चाहते थे और अब जब यह मिट्टी से गंदा हो गया है तब भी आप इसे लेना चाहते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि परिस्थितियों के बदलने से भी इस नोट का मूल्य नहीं गिरा है. इसका मूल्य पहले भी दस रुपया था और अब भी दस रुपया ही है.

इस प्रसंग की सीख यह है कि हम अपने आसपास की परिस्थितियों से काफी प्रभावित होते हैं. लेकिन कैरियर की सफलता का अचूक मंत्र यह है कि हमारे जीवन का अनुशासन हमारी परिस्थितियों के अनुसार न बदले. आपको ऐसे हजारों लोगों के उदाहरण मिल जायेंगे, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी सफलता की नयी कहानी लिखी. हमारे पास अपनी असफलता को छिपाने के हजार बहाने होते हैं. हम जो काम नहीं करना चाहते, उनसे बच निकलने के तरीके खोज लेते हैं. लेकिन, यदि हम भी उस नोट की तरह स्वयं को ढाल लें, तो कोई भी परिस्थिति हमें सफलता से वंचित नहीं कर सकती.

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