।। रवि दत्त बाजपेयी ।।
– मंदी की दस्तक
– उत्पादन के साथ यह समस्या पूरे निर्माण उद्योग में है व्याप्त
ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश में कार उद्योग को कायम रखने के लिए बहुत सालों से निर्माताओं के घाटे की पूर्ति के लिए अनुदान देने की परंपरा बना रखी है. ऑस्ट्रेलिया कार उद्योग को अपनी औद्योगिक उन्नति का मानक मानता है, कार निर्माताओं व मजदूर संघों ने भी कार उद्योग के चलाने के लिए सरकार पर काफी दबाव बनाया है, लेकिन अब इस उद्योग का लाभदायक तौर पर चलना संभव नहीं है.
21 वीं सदी के पहले दशक में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में जब अमेरिका–यूरोप निराशा के गर्त में डूब रहे थे तब भी दुनिया के सबसे बड़े खनिज निर्यातक के रूप में ऑस्ट्रेलिया अपनी ऐतिहासिक आर्थिक संपन्नता में तैर रहा था, लेकिन आर्थिक मंदी की आंच जब खनिज पदार्थो के सबसे बड़े खरीदार चीन तक पहुंची, तो इसकी तपिश ऑस्ट्रेलिया भी महसूस कर रहा है.
ऑस्ट्रेलिया में खनन उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था को द्रुतगामी और गैर खनन उद्योगों की अर्थव्यवस्था को मंथर माना गया, खनन से प्राप्त इस अप्रत्याशित लाभ से ही ऑस्ट्रेलिया पर वैश्विक मंदी का कोई असर नहीं हुआ.
जब अन्य उद्योगों में रोजगार मिलना कठिन हो रहा था उस समय ऑस्ट्रेलिया के खनिज उद्योग के लिए कामगार ही नहीं मिल रहे थे और बड़ी संख्या में विदेशी कामगारों को अल्पकालिक वीसा पर यहां आमंत्रित किया गया था.
2010 के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट हुई है और इसका सीधा असर ऑस्ट्रेलिया पर भी दिखा है, खनन उद्योग में अब नये निवेश नहीं बल्कि अब तक के निवेश से तैयार नयी खदानों से उत्पादन शुरू हुआ है.
वह भी ऐसे समय जब खनिज पदार्थो के वैश्विक बाजार में मूल्य बेहद कम हो गये हैं. मई 2013 में अमेरिकी मोटर कार कंपनी फोर्ड के ऑस्ट्रेलिया स्थित संयंत्र ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया से अपना कार निर्माण समाप्त करने और अपने दो कारखाने बंद करने की घोषणा की.
इन कारखानों के बंद होने से इनमें कार्यरत 1200 कामगार बेरोजगार हो जायेंगे और मोटर कार निर्माण में लगी अन्य सहयोगी इकाइयों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. अमेरिका की एक अन्य कार कंपनी जनरल मोटर्स होल्डेन ने भी ऑस्ट्रेलिया में अपने उत्पादन में कमी करने और कामगारों की संख्या घटाने का निर्णय लिया है.
ऑस्ट्रेलिया ने अपने कार उद्योग को सुरिक्षत रखने के लिए विदेशी गाड़ियों पर ऊंचे सीमा शुल्क लगाये गये थे और यूरोप व अमेरिका की तरह ही यहां पर स्थानीय ऑटोमोबाइल निर्माण को सरकारी अनुदान देने की एक परंपरा रही है. सरकार के इतने सहयोग के बाद भी ऑस्ट्रेलिया का मोटर कार उद्योग मंदी का शिकार है और फोर्ड कंपनी के अनुसार पिछले पांच वर्षो में 60 करोड़ डॉलर का नुकसान होने के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है.
ऑस्ट्रेलिया में मोटर कार उद्योग को इतने सरकारी सहयोग के बाद भी बंदी की हालत तक पहुंचना, आम लोगों के लिए निराशाजनक भले ही हो लेकिन यह आश्चर्यजनक कतई नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में कार बनाने की लागत यूरोप से दोगुनी और एशिया से चार गुनी है, इसके अलावा जब ऑस्ट्रेलिया के बाजार में विदेशों में बनी सस्ती और बेहतर कार उपलब्ध हो तो उपभोक्ताओं को स्थानीय निर्मित कार खरीदने का कोई कारण भी नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया में उत्पादन के साथ यह समस्या केवल कार उद्योग में नहीं है बल्कि यह पूरे निर्माण उद्योग (मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री) में व्याप्त है, जब दैनिक उपयोग से लेकर महंगे उपभोग के लगभग सारे सामान सस्ते दामों पर एशिया से आयात किये जा रहे हो तो स्थानीय महंगे सामान खरीदने को ग्राहक कहां से मिलेंगे.
ऑस्ट्रेलिया में सालाना 10 लाख के करीब नयी गाड़ियां बेची जाती है जिनमे स्थानीय उत्पादन का हिस्सा बहुत कम है, भारत से 60 गुनी कम आबादी वाले इस देश में बाजार का आकार बहुत बड़ा नहीं है, और स्थानीय तौर पर निर्मित सामान का विदेशों में कोई खास बाजार भी नहीं है. परंपरागत तौर पर यहां के श्रमिकों, कामगारों और शिल्पकारों का वेतन किसी भी संपन्न देश के बराबर है और निर्माण उद्योग में लागत का एक बड़ा भाग कामगारों का वेतन व अन्य सुविधाएं देने में जाता है, इस खर्चे को घटाने के विकल्प नहीं है क्योंकि कानूनन भी स्थानीय लोगों को एशियाई देशों के वेतन देना संभव नहीं है.
जब खनिज उद्योग ढलान पर है तो ऑस्ट्रेलिया में मूल प्रश्न सिर्फ कार उद्योग को बचाने का नहीं बल्कि सारे निर्माण उद्योग की प्रासंगिकता है; क्या ऑस्ट्रेलिया में आर्थिक लाभ के साथ उत्पादन संभव है? इसका जवाब देना कठिन है, लेकिन इतना निश्चित है कि ऑस्ट्रेलिया में पुरानी तकनीक से और पुराने तरीके से उत्पादन अब लाभकारी नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में अनेक लोगों का मानना है की अब हमें पारंपरिक उद्योगों से आगे बढ़कर सेवा उद्योग (सर्विस इंडस्ट्री) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यदि कुछ सामान बनाना ही हो, तो ऑस्ट्रेलिया को ऐसे आधुनिक या अद्वितीय सामान बनाने होंगे जिन्हें सारी दुनिया में बेचा जा सके, यह एक अत्यंत लुभावना पर अत्यंत भ्रामक विचार है. औद्योगिकीकरण के बिना नए औद्योगिक आविष्कार संभव नहीं है और यदि कार उद्योग और सारे अन्य उत्पादन संयंत्र बंद कर दिये जाएं, तो ऑस्ट्रेलिया में आधुनिक या अद्वितीय सामान बनाने की कल्पना कैसे होगी.
किसी भी अर्थव्यवस्था की दूरगामी सफलता के लिए स्थानीय औद्योगिक अनुसंधान सबसे जरूरी है लेकिन इस औद्योगिक अनुसंधान को चलाये रखने के लिए आर्थिक रूप से सफल उद्योगों का होना भी उतना ही जरूरी है.
एक समय स्थानीय कार उद्योग के बिना किसी देश को आधुनिक या औद्योगिक नहीं माना जाता था, स्वयं को औद्योगिक देश के रूप में स्थापित करने के लिए दक्षिण कोरिया, चीन, मलयेशिया सभी ने कार निर्माण पर बहुत जोर दिया था. अब किसी देश की औद्योगिक सफलता का पैमाना सिर्फ कार उत्पादन नहीं है लेकिन आज भी नवीनतम तकनीक पर आधारित निर्माण उद्योग ही किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करते है.
वैश्विक आर्थिक मंदी से बाहर आने वाले यूरोपीय देशों में जर्मनी सबसे आगे है क्योंकि जर्मनी का औद्योगिक शोध व अनुसंधान बाकी यूरोप से बहुत आगे है, किसी भी देश के लिए औद्योगिक शोध व अनुसंधान क्षमता प्राप्त करने में काफी प्रयास और समय लगता है लेकिन क्या आर्थिक मंदी को उतने समय तक रोका जा सकता है.