कहते हैं, आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. जब खाने और शॉपिंग जैसे कामों के लिए नया जमाना ‘ऑनलाइन’ सहारा लेने लगा है, तो स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाएं ‘ऑफलाइन’ क्यों रहें! स्वास्थ्य के प्रति लोगों की बढ़ती जागरूकता और डॉक्टरी परामर्श, दवा व इलाज के अनूठे सामंजस्य ने ऑनलाइन हेल्थ पोर्टल्स की कामयाबी को रफ्तार दी है. वेब आधारित नये उद्यमों पर आधारित इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आज पढ़ें स्वास्थ्य सुविधाओं को नया आयाम देने में इंटरनेट जगत के योगदान को.
राजीव चौबे
बीमारी कभी पहले बताकर नहीं आती. यह वक्त -बेवक्त किसी को भी, कहीं भी अपनी चपेट में ले लेती है. अमूमन ऐसे मौकों में दिमाग भी काम नहीं करता कि पहले डॉक्टर को बुलाने की व्यवस्था की जाये, या तुरंत आराम के लिए दवाई मंगाने की. हर मर्ज की दवा बन चुका इंटरनेट इन हालात में भी आपकी मदद करने को तैयार है. बात छोटे-मोटे सर्दी, बुखार से उबरने के लिए दवा मंगाने की हो या किसी बड़ी बीमारी के लिए डॉक्टरी सलाह लेने की जरूरत, या घर बैठे देश के किसी बड़े अस्पताल में मरीज की जांच के लिए नंबर लगवाने की आवश्यकता, टेक खिलाड़ी सबकी जरूरत को समझते हुए अपनी वेबसाइटों के जरिये लोगों को स्वस्थ रखने में मदद कर रहे हैं.
इनकी सेवाओं में दवाओं की होम डिलीवरी, छोटी-मोटी बीमारियों के लिए डॉक्टरी सलाह मुहैया कराना, बड़ी बीमारियों की जांच और ऑपरेशन के लिए नामी-गिरामी डॉक्टरों का अप्वाइंटमेंट दिलाना आदि शामिल है. यही नहीं, कई वेबसाइट्स पर स्वास्थ्य से जुड़ी नयी खबरें और नये टूल्स की जानकारी भी दी जाती है, जिनसे रू-ब-रू होकर लोग अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर सकते हैं. इन्हें मासिक या सालाना पैकेज में सब्सक्राइब करना होता है.
बस यही नहीं, तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में हेल्थकेयर उत्पादों की भी अच्छी खासी भूमिका है. इस क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित ब्रांड्स ने तो स्वास्थ्य के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए अपनी वेबसाइट्स पर हेल्थकेयर उत्पादों का एक अलग सेगमेंट बनाया है. और इन कंपनियों की कुल बिक्री में 20 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी हेल्थकेयर उत्पादों की होती है.
इस क्षेत्र पर अध्ययन करनेवाली संस्थाएं समय-समय पर आंकड़े प्रस्तुत कर बताती हैं कि ऑनलाइन हेल्थकेयर मार्केट में सक्रिय पोर्टल्स पर हर माह लगभग 150 से 200 ट्रांजेक्शंन हर माह संपन्न हो रहे हैं और साल दर साल इनके राजस्व में 40 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो रही है. विशेषज्ञ बताते हैं कि 2013-14 के दौरान भारत में हेल्थकेयर बाजार 50 लाख करोड़ रुपये का था, जो 2017 में बढ़ कर 110 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा. ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि तब तक ऑनलाइन हेल्थकेयर इंडस्ट्री की इसमें हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक हो जायेगी. इस बाजार के जानकारों का मानना है कि चूंकि ऐसे पोर्टल्स पर लोगों को एक ही जगह हर तरह के उत्पाद की जानकारी मिल जाती है और अधिकांश उत्पाद बाजार दर से काफी सस्ते घर बैठे मिल जाते हैं ऐसे में ऑनलाइन हेल्थकेयर उत्पादों की खरीद एक अच्छा विकल्प है.
आज की तारीख में इंटरनेट पर हेल्पिंग डॉक, प्रैक्टो हैलो, डॉकट्री, लायब्रेट, ईजीदवाई, जॉकडॉक, प्रैक्टिस फ्यूजन, हेल्थटैप जैसे देशी-विदेशी कंपनियां अपनी विविध सेवाओं के साथ लोगों के बीच तेजी से अपनी पहचान बनाने में लगी हैं. ऑनलाइन हेल्थकेयर के बाजार के बढ़ने का एक कारण यह है कि इन पोर्टल्स पर कई तरह की सेवाएं मिलती हैं. एक तो यहां से हेल्थकेयर उत्पाद खरीदे जा सकते हैं और डॉक्टर्स की सलाह ली जा सकती है. साथ ही इन पर नियमित रूप से स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां और डेटा भी अपलोड होते रहते हैं. इसी क्रम में हेल्थकेयर मैजिक, सज्रेरिका, सोशल ब्लड, प्रोटिया, हेल्थ इंडिया जैसी वेबसाइट्स के भी नाम आते हैं, जो आपको बड़ी बीमारी का अंदेशा होने पर जांच, डॉक्टरी सलाह, अन्य डॉक्टर की राय के लिए आपकी सहायता करती हैं. कुछ हेल्थकेयर पोर्टल्स अपने उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर सलाह भी उपलब्ध कराते हैं. इससे उनकी मांग बढ़ रही है. इन पोर्टल्स पर जाने-माने डॉक्टर्स की राय रहती है जिससे लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान मिल जाता है. इसके साथ ही कुछ पोर्टल्स का अपोलो जैसे बड़े हेल्थकेयर समूह के साथ गंठजोड़ रहता है जिससे उपभोक्ता डॉक्टर्स का अप्वाइंटमेंट भी ले सकते हैं. हालांकि ऐसे पोर्टल्स आज की व्यस्त जीवनशैली के लिए खास तौर से उपयोगी साबित हो रहे हैं, लेकिन यह बात जरूर है कि डॉक्टर्स के अप्वाइंटमेंट और हेल्थकेयर उत्पाद कम कीमत में मुहैया कराने के अलावा इनसे केवल छोटी-मोटी हेल्थ समस्याओं के बारे में सहायता मिल सकती है और बड़ी दिक्कतों के मामले में ये ज्यादा कारगर नहीं होते हैं.
दूसरी ओर, अपोलो, फोर्टिस और मैक्स हेल्थकेयर जैसे दिग्गज कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स देश के छोटे कस्बों और शहरों तक अपने परिचालन के विस्तार के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को मजबूत बनाने की तैयारी करने में लगे हैं. इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि पांच साल में अस्पताल बनाना अब पुराना मॉडल हो चुका है. माना कि बाजार में अभी भी इसकी काफी मांग है, लेकिन ऑनलाइन और मोबाइल हेल्थकेयर भी वक्त का तकाजा है. इसके अलावा, मैक्स और फोर्टिस जैसी दिग्गज हेल्थकेयर कंपनियां बाजार में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कई तकनीक प्रदाताओं के साथ साङोदारी कर रही हैं और कई मॉडलों पर विचार कर रही हैं, जिससे एक व्यापक दायरे में उनकी पहुंच सुनिश्चित होगी.
हाइटेक होने के मामले में सरकारी अस्पताल भी ज्यादा पीछे नहीं हैं. उत्तर भारत की कई राज्य सरकारें अब जेनरल अस्पतालों की सेवाओं को भी ऑनलाइन करने की तैयारी में लगी हैं. ऐसे में अस्पताल में जांच रिपोर्ट लेने के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि मरीज या उनके तीमारदार वेब पोर्टल के जरिये घर बैठे ही रिपोर्ट देख लेंगे. इसके अलावा किस ओपीडी में किस डॉक्टर की ड्यूटी है, इसकी जानकारी भी ऑनलाइन मिलने लगेगी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि धीरे-धीरे ही सही, इंटरनेट के जरिये स्वास्थ सेवा में भी अच्छे दिनों की शुरुआत हो चुकी है.