अगले एक–डेढ़ दशक के बाद दुनिया में ऊर्जा संकट का दौर खत्म हो सकता है.‘नासा’ के वैज्ञानिक दुनिया की एक तिहाई आबादी को सौर ऊर्जा मुहैया कराने में जुटे हैं. ‘डेली मेल’ की एक खबर में बताया गया है कि धरती पर सौर ऊर्जा मुहैया कराने के लिए नासा एक सोलर पैनल सेटेलाइट बना रहा है, जिसे 2025 में छोड़े जाने की तैयारी हो रही है.
इस अभियान के मुखिया और ‘नासा’ से जुड़े इंजीनियर डॉ जॉन मैनकिंस ने इसका पूरा खाका तैयार कर लिया है. इसमें अंतरिक्ष में सोलर पैनलों का इस्तेमाल करते हुए उनसे धरती तक ऊर्जा पहुंचाने में सफलता मिल सकती है. डॉ मैनकिंस ने इस उपग्रह को एसपीएस–अल्फा नाम दिया है. डॉ मैनकिंस का कहना है कि सिंगल सोलर पावर सेटेलाइट धरती पर एक तिहाई लोगों को ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम होगा.
इसके लिए कुछ इस तरह की तकनीक विकसित की जायेगी, ताकि एसपीएस–अल्फा सूर्य की ऊर्जा को फोटोवोल्टिक पैनल के जरिये माइक्रोवेव्स में परिवर्तित कर सके. इन माइक्रोवेव्स को धरती पर स्थापित पावर स्टेशनों को भेजा जायेगा.
पावर स्टेशनों तक पहुंचनेवाली ऊर्जा को उपभोक्ताओं तक भेजा जायेगा. इस प्रणाली से हासिल होनेवाली ऊर्जा धरती पर पैदा की जानेवाली किसी भी अन्य ऊर्जा की तुलना में ज्यादा सस्ती होगी. यदि यह परियोजना सफल होती है तो अंतरिक्ष में इसके लिए छोटे तत्वों के हजारों प्लेटफॉर्म बनाये जा सकते हैं, ताकि वायरलेस पावर ट्रांसमिशन के जरिये 10 से 1,000 मेगावॉट तक ऊर्जा धरती पर भेजी जा सके.