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‘रिलांच हर’ के साथ नयी शुरुआत

बच्चों के पालन-पोषण आदि के लिए काम छोड़नेवाली महिलाओं को दोबारा काम दिलाने की पहल. राहुल गुरु सीटीआइ (कमीशन फॉर टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 36 फीसदी कामकाजी महिलाएं बच्चों व बुजुर्गो की देखभाल के लिए काम छोड़ती हैं. हालांकि इनमें से 91 फीसदी महिलाएं एक वर्ष के भीतर काम […]

बच्चों के पालन-पोषण आदि के लिए काम छोड़नेवाली महिलाओं को दोबारा काम दिलाने की पहल.

राहुल गुरु

सीटीआइ (कमीशन फॉर टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 36 फीसदी कामकाजी महिलाएं बच्चों व बुजुर्गो की देखभाल के लिए काम छोड़ती हैं. हालांकि इनमें से 91 फीसदी महिलाएं एक वर्ष के भीतर काम पर लौटने की इच्छा रखती हैं. लेकिन, एक बार काम छोड़ने पर वापसी के मौके उन्हें कम ही मिल पाते हैं. मिलते भी हैं तो निचले स्तर के होते हैं. मात्र 5 फीसदी महिलाएं ही उच्च स्तर पर वापसी कर पाती हैं.

टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करनेवाली महिलाओं के लिए, अंशु सिंह व ज्योतिका सिंह (तकनीकी विशेषज्ञों की जोड़ी) ने एक रास्ता निकाला. उन्होंने अनुभवी महिला प्रोफेशनलों को दोबारा मौका देने के लिए ‘रिलांच-हर’ नामक प्रोग्राम मार्च, 2013 में शुरू किया. इसका उद्देश्य है, उन महिला प्रोफेशनलों की मदद करना जिनके पास एक लक्ष्य के साथ फिर शुरुआत करने का जज्बा है. यह प्रोग्राम मुख्य रूप से अनुभवी और उच्च कुशल महिला पेशेवरों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिनके पास न्यूनतम तीन सालों का कार्यानुभव हो.

ऐसे करता है काम

महिला पेशेवरों को सबसे पहले रिलांच-हर की वेबसाइट पर दिये गये फॉर्म में अपनी विस्तृत जानकारी देनी होती है. जहां उन्हें इस बात का जिक्र करना होता है कि वे किस तरह के काम की तलाश कर रही हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद प्रोफाइलों की छंटाई की जाती है. जिनके प्रोफाइल अच्छे लगते हैं, उनके बायोडाटा कंपनियों को भेजे जाते हैं. उम्मीदवार को कंपनी की उम्मीदों, चयन प्रक्रिया आदि के बारे में भी बताया जाता है. यदि उम्मीदवार में या उसके प्रोफाइल में कोई कमी रहती है, तो उसे प्रशिक्षण से दूर करने का प्रयास किया जाता है. प्रशिक्षण प्रोग्राम दो चरणों में होता है. पहला चरण ‘इनरिच-हर’ कहलाता है. इसमें महिला पेशेवरों के बायोडाटा को ठीक करने, लिंक्ड-इन प्रोफाइल बनाने और साक्षात्कार देने की कला की जानकारियां दी जाती हैं. प्रशिक्षण का दूसरा तरीका ‘फ्रीलांसर एंड सेल्फ स्टार्ट-हर’ कहलाता है. इस तरीके में उन्हें ऑनलाइन माध्यम से स्वयं की शुरुआत करने का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस बाबत ज्योतिका बताती हैं कि हम कंपनियों को उच्च स्तर के अनुभवी व प्रशिक्षित महिला पेशेवर देते हैं, जिन्हें वे एक समय के बाद कंपनी के मध्य क्रम के वरिष्ठों में शामिल कर सकें. इसके अतिरिक्त हम वैसे नयी कंपनियों को भी पेशेवर देते हैं, जो अनुभवी कर्मचारी चाहते हैं, पर ढ़ूंढ़ नहीं पाते हैं.

घर में ही दफ्तर

ज्योतिका कहती हैं कि रिलांच-हर कोई रिक्रूटिंग फर्म नहीं, बल्कि प्रोग्राम है, जो कॉरपोरेट जगत में महिलाओं का नेतृत्व बढ़ाने में अपनी भूमिका अदा कर रहा है. अंशु कहती हैं कि हमने शुरुआत आइटी क्षेत्र से की. अब हम कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बना रहे हैं. हमारी आय का मॉडल पारदर्शी है. हम कंपनियों से प्रति उम्मीदवार फीस लेते हैं. उम्मीदवार यदि प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेती हैं, तो उनसे इसका पैसा लिया जाता है. रजिस्ट्रेशन मुफ्त है. ज्योतिका बताती हैं कि हमारा ऑफिस पूरी तरह डिजिटल है. हम घर से काम करते हैं. मैं पूर्णकालिक हूं. वहीं अंशु पार्ट टाइम काम करती हैं. पिछले पांच महीनों में हमने एनसीआर व पुणो की कई नयी व मझोली आइटी कंपनियों के साथ काम किया है. कई बड़ी कंपनियां भी हमारे प्रोग्राम पर ध्यान दे रही हैं. हमारे प्रोग्राम का मिशन महिलाओं के कैरियर को लेकर पूर्वग्रहों को दूर करना है कि वे एक समय के बाद दोबारा शुरुआत नहीं कर सकती हैं. साथ ही महिलाओं का नेतृत्व बढ़ाना है.

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