फोटो: 6 ( मां की प्रतिमा को अंतिम रुप देते कलाकार)चकाई. आस्था का प्रतीक है तीनघरा की मां दुर्गा , ये सभी मनोकामना पूर्ण करतीं हैं. चकाई प्रखंड में एक मात्र दुर्गा मंदिर तीनघारा गांव में अवस्थित है. जहां वासंतिक नवरात्रा के मौके पर वैदिक रीति रिवाज से मंदिर में कलश स्थापित कर मां की पूजा अर्चना की जाती रही है. पश्चिम बंगाल के नाला ब्लॉक के सियार कटिया निवासी एवं दुर्गा मंदिर के पंडित सुशील चक्रवर्ती बताते हैंकि सन 1787 में उनके पूर्वज पंडित महादेव चक्रवर्ती द्वारा इस दुर्गा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करा कर पूजा अर्चना आरंभ की गयी थी. तब से पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हीं के परिवार के पंडितों द्वारा पूजा-पाठ की जाती है. वही मंदिर के यजमान मोहन पांडेय ने बताते हैं कि वासंतिक नवरात्रा के पूर्व बंगाल से मूर्तीकार आकर मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण करते है तथा सप्तमी, अष्टमी, नवमी एवं विजय दशमी को मंदिर प्रांगण एवं बाहरी मैदान में भव्य मेला लगता है. केवल प्रखंड ही नहीं पूरे जमुई जिले एवं झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी श्रद्घालु यहां मां के दर्शन कर मेला का लुप्त उठाते है. श्री पांडेय आगे बताते हैं कि महा अष्टमी की रात एवं महा नवमी के सुबह मनौंती पूरा होने पर श्रद्धालू भक्तों द्वारा बकरे की बलि भी दी जाती है. और विजय दशमी की देर रात मां की प्रतिमा विर्सजित किया जाता है.
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आस्था के प्रतीक व फलदायिनी है तीनघरा की मां दुर्गा
फोटो: 6 ( मां की प्रतिमा को अंतिम रुप देते कलाकार)चकाई. आस्था का प्रतीक है तीनघरा की मां दुर्गा , ये सभी मनोकामना पूर्ण करतीं हैं. चकाई प्रखंड में एक मात्र दुर्गा मंदिर तीनघारा गांव में अवस्थित है. जहां वासंतिक नवरात्रा के मौके पर वैदिक रीति रिवाज से मंदिर में कलश स्थापित कर मां की […]
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