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सीएमए : कंपनियों को दे नयी पहचान

पिछले कुछ वर्षो में देश में बड़ी कंपनियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ फाइनेंस और अकाउंट्स के क्षेत्र में कैरियर की रौनक बढ़ी है. साथ ही इन कंपनियों में कॉस्ट कटिंग को अंजाम देने के लिए नये लोगों को रखा जाने लगा है, जिन्हें कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट (सीएमए) कहते हैं. कैरियर के लिहाज से […]

पिछले कुछ वर्षो में देश में बड़ी कंपनियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ फाइनेंस और अकाउंट्स के क्षेत्र में कैरियर की रौनक बढ़ी है. साथ ही इन कंपनियों में कॉस्ट कटिंग को अंजाम देने के लिए नये लोगों को रखा जाने लगा है, जिन्हें कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट (सीएमए) कहते हैं. कैरियर के लिहाज से कैसा है यह क्षेत्र, इस आलेख में जानते हैं विस्तार से.

कंपनियों की संख्या के साथ उनके बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण हाल के वर्षो में फाइनेंस और अकाउंट्स के क्षेत्र में बड़े स्तर पर परिवर्तन हुए हैं और कॉस्ट कटिंग का एक नया दौर शुरू हुआ है. इसके साथ ही क्षेत्र अब कुशल युवाओं को अधिक संख्या में मौके मुहैया करा रहा है. कॉस्ट कटिंग से जुड़े पेशेवरों को कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट (सीएमए) कहा जाता है. ये किसी भी कंपनी की बिजनेस पॉलिसी तैयार करने, स्ट्रेटिजिक निर्णय लेने और फाइनेंशियल रिपोर्ट प्रस्तुत करने से जुड़े कार्य करते हैं. कैरियर के लिहाज से कैसा है यह क्षेत्र, आइए जानते हैं विस्तार से.

क्या है सीएमए

सीएमए यानी कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट. इसका मुख्य काम किसी कंपनी के खर्च का एक खाका बनाना है. लेकिन इसके साथ सीएमए का फोकस कंपनी के लाभ को बढ़ाने और खर्च में कटौती की कोशिश पर होता है. सीएमए का काम वित्तीय विषयों से जुड़ा होता है, इसलिए किसी विशेष प्रोजेक्ट पर हो रहे खर्च के मुद्दे पर भी सीएमए खासतौर पर गौर करता है. वह कंपनी के मैनेजर के साथ मिल कर प्रोजेक्ट विशेष पर चर्चा करता है और उसका बजट तैयार करता है. चार्टर्ड अकाउंटेंट जहां कंपनी की रिपोर्ट डायरेक्टर या मैनेजर के पास भेजता है, वहीं एक सीएमए उस रिपोर्ट को भारत सरकार के पास भी भेजता है.

जानकारों की मानें तो आनेवाले समय में हर बड़ी कंपनी में सीएमए की नियुक्ति अनिवार्य हो जायेगी. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रलय की ओर से जारी अधिसूचना के तहत अब बल्क ड्रग, टेलीकम्युनिकेशन, शुगर, इलेक्ट्रिसिटी, पेट्रोलियम सहित करीब एक दर्जन निर्माता इकाइयों में कॉस्ट ऑडिट अनिवार्य होगा. इससे उत्पाद निर्माण में गुणवत्ता और उत्पाद लागत में कमी आने का फायदा सीधे उपभोक्ताओं को मिलेगा. अब ऐसी निर्माता कंपनियों को कॉस्ट ऑडिट के दायरे में लाया गया है, जिनकी कुल परिसंपत्तियां पांच करोड़ से ऊपर और टर्नओवर 20 करोड़ से अधिक होगा या उन कंपनियों की इक्विटी भारत में या भारत के बाहर किसी भी शेयर बाजार में लिस्टेड है या लिस्टिंग की प्रक्रिया में है.

आइसीडब्ल्यूए का बदला स्वरूप

मौजूदा समय में आइसीडब्लूए का स्वरूप काफी बदल गया है. भारत सरकार की संसद के अधिनियम के अंतर्गत स्थापित दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्‍स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीडब्ल्यूए) का नाम अब भारत सरकार के गैजेट के अंतर्गत दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) कर दिया गया है. इसके अलावा सभी मेंबर आइसीडब्ल्यूए से अब कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट यानी सीएमए बन गये हैं.

कैसे मिल सकता है प्रवेश

सीएमए के इंटरमीडिएट कोर्स में फाउंडेशन कोर्स पास या ग्रेजुएशन के विद्यार्थी भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, लेकिन ग्रेजुएशन कर रहे विद्यार्थियों को यह परीक्षा देने से पहले अपनी फाइनल अंकतालिका जमा करनी होगी. सीएमए के लिए रजिस्ट्रेशन साल भर चलते हैं, जबकि एग्जाम साल में दो बार जून और दिसंबर में होता है. कोर्स के दौरान तीन साल की ट्रेनिंग अनिवार्य है. इंटरमीडिएट कोर्स के बाद छह माह की ट्रेनिंग होती है, इसके बाद ही फाइनल कोर्स में प्रवेश मिलता है. फाउंडेशन कोर्स के लिए फीस 3,500 रुपये, इंटरमीडिएट कोर्स के लिए पोस्टल फीस 15,700 रुपये और ओरल फीस 19,700 रुपये, जबकि फाइनल कोर्स में पोस्टल फीस 11,500 रुपये और ओरल के लिए 16,500 रुपये निर्धारित है. यह फीस हर साल रिवाइज भी होती है.

फाउंडेशन कोर्स, इंटरमीडिएट कोर्स और फाइनल कोर्स यानी तीनों के कोर्स का ढांचा भिन्न होता है. जहां एक ओर फाउंडेशन कोर्स के लिए ऑर्गनाइजेशन एंड मैनेजमेंट फंडामेंटल्स, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस फंडामेंटल्स, बिजनेस मैथमेटिक्स एंड स्टेटिस्टिक्स फंडामेंटल्स होते हैं, वहीं इंटरमीडिएट कोर्स में अप्लायड डायरेक्ट टैक्सेशन, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग, ऑपरेशन मैनेजमेंट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम, अप्लायड इनडायरेक्ट टैक्सेशन शामिल हैं. फाइनल कोर्स के अंतर्गत कैपिटल मार्केट एनालिसिस एंड कॉरपोरेट लॉज, फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड इंटरनेशनल फाइनेंस, मैनेजमेंट अकाउंटिंग स्ट्रेटिजिक मैनेजमेंट, इनडायरेक्ट एंड डायरेक्ट टैक्स मैनेजमेंट, मैनेजमेंट अकाउंटिंग-एंटरप्राइज परफॉर्मेस मैनेजमेंट, एडवांस फाइनेंशियल अकाउंटिंग एंड रिपोर्टिग, कॉस्ट ऑडिट एंड ऑपरेशनल ऑडिट, बिजनेस वैल्यूएशन मैनेजमेंट आदि आते हैं.

कैसा होता है पेपर

कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट के लिए फाउंडेशन कोर्स के एग्जाम का पेपर ऑब्जेक्टिव होता है. इसमें चार पेपर होते हैं. फाउंडेशन में इकॉनोमिक्स , मैनेजमेंट, अकाउंटेंट, लॉ एंड एथिक्स, बिजनेस मैथमेटिक्स एंड स्टेटिक्स के फाउंडेशन के सवाल पूछे जाते हैं, जिनको पास करने के बाद इंटरमीडिएट में प्रवेश मिलता है.

कहां करें संपर्क

इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट ऑफ इंडिया

3 इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोधी रोड,

नयी दिल्ली. 110003

फोन : 011 24622156

वेबसाइट : www.icmai.in

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