जीवनशैली, काम का बढ़ता दबाव और जरूरत से अधिक महत्वाकांक्षी होना 20 से 30 आयु वर्ग के युवाओं में ब्रेन हैमरेज का कारण बन रहा है. सफदरजंग अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ के बी शंकर के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक के मामले पहले बुजुर्ग अवस्था में देखे जाते थे क्योंकि इसके लिये उच्च रक्तचाप और मधुमेह मुख्य कारण होते थे.
शंकर ने बताया, लेकिन हाल ही में ऐसे मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिन्हें बहुत कम उम्र में ब्रेन हैमरेज का सामना करना पड.ता है और ऐसा उस जीवन शैली के कारण होता है जिसे वे अपनाते हैं. उन्होंने बताया कि भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले सालाना प्रति एक लाख लोगों पर 100 से 150 के बीच होते हैं जिनमें से 15 से 20 फीसदी मामले 30 से कम उम्र के युवाओं के हैं. वह बताते हैं, युवा वर्ग कम उम्र में ही उच्च रक्तचाप और मधुमेह का शिकार हो रहा है जो ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है.
जीवनशैली, काम का बढ.ता दबाव और जरूरत से अधिक महत्वाकांक्षी होना 20 से 30 आयु वर्ग के युवाओं में ब्रेन हैमरेज का कारण बन रहा है. सफदरजंग अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ के बी शंकर के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक के मामले पहले बुजुर्ग अवस्था में देखे जाते थे क्योंकि इसके लिये उच्च रक्तचाप और मधुमेह मुख्य कारण होते थे.
शंकर ने बताया, लेकिन हाल ही में ऐसे मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिन्हें बहुत कम उम्र में ब्रेन हैमरेज का सामना करना पड.ता है और ऐसा उस जीवन शैली के कारण होता है जिसे वे अपनाते हैं. उन्होंने बताया कि भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले सालाना प्रति एक लाख लोगों पर 100 से 150 के बीच होते हैं जिनमें से 15 से 20 फीसदी मामले 30 से कम उम्र के युवाओं के हैं. वह बताते हैं, युवा वर्ग कम उम्र में ही उच्च रक्तचाप और मधुमेह का शिकार हो रहा है जो ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है.
हाइ ब्लड प्रेशर से बचें
डॉ शंकर के विचारों से सहमति जताते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ विकास दिखाव ने कहते हैं कि उच्च रक्तचाप मस्तिष्क में रक्तस्राव का मुख्य कारण होता है. डॉ विकास कहते हैं, कई बार मरीजों को उच्च रक्तचाप का पता नहीं होता और इसलिए उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं हो पाता कि वे एक टाइम बम लिये बैठे हैं जो फटने के इंतजार में है. कई बार उच्च रक्तचाप भी अधिक मानसिक दबाव को नहीं दर्शाता और यही तनाव बढ.ने पर खतरनाक साबित हो जाता है.
उन्होंने हालिया एक मामले का जिक्र करते हुए बताया कि प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी कर रहे एक 22 वर्षीय युवक को अस्पताल में भरती कराया गया, जिसे बेहद उच्च स्तर का हाइपर टेंशन था. उसे अर्धबेहोशी की हालत में सिर के पिछले हिस्से में दर्द की शिकायत के साथ लाया गया था. सीटी स्कैन में उसके मस्तिष्क के आधार वाले हिस्से में बडे. रक्तस्राव का पता चला. कई सप्ताह के इलाज के बाद उसके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सका. मरीज के शरीर के एक हिस्से में अब भी कमजोरी है.
हाइपर टेंशन साइलेंट किलर
एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ भवानी शंकर ने बताया कि अस्पताल में सप्ताह में ऐसे चार पांच मामले आते हैं जो युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक से संबंधित होते हैं. उन्होंने बताया, हाइपर टेंशन एक साइलेंट किलर है और इसका एक सामान्य रास्ता यही है कि केवल उतना ही दबाव लें जितना संभाल सकें. वह कहते हैं कि दवाओं या जीवन शैली में बदलाव के जरिये उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना ब्रेन स्ट्रोक से बचने में बड़ीभूमिका अदा कर सकता है. डॉ भवानी शंकर बताते हैं, जीवनशैली में सुधार का मतलब है कि नियमित रूप से व्यायाम करना और स्वस्थ खानपान की आदतें अपनाना. आज के कामकाज के माहौल में तनाव और प्रतिस्पर्धा शामिल है. इसलिए लोगों को तनाव को कम करने के लिए रोजाना कुछ ऐसा हट कर करना चाहिए जिससे तनाव कम हो. इसके लिए अपना कोई शौक अपनाएं या कुछ देर के लिए ध्यान लगायें.
हाइ ब्लड प्रेशर से बचें
डॉ शंकर के विचारों से सहमति जताते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ विकास दिखाव ने कहते हैं कि उच्च रक्तचाप मस्तिष्क में रक्तस्राव का मुख्य कारण होता है. डॉ विकास कहते हैं, कई बार मरीजों को उच्च रक्तचाप का पता नहीं होता और इसलिए उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं हो पाता कि वे एक टाइम बम लिये बैठे हैं जो फटने के इंतजार में है. कई बार उच्च रक्तचाप भी अधिक मानसिक दबाव को नहीं दर्शाता और यही तनाव बढ.ने पर खतरनाक साबित हो जाता है. उन्होंने हालिया एक मामले का जिक्र करते हुए बताया कि प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी कर रहे एक 22 वर्षीय युवक को अस्पताल में भरती कराया गया, जिसे बेहद उच्च स्तर का हाइपर टेंशन था. उसे अर्धबेहोशी की हालत में सिर के पिछले हिस्से में दर्द की शिकायत के साथ लाया गया था. सीटी स्कैन में उसके मस्तिष्क के आधार वाले हिस्से में बडे. रक्तस्राव का पता चला. कई सप्ताह के इलाज के बाद उसके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सका. मरीज के शरीर के एक हिस्से में अब भी कमजोरी है.
हाइपर टेंशन साइलेंट किलर
एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ भवानी शंकर ने बताया कि अस्पताल में सप्ताह में ऐसे चार पांच मामले आते हैं जो युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक से संबंधित होते हैं. उन्होंने बताया, हाइपर टेंशन एक साइलेंट किलर है और इसका एक सामान्य रास्ता यही है कि केवल उतना ही दबाव लें जितना संभाल सकें. वह कहते हैं कि दवाओं या जीवन शैली में बदलाव के जरिये उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना ब्रेन स्ट्रोक से बचने में बड़ीभूमिका अदा कर सकता है. डॉ भवानी शंकर बताते हैं, जीवनशैली में सुधार का मतलब है कि नियमित रूप से व्यायाम करना और स्वस्थ खानपान की आदतें अपनाना. आज के कामकाज के माहौल में तनाव और प्रतिस्पर्धा शामिल है. इसलिए लोगों को तनाव को कम करने के लिए रोजाना कुछ ऐसा हट कर करना चाहिए जिससे तनाव कम हो. इसके लिए अपना कोई शौक अपनाएं या कुछ देर के लिए ध्यान लगायें.